कृष्ण पक्ष प्रदोष व्रत भगवान शिव की आराधना का महत्वपूर्ण व्रत

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डॉ सुमित्रा अग्रवाल
वास्तु शास्त्री
यूट्यूब वास्तु सुमित्रा

देवभूमि न्यूज नेटवर्क
कोलकाता

२९ सितम्बर को प्रदोष व्रत है। कृष्ण पक्ष प्रदोष व्रत हिंदू धर्म में भगवान शिव की आराधना के लिए रखा जाने वाला महत्वपूर्ण व्रत है। यह व्रत हर महीने के कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को किया जाता है। प्रदोष व्रत का विशेष महत्व है क्योंकि इसे करने से भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है और जीवन में सुख-समृद्धि और स्वास्थ्य में सुधार होता है।

प्रदोष व्रत विधि (कैसे करें प्रदोष व्रत):
व्रत की पूर्व संध्या (द्वादशी)

व्रत से एक दिन पहले हल्का और सात्विक भोजन करें।
अगले दिन के व्रत के लिए मन और शरीर की शुद्धि का संकल्प लें।
व्रत का दिन (त्रयोदशी)

सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और भगवान शिव का ध्यान करते हुए व्रत का संकल्प लें।
पूरे दिन निराहार या फलाहार करके उपवास रखें। कुछ लोग केवल जल ग्रहण करते हैं।
दिन में भगवान शिव के मंत्र, जैसे “ॐ नमः शिवाय” का जाप करें और शिवपुराण का पाठ या शिव से संबंधित कथाएं सुनें।
शाम को सूर्यास्त के बाद (प्रदोष काल, यानी सूर्यास्त से लगभग 1.5 घंटे पहले) भगवान शिव की पूजा आरंभ करें।
शिव पूजन विधि:

शिवलिंग पर गंगा जल, दूध, दही, शहद और बेलपत्र अर्पित करें।
धूप, दीप, पुष्प, फल और नैवेद्य चढ़ाएं।
भगवान शिव और माता पार्वती की आरती करें।
प्रदोष व्रत की कथा सुनें या सुनाएं। यह कथा भगवान शिव और भक्तों के बीच के दिव्य संवाद को दर्शाती है।
रात्रि में जागरण करें और भगवान शिव के भजन-कीर्तन करें।
अगले दिन (चतुर्दशी)

अगले दिन सुबह पूजा-अर्चना करके व्रत का पारण करें। पारण का मतलब है कि व्रत खोलकर भोजन ग्रहण करें।
गरीबों को दान करना और ब्राह्मणों को भोजन कराना इस दिन विशेष फलदायी माना जाता है।


प्रदोष व्रत से होने वाले लाभ:
सुख-समृद्धि और धन: प्रदोष व्रत करने से भगवान शिव की कृपा से जीवन में सुख-समृद्धि और धन की प्राप्ति होती है।
स्वास्थ्य और दीर्घायु: यह व्रत शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को सुधारने के लिए उत्तम माना जाता है। शिवजी की आराधना से सभी रोगों और परेशानियों से मुक्ति मिलती है।
पापों का नाश: प्रदोष व्रत व्यक्ति के पूर्व जन्मों के पापों को भी समाप्त करने में सहायक होता है।
मोक्ष की प्राप्ति: यह व्रत मोक्ष (मुक्ति) दिलाने में सहायक होता है। जो व्यक्ति यह व्रत श्रद्धा और नियमों के साथ करता है, उसे जीवन के बाद मोक्ष की प्राप्ति होती है।
वैवाहिक जीवन में सुधार: भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा से दांपत्य जीवन में खुशियां आती हैं। जिन लोगों के वैवाहिक जीवन में समस्याएं हैं, उन्हें यह व्रत करने से समाधान मिलता है।
प्रदोष व्रत भगवान शिव की अनुकंपा पाने का उत्तम मार्ग है और इसे श्रद्धा और भक्ति के साथ करने से अनेक लाभ प्राप्त होते हैं।