देवभूमि न्यूज 24.इन
शिमला स्थित इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज में डॉक्टर–मरीज के बीच हुए विवाद को लेकर भारतीय जनता युवा मोर्चा हिमाचल प्रदेश के प्रदेश प्रवक्ता अरुण शर्मा ने अपना मत व्यक्त किया है। उन्होंने इस घटना को अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए कहा कि किसी भी परिस्थिति में हाथापाई न तो डॉक्टर के लिए उचित है और न ही मरीज या उसके परिजनों के लिए।
अरुण शर्मा ने कहा कि मरीज जब अस्पताल पहुंचता है, तो वह पहले से ही शारीरिक और मानसिक पीड़ा से गुजर रहा होता है। दर्द, भय और असहायता की स्थिति में उसका व्यवहार असंतुलित हो सकता है। वहीं, डॉक्टर समाज का वह वर्ग है, जिससे संयम, धैर्य और विवेक की सबसे अधिक अपेक्षा की जाती है। डॉक्टर का कर्तव्य केवल इलाज करना ही नहीं, बल्कि विषम परिस्थितियों में भी मानवीय दृष्टिकोण बनाए रखना है।
उन्होंने स्पष्ट किया कि हाथापाई, चाहे किसी भी पक्ष से हो, पेशे की गरिमा और मानवता—दोनों को ठेस पहुंचाती है। आज सोशल मीडिया पर कोई डॉक्टर के पक्ष में है तो कोई मरीज के, लेकिन पक्ष–विपक्ष में उलझने के बजाय समाधान की दिशा में आगे बढ़ना अधिक आवश्यक है।
अरुण शर्मा का मानना है कि यदि इस प्रकरण में डॉक्टर एक कदम आगे बढ़कर क्षमा याचना करते, तो मामला वहीं समाप्त हो सकता था। उन्होंने कहा कि क्षमा कमजोरी नहीं, बल्कि संवेदनशीलता और बड़प्पन का प्रतीक होती है। साथ ही, हड़ताल से आम जनता, विशेषकर गरीब और जरूरतमंद मरीज सबसे अधिक प्रभावित होते हैं।
उन्होंने जोर देकर कहा कि इस तरह के मामलों में संवाद, सहानुभूति और समझदारी से बीच का रास्ता निकालना जरूरी है। अंत में उन्होंने कहा कि डॉक्टर और मरीज एक-दूसरे के विरोधी नहीं, बल्कि एक ही संघर्ष के दो पक्ष हैं संघर्ष जीवन को बचाने का। ऐसे में आग में घी डालने के बजाय सुलह, समाधान और संवेदनशीलता का रास्ता चुना जाना चाहिए।