शास्त्रों में वर्णित ये कार्य ना करें –

Share this post

-देवभूमि न्यूज 24.इन

“१– सूर्य उदय के बाद ना उठें।२– शैय्या पर भोजन ना करें।३– दक्षिण दिशा की और मुंह करके भोजन ना करें।४–खडे होकर जल ना पीएं।५–अग्नि- कन्या- ब्राह्मण – गांय को भूलकर पैर से ना छुंए।६–जुआ ना खेलें।७– मदिरा ना पीएं।८– पर स्त्री समागम ना करें।९–अधिक भोजन ना करें।१०– बासी दुर्गंध युक्त भोजन ना करें।११–देहली पर ना बैठें।१२– दिन में स्त्री समागम ना करें।१३– मांसाहार ना करें।१४–देर रात्रि भोजन ना करें।१५–झूठ ना बोलें।१६–शुभ कार्यों में विलम्ब ना करें।१७–विवाह अधिक आयु में ना करें।१८–भ्रूण हत्या ना करें।१९– कच्चे फल ना तोडें।२०– सूर्यास्त के बाद वृक्ष के पत्ते फल और टहनी ना तोडें।२१–दूसरे का गेट और दीवार फांदकर ना जाएं।२२–अग्निहोत्र को जल से ना बुझाएं।२३– नदियों को दूषित ना करें।२४–नाखून ना चबाएं।

२५– बे वजह सिर ना खुजलाएं।२६–जल में मल – मूत्र त्याग ना करें और ना ही कुल्ला करें।२७–उत्तर दिशा में सिर करके ना सोएं।२८–अन्न की थाली को पैर ना मारें।२९– क्रोध की अवस्था में भोजन ना करें।३०–भोजन करते समय बातें ना करें।३१–बिना बताए भोजन के समय किसी के घर ना जाएं।३२– दीपक को फूंक मारकर ना बुझाएं।३३–कन्या से अपने पैर ना दबवाएं।३४–भोजन करने के बाद उछल कूद ना करें।३५–नव प्रसूता गांय का दूध १० दिन तक ना पीएं।३६–स्त्री पति से पहले भोजन ना करें।३७– बांझ स्त्री का तिरस्कार ना करें।३८– गर्भवती महिला को प्रताड़ित ना करें।३९– अपनी प्रशंसा ना करें।४०– अपनी कमजोरी दूसरों को ना बताएं।४१– बीमार होने पर मैथुन ना करें।

४२–अतिथियों का अपमान ना करें।४३– पूस – माघ – श्रावण – श्राद्ध – उपवास में स्त्री समागम ना करें।४४–वृक्ष की जड और तने में मूत्र त्याग ना करें।४५– सोए हुए को लांघकर ना जाएं।४६–गुरु पत्नी को कु दृष्टि से ना देखें।४७–भोजन के लिए लडाई ना करें।४८– प्रसाद जब भी मिलें बांट कर ग्रहण करें।४९– भोजन करते समय कोई बगल में बैठा हो उसे भी भोजन के लिए अवश्य पूछें।५० — दूसरों से छिपा छिपाकर कोई वस्तु ना खाएं।५१– उत्तेजक गानों के आवेश में नृत्य ना करें।५२–अन्न के तुरंत बाद अधिक जल‌ ना पीएं।५३– जो पैर छुए उसे आशीर्वाद और मंगल दें।५४– घर आए व्यक्ति को जल‌ अवश्य पूछें।५५– बिना सोचे विचारे वचन ना दें अथवा कसम आदि ना खाएं।५६– क्षमा मांगने में विलम्ब ना करें।”””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””योग वासिष्ठ पढें।योग वासिष्ठ ही कल्याण और मुक्ति का शास्त्र है।