शिमला के जाखू मंदिर में आज भी दिखते हैं हनुमानजी के पद चिन्ह
देवभूमि न्यज डेस्क
शिमला
चैत्र मास की पूर्णिमा तिथि को हनुमान जी का जन्मोत्सव मनाया जाता है। इस साल हनुमान जयंती 6 अप्रैल को मनाई जा रही है इस दिन बजरंगबली के विभिन्न रूपों की पूजा की जाती है।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार हनुमान जयंती पर बजरंग बली के 108 नामों का जाप करने से भय, दरिद्रता और संकट दूर होते हैं। शिमला का जाखू मंदिर पूरी दुनिया में मशहूर है। कहा जाता है कि हनुमान जी की पूजा करने और उनका नाम जपने मात्र से ही दुष्ट आत्माएं भाग जाती हैं। देश भर में कई प्रसिद्ध बजरंग बली मंदिर भी हैं जो पूरी दुनिया में प्रसिद्ध हैं। इन्हीं में से एक है शिमला के जाखू में स्थित शिमला का ‘जाखू मंदिर’, जहां हिमाचल ही नहीं देश-विदेश से भी लोग हनुमानजी के दर्शन के लिए आते हैं।
शिमला के जाखू मंदिर की कहानी?
कहा जाता है कि जब हनुमानजी लक्ष्मणजी के लिए संजीवनी बूटी लाने के लिए हिमालय की ओर जा रहे थे, तब मूर्च्छित होने पर उन्हें यक्ष नाम के एक ऋषि दिखाई दिए, जो यहां तपस्या कर रहे थे, जिनसे उन्हें संजीवनी बूटी दी गई थी। इसके बारे में तब संजीवनी बूटी के बारे में जानकर हनुमानजी ने यक्ष ऋषि को वचन दिया कि वे संजीवनी बूटी लेकर लौटते समय उनसे मिलेंगे और ऐसा कहकर बजरंगबली आगे बढ़ गए।
इसी बीच यहां हनुमानजी के चरण चिन्ह भी छिपे हुए थे। हनुमानजी ने स्वयं बाबा को दर्शन दिए। दूसरी ओर संजीवनी देर से मिलने के कारण हनुमानजी पास के रास्ते से लक्ष्मण के पास चले गए जिसके कारण वे बाबा से नहीं मिल सके और यक्ष बाबा उनकी प्रतीक्षा में व्याकुल थे, लेकिन कुछ देर बाद स्वयं हनुमानजी प्रकट हो गए। उनके साथ बाबा और उनकी मूर्ति भी देखी गई थी, जिसके बाद बाबा ने यहां हनुमानजी का मंदिर बनवाया