पहले से ही बीमार लोग धोखे से रियल जूस को असली जूस समझ कर पी रहे हैं
यह दवा मेरा नहीं ICMR का है
देवभूमि न्यूज नेटवर्क
हिमाचल प्रदेश
चंम्बा
डॉ अर्चिता महाजन न्यूट्रिशन डाइटिशियन और चाइल्ड केयर होम्योपैथिक फार्मासिस्ट और ट्रेंड योगा टीचर नॉमिनेटेड फॉर पद्म भूषण राष्ट्रीय पुरस्कार और पंजाब सरकार द्वारा सम्मानित ने बताया कि आजकल बड़ा चलन हो गया है। जब भी कोई बीमार होता है तो उसके रिश्तेदार उसको रियल जूस लेकर उसके घर जाते हैं हाल-चाल लेने और फिर जबरदस्ती उसे पिला दिया जाता है जूस पिलाने वाला भी और पीने वाला भी दोनों धोखे में रह जाते हैं कि यह जूस नहीं है रियल सिर्फ ब्रांड है।ICMR के मुताबिक, बाजार में मिल रहे रियल फ्रूट जूस असल में फलों का रस नहीं है।
इसमें बमुश्किल 10% ही फ्रूट पल्प होता है। बाकी 90% हिस्सा कॉर्न सिरप, फ्रुक्टोज या अन्य शुगरी प्रोडक्ट्स से बना हो सकता है।इसके साथ ही इसमें फ्रूक्टोज की मात्रा भी ज्यादा होती है. एक कप जूस में करीब 21 ग्राम शुगर भी होती है. इसलिए जूस का ज्यादा सेवन शरीर के कई चीजों पर असर करता है. ज्यादा शुगर के कारण यह ब्लड शुगर को बहुत तेजी से बढ़ा देता
पूरी दुनिया में पैकेज्ड फूड का बाजार बढ़ रहा है। सुपरमार्केट तरह-तरह के रियल फ्रूट जूस, एनर्जी ड्रिंक्स, हेल्थ ड्रिंक्स के पैकेट से पटे पड़े हैं। यह सस्ता है और आसानी से उपलब्ध भी। इतना ही नहीं, इनका दावा है कि ये सेहत के लिए न सिर्फ अच्छे बल्कि जरूरी भी हैं। हमारे फेवरेट सुपरस्टार इनका विज्ञापन कर रहे हैं
और बता रहे हैं कि हेल्दी रहने के लिए वे रोज ये रियल फ्रूट जूस, एनर्जी ड्रिंक्स पीते हैं। यहां तक कि अस्पतालों में भी मरीज को ये पैकेज्ड फ्रूट जूस ही दिए जा रहे हैं।लेकिन क्या आप जानते हैं कि ये जूस हमेंसेहतमंद बनाने की बजाय बीमार कर रहे हैं। ऐसा हम नहीं कह रहे हैं। यह दावा है भारत की सबसे पुरानी और सबसे विश्वसनीय हेल्थ रिसर्च बॉडी इंडियन काउंसिंल ऑफ मेडिकल रिसर्च ICMR ने कहा है कि अगर हम पैकेज्ड फूड के लेबल देखकर इनका सेवन कर रहे हैं तो अपनी सेहत के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं क्योंकि पैकेज्ड फूड के लेबल भ्रामक या गलत हो सकते हैं। रियल फ्रूट जूस बताकर बेचे जा रहे जूस के पैकेट में सेब, अनार और चुकंदर का रस नहीं है, बल्कि ढेर सारी चीनी घोली गई है और इन फलों का आर्टिफिशियल फ्लेवर मिलाया गया है। क्या real juice सच में असली फलों से बनता है?
वास्तविकता यह है कि किसी भी फल के रस को लंबे समय तक खराब होने से बचाने के दो ही तरीके हैं। पहला उसमे संरक्षक रसायन जैसे “सोडियम बेंजोएट” या “पोटैशियम मेटाबाइसल्फाइड” मिलाना, या अधिक मात्रा मे शक्कर या नमक मिला कर उसकी सांद्रता बढाना।इसी लिए कोई पैक्ड फ्रूट जूस स्वास्थ्य के लिए लाभदायक हो ही नही सकता।अगर कोई कंपनी ऐसा दावा कर रही है तो समझिए वह झूठ बोल रही है।तभी ये फलों के मुकाबले इतने सस्ते भी हैं और इतने मीठे भी।ICMR के मुताबिक, शुगर-फ्री टैग के साथ बिक रहे फूड आइटम्स भी हमारे साथ धोखा है। इनमें रिफाइंड फैट, प्योरीफाइड आर्टिफिशियल न्यूट्रिएंट्स और यहां तक कि शुगर भी मिला हो सकता है। यानी बाजार से जो चीजें हम यह सोचकर खरीदकर ला रहे हैं कि इससे हमारी सेहत को फायदा होगा, वो दरअसल हमारी सेहत के साथ खिलवाड़ कर रही हैं।