देवभूमि न्यूज 24.इन
संयुक्त राष्ट्र ने 23 सितंबर 2018 को पहली बार अंतर्राष्ट्रीय सांकेतिक भाषा दिवस मनाने की घोषणा की थी। 23 सितंबर 1951 को विश्व फेडरेशन की स्थापना की गई थी। इसके उपलक्ष्य में हर साल अंतर्राष्ट्रीय साइन लैंग्वेज डे मनाया जाता है।
अंतर्राष्ट्रीय सांकेतिक भाषा दिवस का इतिहास <<
सांकेतिक भाषा का प्रारंभिक प्रमाण पांचवीं शताब्दी ईसा पूर्व में प्लेटो की क्रेटीलस में मिला था। इस पर सुकरात ने कहा है कि अगर हमारे पास सुनने और बोलने की शक्ति नहीं होती है और हम एक दूसरे से अपना विचार व्यक्त करना चाहते हैं
तो उस स्थिति में हम अपने हाथों, सिर और शरीर के अन्य अंगों द्वारा संकेतों के माध्यम से बातचीत करने की कोशिश करते हैं। 1620 में जुआन पाब्लो बोनेट ने मेड्रिड में मूक-बधिर लोगों के संवाद को समर्पित पहली किताब पब्लिश की थी। जिसके बाद 1680 में जोर्ज डालगार्नो ने भी एक और पुस्तक पब्लिश की थी।
इसके बाद 1755 में अब्बे डी लिपि ने पेरिस में बधिर बच्चों के लिए पहला विद्यालय की स्थापना की थी। जिसके बाद 19वीं सदी में अमेरिका और अन्य देशों में भी बधिर बच्चों के लिए ऐसे अनेक स्कूलों की स्थापना धीरे-धीरे होने लगी।
अंतर्राष्ट्रीय सांकेतिक भाषा दिवस 2024 का थीम <<
23 सितंबर को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सांकेतिक भाषा दिवस मनाया जाता है। इस दिन का उद्देश्य सांकेतिक भाषा के बारे में जागरूकता फैलाना है। इस साल अंतर्राष्ट्रीय सांकेतिक भाषा दिवस की थीम है- ‘साइन अप फॉर साइन लैंग्युजेज राइट्स’।
एजुकेशन प्वाइंट