देवभूमि न्यूज नेटवर्क
कोलकाता
इंदिरा एकादशी हिंदू धर्म में महत्वपूर्ण व्रत और उपवास का दिन है। यह व्रत अश्विन मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को मनाया जाता है। इस साल इंदिरा एकादशी २८ सितम्बर को पड़ेगा। इंदिरा एकादशी का मुख्य उद्देश्य पितरों (पूर्वजों) की आत्मा की शांति और मुक्ति के लिए होता है। इस व्रत का पालन करने से माना जाता है कि पितरों को पापों से मुक्ति मिलती है और वे स्वर्गलोक की प्राप्ति करते हैं।
इंदिरा एकादशी व्रत का महत्व:
पितृ मोक्ष: यह व्रत खासकर उन लोगों के लिए महत्वपूर्ण होता है
जो अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए पूजा और व्रत करना चाहते हैं।
पुण्य लाभ: इंदिरा एकादशी का व्रत करने से व्यक्ति को भी धर्म, पुण्य और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
भगवान विष्णु की आराधना: इस दिन भगवान विष्णु की पूजा का विशेष महत्व होता है, क्योंकि वे ही पापों से मुक्ति और मोक्ष प्रदान करते हैं।
व्रत की कथा:
पौराणिक कथा के अनुसार, एक राजा इंद्रसेन के पितृगण स्वर्ग में स्थान पाने के बजाय नरक में थे। नारद मुनि ने राजा को इंदिरा एकादशी का व्रत रखने का सुझाव दिया ताकि उनके पितरों को मुक्ति मिल सके। राजा ने विधिपूर्वक व्रत किया और पितरों की आत्मा को मोक्ष प्राप्त हुआ।
व्रत विधि:
एक दिन पहले (दशमी को) सात्विक भोजन करें और ब्रह्मचर्य का पालन करें।
एकादशी के दिन प्रातः स्नान करके भगवान विष्णु की पूजा करें।
पूरे दिन निराहार या फलाहार करें और ध्यान, भजन-कीर्तन में समय बिताएं।
अगले दिन द्वादशी को व्रत का पारण करें।
इंदिरा एकादशी का व्रत व्यक्ति के लिए न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह मानसिक और आत्मिक शुद्धि का भी प्रतीक है।
डॉ सुमित्रा अग्रवाल
वास्तु शास्त्री,यूट्यूब वास्तु सुमित्रा
कोलकाता