शिमला में कार्यालयों के भार कम करने के लिए कुछ विभागों को दूसरे जिलों में किया जायेगा शिफ्ट : सीएम

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देवभूमि न्यूज डेस्क
हिमाचल प्रदेश
शिमला

मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने कहा कि राजधानी शिमला में कार्यालयों का भार कम करने के लिए कुछ विभागों को शिफ्ट करने पर विचार चल रहा है। जिला मुख्यालयों में कई सरकारी कार्यालय खाली हैं। गुरुवार को प्रश्नकाल में कांग्रेस विधायक संजय रतन ने सरकारी कर्मियों के लिए आवास की कमी का मामला उठाया। उन्होंने कहा कि मंत्री के आवास में अफसर और अफसरों के आवास में न्यायिक अधिकारी रह रहे हैं। जो भवन जिस पद के लिए है, उसे वो नहीं दिया गया है। कई अफसरों के शिमला में अपने मकान हैं, इसके बावजूद वह सरकारी भवनों में रह रहे हैं। अपने मकान किराये पर चढ़ाए हैं।

विधायक ने कहा कि बीते दिनों उन्होंने डीजीपी को 15 अगस्त पर ध्वजारोहण न करने को फोन पर आ रही धमकियों से जब अवगत करवाया तो उन्होंने बताया कि मेरे पास सरकारी आवास नहीं है। मैं खाना खाने कहीं बाहर गया था। इस कारण फोन नहीं सुन सका। शिमला में प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों के कर्मचारी नौकरियां कर रहे हैं, इनके लिए काॅलोनी बनानी चाहिए।

जवाब में मुख्यमंत्री ने कहा कि राजधानी शिमला में सरकारी आवास बनाने के लिए अभी जमीन उपलब्ध नहीं है। करुणामूलक आधार पर भी आवासों का आवंटन किया जाता है। 47 मकान खराब स्थिति के कारण खाली पड़े हैं। मकान कम होने के चलते कई अफसर अभी होटलों में रह रहे हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि हाईकोर्ट के पास भी कई भवन हैं। इस बाबत मुख्य न्यायाधीश से भी बात की जाएगी। खाली मकान हाईकोर्ट से भी वापस लिए जाएंगे। मुख्यमंत्री ने कहा कि शोघी से लेकर मशोबरा तक शिमला पैक हो चुका है।

वरिष्ठ पत्रकारों के देहांत पर मुख्यमंत्री ने सदन में शोक व्यक्त किया
मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने गौरव बिष्ट, आनंद बोध और विपिन काला के देहांत पर शोक व्यक्त किया। सुक्खू ने कहा कि इन तीनों पत्रकारों ने निर्भीकता से पत्रकारिता की। उन्होंने कहा कि इन तीनों का पत्रकारिता के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान रहा है। मुख्यमंत्री ने तीनों पत्रकारों के देहांत पर सदन में शोक व्यक्त करते हुए उनके परिजनों के प्रति गहरी संवेदनाएं व्यक्त कीं।

नशे के खिलाफ सरकार की जीरो टॉलरेंस नीति : सुक्खू

नशे के खिलाफ प्रदेश सरकार जीरो टॉलरेंस की नीति के तहत काम कर रही है। नशे के व्यापार में शामिल अपराधियों पर कड़ी कार्रवाई के लिए एनडीपीएस अधिनियम 1985 के प्रावधानों को और अधिक सख्त बनाने के लिए केंद्र सरकार से अनुरोध किया है। अधिनियम की धारा 21 और 22 के तहत मृत्यु दंड और उम्रकैद, जबकि धारा 37 के तहत अपराधों को गैर जमानती बनाने का आग्रह किया गया है। नियम-116 के अंतर्गत सरकार की ओर से की गई कार्रवाई से सदन को अवगत करवाते हुए मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने यह बात कही। कहा कि प्रदेश को नशामुक्त बनाने के लिए मुख्य सचिव की अध्यक्षता में राज्य स्तरीय और जिलाधीशों की अध्यक्षता में जिला स्तरीय एनसीओआरडी कमेटियां गठित की गई हैं।
एडीजीपी, सीआईडी की अध्यक्षता में एएनटीएफ समिति गठित की गई है। यह कमेटियां पड़ोसी राज्यों व प्रदेश सरकार के विभागों में समन्वय बैठाकर नशे के व्यापार पर कार्रवाई कर रही हैं। पुलिस ने प्रधाव-वाइप ऑउट ड्रग्स अभियान चलाया है और तस्करों की सूचना देने के लिए टोल फ्री नंबर 1908 शुरू किया है। नशामुक्त हिमाचल मोबाइल ड्रग फ्री एप शुरू किया गया है, उच्च न्यायालय के जज की अध्यक्षता में पीआईटी एनडीपीएस एडवाइजरी बोर्ड गठित किया गया है।