हिमाचल प्रदेश की आर्थिक स्तिथि को लेकर दुष्प्रचार ज्यादा और हकीकत कम-मुख्यमंत्री

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देवभूमि न्यूज नेटवर्क
हिमाचल प्रदेश
शिमला

हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा है कि हिमाचल की आर्थिक स्थिति को लेकर दुष्प्रचार ज्यादा और हकीकत कम है। पूर्व की सरकारों ने आर्थिक सुधार की हिम्मत नहीं जुटाई। पूर्व भाजपा सरकार ने भी वोट के लालच में जाते-जाते हिमाचल के खजाने को लुटा दिया। सीएम सुक्खू ने कहा कि हमारी सरकार ने सबसे पहले ओल्ड पेंशन देने का फैसला किया। यदि आर्थिक स्थिति खराब होती, तो यह निर्णय नहीं लेते। इसके बाद सैलरी और पेंशन कुछ दिन रोकने का निर्णय फायनांशियल प्रूडेंस का हिस्सा है। इसका वित्तीय स्थिति से कोई संबंध नहीं है। हिमाचल सरकार सैलरी और पेंशन के लिए रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के माध्यम से हर महीने एडवांस लोन के ब्याज पर ही तीन करोड़ चुका रही थी। इसलिए सैलरी और पेंशन की डेट बदलने से इस ब्याज की भी बचत हुई है।

ऐसा करना इसलिए भी जरूरी था, क्योंकि केंद्र सरकार से मिलने वाली रेवेन्यू डेफिसिट ग्रांट और जीएसटी का हिस्सा इन्हीं तारीखों के आसपास आता है। सिर्फ इस फार्मूले से ही सालाना 36 करोड़ की बचत होगी। सैलरी रोकने से पहले हमारी सरकार ने पूरे मंत्रिमंडल का वेतन डेफर करके एक संदेश दिया है। हालांकि इस महीने राज्य सरकार 28 तारीख को सैलरी दे रही है और चार फीसदी महंगाई भत्ता भी। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य पर लोन का बोझ पूर्व की सरकारों के कारण बढ़ा है। अब यह 95000 करोड़ तक पहुंच गया है। इसके बावजूद हमारी ट्रेजरी ओवरड्राफ्ट में नहीं है। केंद्र सरकार ने बाहरी एजेंसियों से लोन लेने पर भी पाबंदी लगा दी है। यदि हिमाचल में विपक्षी दल भाजपा को राज्य की चिंता होती, तो भारत सरकार या केंद्रीय वित्त मंत्री से यह मामला उठाते। केंद्र से मिलने वाली रेवेन्यू डेफिसिट ग्रांट हर साल कम हो रही है और इसका भी पूर्व सरकार ने विरोध नहीं किया।

इस घाटे को पूरा करने के लिए हमारी सरकार ने कुछ सख्त फैसले लिए, जिसके कारण पिछले साल में ही 2200 करोड़ का अतिरिक्त राजस्व जोड़ा है। वित्तीय अनुशासन और वित्तीय सुधार हमारी सरकार का मंत्र है। हमें केंद्र सरकार से मदद नहीं मिल रही। प्राकृतिक आपदा के कारण 500 लोगों की जान गई और 23000 घर क्षतिग्रस्त हुए। लेकिन केंद्र सरकार ने इसे नेशनल डिजास्टर घोषित नहीं किया। पोस्ट डिजास्टर नीड असेस्मेंट के तहत 10000 करोड़ के बदले अभी तक कुछ नहीं मिला है। मुख्यमंत्री सुक्खू ने कहा कि भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा जब कहते हैं कि केंद्र की मदद के बिना स्टेट एक दिन नहीं चल सकता, तो ऐसा लगता है कि जैसे वह केंद्र से राज्यों को मिलने वाले पैसे को खैरात समझ रहे हैं। यह संघीय ढांचे में राज्यों का अधिकार है।

हम अपना अधिकार ही मांग रहे हैं। हमने केंद्र सरकार से यह भी कहा है कि हिमाचल की ग्रीन बोनस देने की मांग पर गौर किया जाए। हिमाचल 67 फ़ीसदी फोरेस्ट कवर वाला राज्य है और जंगल का इस्तेमाल राज्य कर नहीं सकता। इसकी भरपाई होनी चाहिए। दो साल के कार्यकाल के पूरा होने पर मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि उनके लिए सबसे बड़ी चुनौती 2026 तक राज्य को ग्रीन स्टेट बनाना और 2027 तक हिमाचल को आत्मनिर्भर राज्य बनाना है। हमने जिस दिशा में कदम बढ़ाए हैं, उसके नतीजे जल्दी आना शुरू होंगे। हमारी सरकार इन्वेस्टमेंट ड्रेन नहीं होने देगी। हिमाचल के हितों के लिए सुप्रीम कोर्ट तक लड़ाई लड़ेंगे। जो राज्य के हित में होगा, उसी दिशा में फैसले लेंगे। विपक्षी दल भाजपा को भी हिमाचल सरकार के फैसलों का समर्थन करते हुए जिम्मेदार विपक्ष की भूमिका निभानी चाहिए। हिमाचल को यदि आगे बढ़ाना है, तो अपने पैरों पर खड़ा होना होगा।