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शिव तत्व ज्ञान वर्णन… (भाग 1) ऋषि बोले- हे वासुदेव! पशु और पाश के स्वामी कौन हैं? तब ऋषिगणों का प्रश्न सुनकर वायुदेव बोले- हे ऋषियो! पशु और पाश के निवारक परमेश्वर हैं। परमेश्वर सर्वव्यापक है। उसने ही संसार का निर्माण किया है। ईश्वर की प्रेरणा से ही जीव संसार में जन्म लेता है। परमात्मा ही सबका कर्ता है। जिस प्रकार अंधे मनुष्य को कुछ दिखाई नहीं देता, उसी प्रकार मनुष्य भी परमेश्वर को नहीं देख पाता। पशु एवं पाश को जब ज्ञान प्राप्त होता है तो ब्रह्मज्ञानियों को मुक्ति मिल जाती है।
परमेश्वर महाज्ञानी और मायावी हैं। वह सारे संसार को अपने अधीन कर लेते हैं। वही संसार की सृष्टि, पालन और संहार करने वाले हैं। त्रिलोकीनाथ देवाधिदेव भगवान शिव ही परमेश्वर हैं। उन्होंने ही आकाश और पृथ्वी की रचना की है। उन्होंने ही सभी जीवों एवं देवताओं को रचा है। अतः वे ही पुराण पुरुष हैं। अपनी अपार अलौकिक शक्ति से उन्होंने पूरे त्रिलोक की रचना की और उसका पालन करते हैं तथा समय आने पर इसका विनाश भी स्वयं कर देते हैं।
संसार रूपी वृक्ष के दो पत्ते हैं- जीवात्मा और परमात्मा। जीवात्मा अपने कर्म के फल को भोगती है और परमात्मा उसका लेखा-जोखा रखते हैं।
परमात्मा का प्रकाश एवं तेज चारों ओर फैला हुआ है। गुह्योपनिषद के अनुसार परब्रह्म को जानने वाला मनुष्य जन्म-मरण के बंधनों से मुक्त हो जाता है। इसलिए सदाशिव की भक्ति कर मोक्ष प्राप्ति की इच्छा करनी चाहिए। वे कल्याणकारी सदाशिव ही सब कामनाओं को पूरा करने वाले हैं। उनके अमृतरूपी ज्ञान के बिना मुक्ति संभव नहीं है। अतः सर्व व्यापक सर्वेश्वर शिव का ही ध्यान और स्मरण करना चाहिए।
क्रमशः शेष अगले अंक में…
✍️ज्यो:शैलेन्द्र सिंगला पलवल हरियाणा mo no/WhatsApp no9992776726
नारायण सेवा ज्योतिष संस्थान