योगयोगेश्वर श्री चंद्रमोहन जी महाराज की 32 वीं पुण्य तिथि।
देवभूमि न्यूज डेस्क
महाप्रभु श्री रामलाल जी महाराज की योग परम्परा का सारे भारत वर्ष में आजीवन प्रचार प्रसार करने वाले श्री सदगुरू देव भगवान श्री चन्द्र मोहन जी महाराज की आज 32वीं पुन्य तिथि है।
श्री सिद्ध गुफ़ा श्री संवाई एत्मादपुर-आगरा आश्रम में उन्होंने श्री सिद्ध योग मासिक पत्रिका का संचालन भी किया जो कि आज तक अनवरत जारी है।
आज ही के दिन 25 जून 1990 को हम सब के प्यारे गुरदेव भगवान ने हम सब के लिए धारित दिव्य स्थूल देह की लीला को अपने आप मैं समेट लिया था।
उसके बाद जब उनके श्री विग्रह को मा गंगा के तट पर दाहसंस्कार के लिए विराजमान किया गया तब बहुत दूर से माँ गंगा की लहर बह कर आई और हम सब के साक्षात ईश्वर गुरुदेव भगवान के श्री चरणों का स्पर्श की, और गुरुदेव भगवान का दिव्य हाथ दिव्य लीला समेटने के बाद भी माँ गंगा के द्वारा उनके श्रीचरणों को स्पर्श करने के बाद आशीर्वाद देने के लिए उठा।
ये बात से ये पता चलता है कि शरीर मे प्राण का होना ना होना या शरीर का दुनिया मे होना न होना ये आम जीवो के लिए है मायने रखता है, गुरुदेव भगवान के लिए नही।
प्यारे गुरुदेव भगवान के दाह संस्कार के बाद उनकी दिव्य अस्थियों मैं कमल का फूल भी मिला था।
गुरुदेव भगवान के इस दिव्य अवतार से कितनो को लाभ हुआ ये आज तक न कोई गिन सका न गईं पायेगा, क्यों कि आपको हमको सिर्फ वो दिखता है जो स्थूल आंखों से दिखता है पर उनके पास कई उच्च आत्माये आकर उनका शुभ आशीष लेकर उच्च से सिद्ध की गति प्राप्त करी।
हम सब जानते है कि सतयुग मैं आदिनारायण हुए
त्रेता युग मे भगवान श्री राम आये
द्वापर युग मैं भगवान श्री कृष्ण आये
वैसे ही कलयुग मैं हमारे सब के प्यारे गुरुदेव भगवान आये, न उन के जैसा कोई हुआ न उनके जैसा कोई हो सकता, न भूतों न भविष्यसि।
जैसे श्री हरि विष्णु जी से एक तपस्विनी माता जी ने मांगा की मुझे आप के जैसी संतान मिले, तो भगवान श्री हरि ने स्वयं बोला कि मेरे जैसा कोई नही, न हुआ न होगा, तो मैं ही पुत्र बनकर आजाऊँगा, तब वो भगवान श्री राम के अवतार लेकर अवतरित हुए।
उसी प्रकार हमारे गुरुदेव भगवान जैसा अनंत ब्रह्मांडो मैं ना हुआ ना होगा।
भगवान शिव जी माता पार्वती से श्री गुरुगीता मैं कहते है
जैसे जीव भ्रमर का चिंतन करते करते भ्रमर हो जाता है वैसे ही अपने गुरुदेव का चिंतन करते रहने से शिष्य ब्रह्म होजाता है इसमे संशय नही।
शिव जी आगे कहते है
जो गुरु है वे है शिव है
जो शिव है वे ही गुरु है
दोनो मैं जो अंतर समझता है वो गुरु पत्नी गमन करने वाले के समान पापी होता है।
अपने गुरुजी का नित्य ध्यान करे
उनकी आज्ञाओ का अक्षरशः पालन करे
आपके पूर्व के बुरे कर्म ,पाप पावरफुल हो सकते है
पर आपके गुरु की पावर के आगे वो तिनका समान भी नही
निश्चित करे मन मे की इसीजन्म मैं ही गुरुजी मुझे(ये लेख पढ़ने सुनने वाले/अपने हर शिष्यों को)मुक्ति प्रदान करेंगे।
ऐसा सदगुरू देव भगवान श्री चन्द्र मोहन जी महाराज से जुड़े सभी गुरू भाई बहनों की अटूट श्रद्धा आस्था आज भी उनसे जुड़ी हुई है।
राजीव शर्मन