पितृपक्ष 2024 : कितनी पीढ़ी तक रहता है पितृदोष, श्राद्ध पक्ष में कैसे पाएं इससे मुक्ति

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 *देवभूमि न्यूज 24.इन*

⭕कितनी पीढ़ी तक रहता है पितृदोष: पितृदोष के संबंध में ज्योतिष और पुराणों की अलग अलग धारणा है लेकिन यह तय है कि यह हमारे पूर्वजों और कुल परिवार के लोगों से जुड़ा दोष है। श्राद्ध तीन पीढ़ियां पितृ, पितामह और परपितामह तक का ही होता है और पितृ दोष कम से कम तीन पीढ़ियों तक और अधिकतम 7 पीढ़ियों तक रहता है। देवतुल्य स्थिति में तीन पीढ़ी के पूर्वज गिने जाते हैं। पिता को वसु के समान, रुद्र दादा के समान और परदादा आदित्य के समान माने गए हैं।

🚩पितृत्रयी:- पितरों का श्राद्ध कर्म तीन पीढ़ीयों के पितरों के लिए किया जाता है। इसे ही पितृत्रयी कहते हैं। तीन पीढ़ियों के पूर्वजों में पिता, दादा और परदादा शामिल होते हैं। तर्पण, पिंडदान, श्राद्ध, भोज और दान करने से यह दोष समाप्त हो जाता है।

🚩7 पीढ़ियों तक रहता है पितृदोष:- पितृदोष किसी व्यक्ति के कर्म पर आधारित होता है। पिता के अच्‍छे और बुरे कर्म का भुगतान बच्चों को भी करना पड़ता है और बच्चों के बच्चों को भी इनका फल मिलता है। जैसे एक व्यक्ति ने अपने कर्म से जीवनभर की मेहनत से जो संपत्ति अर्जित की अब उस संपत्ति का भोग उसका पुत्र और पोता करेगा। पुत्र और पोते ने भले ही मेहनत नहीं कि लेकिन उनके पिता या दादा की मेहनत का फल उन्हें मिल रहे है। इसी तरह कर्म का फल भी पुत्र और पोते को भोगना होता है।

🚩पितृदोष का प्रभाव:- पितृ दोष लगने से घर में लड़ाई झगड़ा और घर में कलेश का माहौल रहता है। इस दोष से पीड़ित संतानों को संतान की ओर से हानि होती है। इसके अलावा विवाह में देरी, संतान प्राप्ति में बाधा और पैसों में बरकत न होने जैसी समस्या होती है।

🚩श्राद्ध के अधिकारी:- पिता का श्राद्ध पुत्र को ही करना चाहिए। पुत्र के न होने पर पत्नी श्राद्ध कर सकती है। पत्नी न होने पर सगा भाई और उसके भी अभाव में संपिंडों को श्राद्ध करना चाहिए। एक से अधिक पुत्र होने पर सबसे बड़ा पुत्र श्राद्ध करता है। पुत्री का पति एवं पुत्री का पुत्र भी श्राद्ध के अधिकारी हैं। पुत्र के न होने पर पौत्र य प्रपौत्र भी श्राद्ध कर सकते हैं।

पुत्र, पौत्र या प्रपौत्र के न होने प विधवा स्त्री श्राद्ध कर सकती है। पत्नी का श्राद्ध व्यक्ति तभी कर सकता है, जब कोई पुत्र न हो। पुत्र, पौत्र या पुत्री का पुत्र न होने पर भतीजा भी श्राद्ध कर सकता है। गोद लिया पुत्र भी श्राद्ध का अधिकारी माना गया है।
🚩#हरिऊँ🚩