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उत्कलखण्ड या पुरुषोत्तमक्षेत्र-महात्म्य〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️पुरुषोत्तमक्षेत्र के विभिन्न तीर्थों और देवताओं का परिचय, तीर्थ और भगवान् की महिमा तथा पापपरायण पुण्डरीक और अम्बरीष का उस क्षेत्र में आना…(भाग 3)〰️〰️🌼〰️〰️🌼〰️〰️🌼〰️〰️🌼〰️〰️यमराज से ऐसा कहकर लक्ष्मीजी ने आगे खड़े हुए ब्रह्माजी से कहा- सत्ययुग में राजा इन्द्रद्युम्न होने वाले हैं, जो भगवान् विष्णु के परम भक्त तथा शास्त्रों के विद्वान् होंगे। प्रजानाथ ! उस राजा पर अनुग्रह करने के लिये भगवान् एक काष्ठ से उत्पन्न चार प्रतिमाओं के रूप में अभिव्यक्त होंगे। काष्ठ की उन प्रतिमाओं का निर्माण स्वयं विश्वकर्मा करेंगे और तुम इन्द्रद्युम्न पर प्रसन्न होकर उन प्रतिमाओं की स्थापना कराओगे। लक्ष्मीजी की यह बात सुनकर ब्रह्मा और यमराज दोनों परम प्रसन्न होकर अपने-अपने स्थान को चले गये।
पुरुषोत्तम क्षेत्र की महिमा का बार-बार स्मरण करके विस्मय और हर्ष से उनके शरीर में रोमांच हो आता था। मुनियो ! इस समय उस क्षेत्र में इन्द्रद्युम्न की भक्ति से सन्तुष्ट हो नीलमेघ के समान श्यामसुन्दर शंखचक्रधारी भगवान् काष्ठमय शरीर धारण करके सम्पूर्ण लोकों का उपकार करने के लिये नीलाचल की गुफा में विराजमान हैं। करुणासागर भगवान् काष्ठनिर्मित बलभद्र, सुभद्रा तथा सुदर्शनचक्र की प्रतिमाओं के साथ स्वयं भी दारुमय विग्रह धारण करके शरणागतों की पीड़ा का नाश करते हैं। उनका दर्शन करके मनुष्य पापों के सुदृढ़ बन्धन से भी मुक्त हो जाता है। भगवान् विष्णु का यह परम उत्तम स्थान अत्यन्त गुप्त है तथा वह अलौकिक प्रतिमा लौकिक रूप से प्रकाशित है। राजा इन्द्रद्युम्न को दारुमय शरीर धारण करने वाले भगवान ने वर दिया है।
भगवान् दीनों और अनाथों के एकमात्र शरण हैं। भवसागर से पार उतारने के लिये नौका हैं। उनके चरण समस्त चराचर जगत् के लिये वन्दनीय हैं। वे ही सबके परम आश्रय हैं। भगवान् नारायण सम्पूर्ण जगत् की उत्पत्ति के स्थान तथा सृष्टि और संहार के कारण हैं। वे समस्त पापों को छुड़ाने वाले तथा सब आपत्तियों का नाश करने वाले हैं। विभूतियों का प्रसार करने वाले तथा सब योगियों को वरण करने वाले हैं। सम्पूर्ण जीवों का भरण तथा अखिल विश्व को धारण करने वाले भी वे ही हैं। वे सब भाषाओं को बोलते और समस्त दुष्कर्मों का विनाश करते हैं। मुनीश्वरो ! तुम अनन्यभाव से उन्हीं भगवान् श्रीहरि की शरण लो। वे चेष्टारहित काष्ठ शरीर धारण करके भी दिव्य लीला विलास करने वाले हैं। थोड़ी-सी भक्ति करने पर भी मनुष्यों के सौ-सौ अपराध क्षमा करते हैं।
क्रमशः…
शेष अगले अंक में जारी
✍️ज्यो:शैलेन्द्र सिंगला पलवल हरियाणा mo no/WhatsApp no9992776726
नारायण सेवा ज्योतिष संस्थान