मनी लांड्रिंग मामले में कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया व अन्य लोगो के विरुद्ध मामला दर्ज

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देवभूमि न्यूज 24.इन

मैसूर। प्रवर्तन निदेशालय ने मैसूर शहरी विकास प्राधिकर से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग के एक मामले में कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और कुछ अन्य लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया है. आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि हाल ही में राज्य लोकायुक्त की एफआईआर का संज्ञान लेते हुए ईडी ने मुख्यमंत्री और अन्य लोगों के खिलाफ मामला दर्ज करने के लिए प्रवर्तन मामले की सूचना रिपोर्ट (ईसीआईआर) दायर की है. मैसूर स्थित लोकायुक्त पुलिस प्रतिष्ठान द्वारा 27 सितंबर को दर्ज एफआईआर में सिद्धारमैया, उनकी पत्नी बी एम पार्वती, उनके साले मल्लिकार्जुन स्वामी और देवराजू (जिनसे स्वामी ने जमीन खरीदकर पार्वती को उपहार में दी थी) और अन्य लोगों के नाम शामिल हैं.

पिछले हफ्ते बेंगलुरु की एक विशेष अदालत द्वारा इस मामले में सिद्धारमैया के खिलाफ लोकायुक्त पुलिस जांच का आदेश दिए जाने के बाद एफआईआर दर्ज की गई। फिर… कर्नाटक के राज्यपाल थावरचंद गहलोत ने 16 अगस्त को भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 की धारा 17A और भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS)2023 की धारा 218 के तहत सिद्धारमैया के खिलाफ केस चलाने की इजाजत दी थी. इसके बाद सीएम की तरफ से राज्यपाल के आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी. हाईकोर्ट ने राज्यपाल के आदेश को बरकरार रखते हुए सिद्धारमैया की याचिका खारिज कर दी थी. ईडी ने सिद्धारमैया के खिलाफ ईसीआईआर में मामला दर्ज करने के लिए धन मनी लॉन्ड्रिंग अधिनियम (पीएमएलए) की धाराओं को लागू किया है,

जो पुलिस एफआईआर के बराबर है. प्रक्रिया के अनुसार, ईडी को जांच के दौरान आरोपियों को पूछताछ के लिए बुलाने और यहां तक ​​कि उनकी संपत्ति जब्त करने का अधिकार है। 76 वर्षीय सिद्धारमैया ने पिछले सप्ताह कहा था कि उन्हें मुडा मुद्दे में निशाना बनाया जा रहा है। क्योंकि विपक्ष उनसे “डरा हुआ” है और उन्होंने कहा कि यह उनके खिलाफ पहला ऐसा “राजनीतिक मामला” है. उन्होंने यह भी दोहराया कि मामले में उनके खिलाफ जांच के लिए अदालत के आदेश के बाद वह इस्तीफा नहीं देंगे क्योंकि उन्होंने कोई गलत काम नहीं किया है. उन्होंने जोर देकर कहा कि वह कानूनी लड़ाई लड़ेंगे. जब सरकार किसी जमीन का अधिग्रहण करती है तो मुआवजे के तौर पर दूसरी जगह जमीन देती है. पूरा कथित मुडा स्कैम भी इसी से जुड़ा है. ये पूरा मामला सिद्धारमैया की पत्नी बीएम पार्वती को मुआवजे के रूप में मिली 14 प्रीमियम साइट से जुड़ा है. ये प्लॉट मैसूर में हैं.आरोप है कि सिद्धारमैया और उनकी पत्नी पार्वती ने खिसक गई लोगों के पैरों तले जमीन मुडा से गैरकानूनी तरीके से जमीन ली. दावा है कि इसमें 4 हजार करोड़ रुपये का घोटाला हुआ है. जिस जमीन की यहां बात हो रही है वो केसारू गांव की 3.16 एकड़ का प्लॉट है. साल 2005 में इस जमीन को सिद्धारमैया के बहनोई मल्लिकार्जुन स्वामी देवराज को ट्रांसफर कर दिया गया था. दावा है कि मल्लिकार्जुन स्वामी ने 2004 में सरकारी अफसरों और जाली दस्तावेजों की मदद से इस जमीन को अवैध रूप से अपने नाम करवा लिया था। ऐसा दावा है

कि मल्लिकार्जुन ने वो जमीन 2010 में सिद्धारमैया की पत्नी पार्वती को तोहफे में दे दी. हालांकि, बाद में इस जमीन का मुडा ने अधिग्रहण कर लिया. इस जमीन के बदले में पार्वती को दूसरी जगह जमीन दी जानी थी.2014 में जब सिद्धारमैया कर्नाटक के मुख्यमंत्री थे, तब उनकी पत्नी पार्वती ने MUDA की 50:50 स्कीम के तहत मुआवजे का आवेदन दिया. इस स्कीम के तहत, अगर किसी की जमीन को अधिग्रहित किया जाता है, तो बदले में दूसरी जगह जमीन दी जाती है. मसलन, अगर किसी की 2 एकड़ जमीन अधिग्रहित की जाती है तो उसे दूसरी जगह 1 एकड़ जमीन दी जाती है. आरोप है कि MUDA ने मैसूर की प्राइम लोकेशन पर पार्वती को जमीन दी. ये जमीन 14 अलग-अलग जगहों पर थी. दावा है कि सिद्धारमैया की पत्नी को उन इलाकों में जमीन दी गई, जहां सर्किल रेट ज्यादा था, जिससे उसकी कीमत केसारू की असल जमीन से ज्यादा हो गई.ये मामला तब सामने आया जब मंजूनाथ स्वामी नाम के व्यक्ति ने मैसूर के डिप्टी कमिश्नर को चिट्ठी लिखकर केसारू गांव की उस जमीन को अपनी पैतृक संपत्ति बताया. स्वामी ने दावा किया कि उसके चाचा देवराज ने धोखे से उस जमीन पर कब्जा कर लिया और बाद में सिद्धारमैया के बहनोई मल्लिकार्जुन को बेच दिया।