ई टेक्सी खरीद के लिए पसंदीदा बैंक राज्य सहकारी बैंक को किया नामित

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देवभूमि न्यूज डेस्क
हिमाचल प्रदेश
शिमला

नेशनल बैंकों द्वारा हिमाचल प्रदेश की सुक्खू सरकार की महत्वपूर्ण राजीव गांधी स्वरोजगार स्टार्ट-अप योजना के तहत स्वरोजगार शुरू करने वालों को फंड देने से मना करने के बाद अब राज्य सहकारी बैंक को ई-टैक्सी की खरीद के लिए ऋण वितरण के लिए पसंदीदा बैंक के रूप में नामित किया गया है। इस बारे में जानकारी देते हुए बैंक के अध्यक्ष देविंद्र श्याम ने प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू का आभार प्रकट किया।
अध्यक्ष देविंद्र श्याम ने विश्वास दिलाया कि बैंक सरकार की राजीव गांधी स्वरोजगार स्टार्टअप योजना के तहत ई-टैक्सी की खरीद के लिए ऋण वितरण में प्रदेश की जनता का पूरा सहयोग करेगा। उन्होंने कहा कि राज्य सहकारी बैंक प्रदेश के दूर दराज क्षेत्राें में लोगाें को बैंकिंग सुविधाएं प्रदान करने के अलावा राज्य सरकार की विभिन्न योजनाओं के क्रियान्वयन में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर रहा है।

नेशनल बैंकों ने योजना को फंड देने से किया मना
दरअसल एक साल पहले इस योजना का बड़े धूमधाम से ऐलान किया गया था, लेकिन अभी तक यह योजना युवाओं को रोजगार देने में विफल साबित हो रही है। इस बात का खुलासा विधानसभा के मानसून सत्र में उठाए गए एक सवाल में हुआ है।

हिमाचल प्रदेश, एक खूबसूरत राज्य है, लेकिन यहां की युवा पीढ़ी बेरोजगारी से जूझ रही है। राज्य सरकार ने इस समस्या को हल करने के लिए 680 करोड़ की स्टार्टअप योजना शुरूवात जरुर की थी, लेकिन बड़ा सवाल यह है कि, क्या यह योजना सफल रही?”

दरअसल, मानसून सत्र में राज्य सरकार की ओर से दिए गए जवाब के अनुसार, हिमाचल प्रदेश सरकार की इस योजना के तहत 121 युवाओं ने आवेदन किया था। योजना के लिए 13 करोड़ रुपये की वित्तीय मंजूरी भी 16 अगस्त को दी गई थी। लेकिन एक साल बीतने के बावजूद, इन युवाओं को वित्तीय सब्सिडी अभी तक नहीं मिली है।

राजीव गांधी स्वरोजगार स्टार्ट-अप योजना के तहत 50 प्रतिशत सब्सिडी का प्रस्ताव था, खासकर ई-टैक्सी की खरीद पर, जो सरकारी दफ्तरों से जोड़ी जानी थी। इस योजना के पहले चरण में 500 ई-टैक्सी परमिट जारी किए जाने थे। इसके अलावा, बैंकों को कम दर पर लोन देने का वादा किया गया था और मुख्यमंत्री ने लोन पर गारंटी देने का आश्वासन भी दिया था। लेकिन नेशनल बैंकों ने इस योजना को फंड देने से मना कर दिया, क्योंकि उन्हें अपने गैर-निष्पादित संपत्तियों यानि एन पीए के बढ़ने का डर था।

जानकारों की माने तो इंडस्ट्री विभाग के अधिकारियों का कहना है कि राज्य सरकार को सहकारी बैंकों को कुछ धन आवंटित करना चाहिए ताकि ये योजनाएं सफल हो सकें और युवाओं को रोजगार मिल सके। शायद इसी सुझाव ओ देखते हुए यह निर्णय लिया गया है।

बता दें कि मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने पिछले साल बजट भाषण में इस योजना की घोषणा की थी। इस योजना को श्रम एवं रोजगार विभाग द्वारा अमल में लाया जान था। स्वरोजगार को बढ़ावा देने की दिशा में सरकार का यह बड़ा कदम था।