*देवभूमि न्यूज 24.इन*
हिमाचल सरकार को सुप्रीम कोर्ट में एक और कोर्ट केस में राहत मिली है। हिमाचल हाई कोर्ट ने 14 मई 2024 को दिए फैसले में राज्य के सरकारी स्कूलों में तैनात मिड डे मील वर्करों को 10 महीने के बजाय 12 महीने मानदेय देने के आदेश दिए थे। हाई कोर्ट ने कहा था कि सरकारी स्कूलों में तैनात इन कर्मचारियों को अन्य सरकारी कर्मचारियों के बराबर ही माना जाए और उन्हें 2 महीने की स्कूल की छुट्टियों के दौरान का मानदेय भी दिया जाए।
इस फैसले के खिलाफ हिमाचल सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में स्पेशल लीव पिटीशन दायर की थी। जस्टिस दीपंकर दत्ता और जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा की खंडपीठ ने संबंधित पक्षों को नोटिस जारी करते हुए हाई कोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी है। हिमाचल हाईकोर्ट में यह याचिका हिमाचल प्रदेश मिड डे मील वर्कर्स यूनियन ने दायर की थी। यूनियन ने बाकी सरकारी कर्मचारियों के बराबर अधिकार मांगे थे।
हिमाचल सरकार के पास राज्य में 13000 से ज्यादा सरकारी स्कूल हैं और इनमें करीब 22000 मिड डे मील वर्कर और हेल्पर तैनात हैं।
हिमाचल सरकार हर साल 05 लाख से ज्यादा बच्चों को मिड डे मील उपलब्ध करवा रही है। इस योजना को चलाने वाले कर्मी सरकारी कर्मचारी नहीं हैं और कुछ घंटों के लिए ही स्कूल में बुलाया जाता है। इन्हें वेतन के बजाय मानदेय दिया जाता है। स्कूल में होने वाली छुट्टियों के कारण इस अवधि का मानदेय इन्हें नहीं दिया जाता। इसी व्यवस्था के खिलाफ यूनियन हिमाचल हाईकोर्ट गई थी।