याददाश्त में कमी, एकाग्रता में कमी, ब्रेन डैमेज ,न्यूरो डेवलपमेंट ,कॉग्निटिव फंक्शन आदि समस्याएं हो सकती हैं
देवभूमि न्यूज नेटवर्क
हिमाचल प्रदेश
चंम्बा
डॉ अर्चिता महाजन न्यूट्रीशन डाइटिशियन एवं चाइल्ड केयर होम्योपैथिक फार्मासिस्ट एवं ट्रेंड योगा टीचर नॉमिनेटेड फॉर पद्मा भूषण राष्ट्रीय पुरस्कार और पंजाब सरकार द्वारा सम्मानित ने बताया कि यूनीसेफ और विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट्स में ऐसा कहा गया है कि छोटे बच्चों का इम्यून सिस्टम कमज़ोर होने के कारण वायु प्रदूषण का बुरा असर उनपर अधिक पड़ सकता है। इसी तरह बच्चों के दिमाग पर भी वायु प्रदूषण का बुरा प्रभाव पड़ने की आशंका जतायी गयी हैंस्टडीज़ और रिपोर्ट्स के
अनुसार, वायु प्रदूषण के बुरे प्रभावों के प्रति बच्चों के अधिक संवेदनशील होने की एक वजह उनकी तेज गति से सांस लेने की प्रवृति भी है। बच्चे वयस्कों की तुलना में ज़्यादा तेज गति से सांस लेते हैं जिसके चलते प्रदूषित हवा और प्रदूषण फैलाने वाले कण बच्चों के शरीर में जल्दी और अधिक मात्रा में प्रवेश कर सकते हैं। इससे शरीर के अंदरूनी अंगों को नुकसान पहुंच सकता है और विभिन्न स्वास्थ्य समस्याओं का खतरा भी बढ़ सकता है।प्रदूषण का दिमाग पर बहुत बुरा असर पड़ सकता है, जिनमें से कुछ प्रमुख प्रभाव निम्नलिखित हैं:
- ब्रेन डैमेज: वायु प्रदूषण ब्रेन डैमेज का एक कारण हो सकता है, जिससे मस्तिष्क की कोशिकाएं नष्ट हो सकती हैं।
- न्यूरो-डेवलपमेंट: प्रदूषण बच्चों में न्यूरो-डेवलपमेंट को प्रभावित कर सकता है, जिससे उनकी सीखने की क्षमता और स्मृति प्रभावित हो सकती है।
- कॉग्निटिव फंक्शन: वायु प्रदूषण बच्चों की कॉग्निटिव फंक्शन को कम कर सकता है, जिससे उनकी सोच, सीखने और याद रखने की क्षमता प्रभावित हो सकती है।
- मानसिक स्वास्थ्य: प्रदूषण मानसिक स्वास्थ्य पर भी बुरा असर डाल सकता है, जिससे डिप्रेशन, एंग्जाइटी और अन्य मानसिक समस्याएं हो सकती हैं।
- नींद की समस्या: प्रदूषण के कारण नींद की समस्या हो सकती है, जिससे दिमाग की क्षमता प्रभावित हो सकती है।
- एकाग्रता की कमी: प्रदूषण के कारण एकाग्रता की कमी हो सकती है, जिससे काम और अध्ययन में परेशानी हो सकती है।
- याददाश्त की कमी: प्रदूषण के कारण याददाश्त की कमी हो सकती है, जिससे सीखने और याद रखने में परेशानी हो सकती है।