जिला परिषद अधिकारी कर्मचारी मंच की मांगें न मानने पर 15 मई को करेंगे पैन डाउन स्ट्राइक

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जिला परिषद अधिकारी कर्मचारी मंच की मांगें न मानने पर 15 मई को करेंगे पैन डाउन स्ट्राइक

देवभूमि न्यूज डेस्क
कार्तिकेय तोमर-शिलाई

सिरमौर जिला के विधानसभा क्षेत्र शिलाई के विकास खंड तिलोरधार में जिला परिषद कर्मचारी अधिकारी मंच के अध्यक्ष ने विकास खण्ड अधिकारी के माध्यम से सरकार को भेजे एक ज्ञापन में जिला परिषद कैडर में कार्यरत अधिकारियों व कर्मचारियों को पंचायतीराज एवमं ग्रामीण विकास विभाग में विलय करने की मांग की है मंच ने चेतावनी दी है कि यदि सरकार 15 मई तक उनकी मांगें नही मानती है तो जिला परिषद के समस्त अधिकारी व कर्मचारी पैन डाउन स्ट्राइक करने पर विवश हो जाएंगे
मंच का कहना है कि हिमाचल प्रदेश में जिला परिषद कैडर के अधीन 4700 अधिकारी कर्मचारी पिछले 23 वर्षों से विभाग में विलय की राह देख रहे है इस कैडर के अधीन पंचायत सचिव,तकनीकी सहायक,कनिष्ठ अभियंता,सहायक अभियंता,लेखापाल शामिल है बहुत लंबे अंतराल व नियमितीकरण होने पर भी जिला परिषद कैडर के कर्मचारियों को अन्य विभागों की तरह स्थाई कर्मचारी की तर्ज पर सुविधाएं एवं अन्य वितीय लाभ नही दिए जा रहे है जबकि जिला परिषद कैडर में सभी कर्मचारी अधिकारी पंचायती राज व ग्रामीण विकास विभाग का कार्य कर रहे है
हाल ही में हिमाचल प्रदेश के वित्त विभाग द्वारा जिला परिषद के कर्मचारियों को छटे वेतन आयोग के वितीय लाभ देने से इसलिए इनकार कर दिया है कि जिला परिषद कैडर में कार्यरत अधिकारी कर्मचारी सरकारी कर्मचारी की श्रेणी में नही आते है जबकि जिला परिषद अधिकारियों कर्मचारियों का वेतन हिमाचल प्रदेश सरकार की अनुदान राशी जारी किया जाता है इतनी लंबी सेवाओ के वावजूद भी पंचायतीराज एवं विकास विभाग जैसे महत्वपूर्ण विभाग का कार्य बखूबी निभाने के उपरांत भी सरकारी कर्मचारी की श्रेणी में नही लिया जाना दुःखद है
मंच ने मांग की है कि समस्त जिला परिषद कैडर में कार्यरत अधिकारियों कर्मचारियों को पंचायतीराज अथवा ग्रामीण विकास विभाग में नियुक्ति 15 जून 1984 की अधिसूचना के अनुसार पंचायत समिति के तहत कार्य कर रहे पंचायत सचिवों को भी ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज विभाग में नियुक्ति की दिनाक से विलय किया था इसी अधिसूचना के आधार पर समस्त जिला परिषद कैडर में कार्यरत अधिकारियों व कर्मचारियों को पूर्व समस्त सेवा अवधि व वरिष्ठता को यथावत रखते हुए पंचायतीराज अथवा ग्रामीण विकास विभाग में विलय किए जाए अन्यथा जिला परिषद अधिकारी व कर्मचारी संघर्ष की राह पर उतरने के लिए बाध्य हो जाएंगे