देवभूमि न्यूज नेटवर्क
कोलकाता
२ अक्टूबर को है अश्विन अमावस्या। अश्विन अमावस्या (जिसे पितृ अमावस्या या सर्वपितृ अमावस्या भी कहा जाता है) हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखती है, क्योंकि यह पितृ पक्ष का अंतिम दिन होता है। इस दिन पितरों (पूर्वजों) की आत्मा की शांति के लिए विशेष पूजा और तर्पण किया जाता है। यह दिन पूर्वजों का आशीर्वाद पाने और उनके प्रति सम्मान व्यक्त करने के लिए महत्वपूर्ण होता है।
अश्विन अमावस्या का महत्व:
पितरों की तृप्ति: अश्विन अमावस्या पर पितरों के प्रति आस्था और सम्मान व्यक्त किया जाता है। मान्यता है कि इस दिन तर्पण, श्राद्ध और पिंडदान करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है और उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है।
पुण्य का लाभ: इस दिन किए गए धार्मिक कार्यों से व्यक्ति को पुण्य की प्राप्ति होती है। पितरों की संतुष्टि से जीवन में सुख-समृद्धि और शांति आती है।
पूर्वजों के ऋण से मुक्ति: पितरों का ऋण चुकाने के लिए अश्विन अमावस्या का दिन उत्तम माना जाता है। इससे पारिवारिक समस्याएं, स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां और आर्थिक कठिनाइयों से मुक्ति मिलती है।
अश्विन अमावस्या पर क्या करना चाहिए:
तर्पण और पिंडदान:
प्रातःकाल स्नान करने के बाद पितरों के लिए तर्पण करें। तर्पण करने के लिए जल में तिल और कुशा मिलाकर अर्पित किया जाता है।
पिंडदान में चावल के पिंड बनाए जाते हैं और इन्हें जल, दूध, घी और तिल के साथ पितरों को अर्पित किया जाता है।
श्राद्ध कर्म:
श्राद्ध कर्म का आयोजन करें। यह कर्म आमतौर पर ब्राह्मणों को भोजन कराकर, दान देकर और पितरों के नाम से विधिपूर्वक पूजा करके किया जाता है।
श्राद्ध के दौरान ब्राह्मणों को पितरों की आत्मा की शांति के लिए भोजन कराना विशेष रूप से महत्वपूर्ण होता है।
गरीबों और जरूरतमंदों को दान:
अश्विन अमावस्या पर गरीबों को भोजन, वस्त्र और धन का दान करना पुण्यकारी माना जाता है।
आप अन्न, वस्त्र, और तिल का दान कर सकते हैं, जो पितरों की कृपा पाने का उत्तम उपाय है।
भगवान विष्णु और भगवान शिव की पूजा:
पितरों के साथ-साथ भगवान विष्णु और भगवान शिव की पूजा करें। विष्णु और शिवजी को तर्पण और श्राद्ध का मुख्य देवता माना जाता है। इसलिए उनकी पूजा से पितरों को शांति मिलती है।
ध्यान और प्रार्थना:
इस दिन ध्यान, प्रार्थना और पूर्वजों के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करें। उनके द्वारा दिए गए जीवन और संस्कारों के लिए आभार प्रकट करें।
विशेष कार्य:
घर के बड़े-बुजुर्गों का आशीर्वाद लें और अपने परिवार की सुख-समृद्धि के लिए प्रार्थना करें।
नदी, तालाब या किसी पवित्र जलाशय के पास जाकर तर्पण और पिंडदान करने से अधिक फल की प्राप्ति होती है।
अश्विन अमावस्या का महत्व संपूर्ण भारत में:
इस दिन विशेष रूप से उत्तर भारत, खासकर उत्तर प्रदेश, बिहार और राजस्थान में तर्पण और श्राद्ध के लिए गंगा तट पर लोग एकत्र होते हैं।
बंगाल में इसे महालय अमावस्या के रूप में जाना जाता है और दुर्गा पूजा की तैयारियां इस दिन से शुरू होती हैं।
अश्विन अमावस्या पर श्रद्धा और विधि-विधान से पितरों की पूजा करने से उनकी आत्मा को शांति मिलती है और घर में सुख-समृद्धि और शांति का वास होता है।