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उत्कलखण्ड या पुरुषोत्तमक्षेत्र-महात्म्य पुरुषोत्तमक्षेत्र के विभिन्न तीर्थों और देवताओं का परिचय, तीर्थ और भगवान् की महिमा तथा पापपरायण पुण्डरीक और अम्बरीष का उस क्षेत्र में आना…(भाग 1)〰️〰️🌼〰️〰️🌼〰️〰️🌼〰️〰️🌼〰️〰️श्रीलक्ष्मीजी कहती हैं- इस क्षेत्र का आकार शंख के समान है। उसके मस्तक पर पश्चिम की सीमा में सब कामनाओं को पूर्ण करने वाले भगवान् शंकर विराजते हैं। शंख के आगे अर्थात् पूर्व सीमापर भगवान् नीलकण्ठ हैं। इन दोनों के मध्य का प्रदेश एक कोसका है। भगवान् नारायण का यह परम पावन क्षेत्र अत्यन्त दुर्लभ है। यहाँ मृत्यु होने से प्राणियों की मुक्ति हो जाती है तथा यहाँ का समुद्र स्नानमात्र से मोक्ष प्रदान करने वाला है। शंखाकार तीर्थ के दूसरे आवर्त में कपालमोचन नामक लिंग स्थित है। जो मनुष्य कपालमोचन का दर्शन, पूजन और उन्हें प्रणाम करता है, वह ब्रह्महत्या आदि पापों को त्याग देता है।
धर्मराज! शंख के तृतीय आवर्त के स्थान में मेरी आद्याशक्ति विमला देवी को स्थित जानो। वे भोग और मोक्ष प्रदान करने वाली हैं। जो भक्तिपूर्वक इनका दर्शन, पूजन और इन्हें प्रणाम करता है, वह सम्पूर्ण कामनाओं को प्राप्त कर लेता है और अन्त में मोक्ष को भी पाता है। शंख के नाभिस्थान में कुण्ड, वट और भगवान् पुरुषोत्तम- इन तीनों की स्थिति है। कपालमोचन से लेकर अर्द्धाशिनीतक शंख का मध्य भाग जानना चाहिये। जो अर्द्धाशिनी का दर्शन करके उन्हें प्रणाम करता है, वह अक्षय भोगों का उपभोग करता है। तीनों लोकों में जो स्वर्ग और मोक्ष प्रदान करने वाले तीर्थ हैं, उन सबमें यह पुरुषोत्तमक्षेत्र तीर्थराज कहा गया है। मुक्तिदायक जितने क्षेत्र हैं, उन सबमें यह सायुज्य प्रदान करने वाला माना गया है।
यहाँ निवास करने वाले प्राणी जन्म, मृत्यु और जरा का शोक नहीं करते। रौहिण नामक कुण्ड भगवान् के करुणारूप जल से भरा हुआ है। वह स्पर्श करने मात्र से भवबन्धन से मुक्ति देता है। प्रलयकाल में जो जल बढ़ता है, वह पीछे इसी कुण्ड में विलीन हो जाता है। धर्मराज! यहाँ के निवासी मोक्ष के अधिकारी हैं। उनपर तुम्हारा शासन नहीं चल सकता। यह क्षेत्र पृथ्वी पर रहने वाले सब प्राणियों को मोक्ष प्रदान करता है। कामाख्य और क्षेत्रपाल के मध्य में विमला की स्थिति है। भगवान् पुरुषोत्तम के दक्षिण भाग में साक्षात् ब्रह्मस्वरूप नृसिंहजी विराजमान हैं। ये प्रभा से उज्ज्वल हैं और हिरण्यकशिपु का वक्षःस्थल विदीर्ण करके यहाँ स्थित हुए हैं। इनके दर्शन से सब पापों का नाश हो जाता है। इनके आगे प्राणों का त्याग करने वाला मनुष्य ब्रह्मसायुज्य को प्राप्त होता है।
क्रमशः…
शेष अगले अंक में जारी
✍️ज्यो:शैलेन्द्र सिंगला पलवल हरियाणा mo no/WhatsApp no9992776726
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