*देवभूमि न्यूज 24.इन*
श्री डेरा बाबा रूद्रानंद का आश्रम उत्तर भारत ही नहीं अपितु समूचे भारत में जगत प्रसिद्ध हो गया है।जिला ऊना-हिमाचल प्रदेश की यज्ञ नगरी श्री डेरा बाबा रूद्रानंद आश्रम का सदाव्रत लंगर सन ईस्वी 1864 से दिन रात चलता आ रहा है। श्री सिद्ध रूद्रानंद जी महाराज ने आज से 160 पहले यहां अखंड धूणें व सदाव्रत लंगर की स्थापना की थी। इसके उपरांत उनके शिष्य वेदांताचार्य श्री सुग्रीवा नंद जी ने दशकों की कठोर तपश्चर्या के चलते नारी नामक गांव के आश्रम को यज्ञनगरी में परिवर्तित करके से सचमुच महातीर्थ शक्ति-स्थल बना दिया है।
इस साल के पंच भीष्म महापर्व पर 1008 ब्राह्मणों द्वारा यज्ञशाला के महायज्ञ ने इसे शक्ति-स्थल में बदल दिया है। इस वर्ष यहां पंच भीष्म महापर्व पर उत्तर भारत के लाखों श्रद्घालुओं ने यहां नतमस्तक होकर संसारिक त्रय तापों से मुक्ति का मार्ग साकार करके अपने जीवन को धन्य धन्य बना दिया है। इस बार यज्ञनगरी नारी में श्री सुग्रीवानंद जी महाराज के उत्तराधिकारी सौम्य मूर्ति विद्वान श्री हेमानंद जी महाराज के कुशल सानिध्य में संतों का महासमागम भाव विभोर करने वाला था।
जिला ऊना-हिमाचल प्रदेश के कोटला कलां आश्रम के अन्तराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त श्री बाबा बाल जी महाराज ने अपने सारगर्भित प्रवचनों व भजनों से साध संगत को निहाल कर दिया।
श्री हेमानंद जी महाराज ने अपनी ओजस्वी वाणी से कलिकाल में भगवत सुमिरन के माध्यम से त्रय तापों के निवारण का एक मात्र अमोघ शस्त्र व बहुविधि निदान सभी भक्तो को प्रशस्त करवाते हुए कल्याणकारी जीवन यापन की शपथ दिलाई।
आज के श्रद्धा सैलाब ने जिला ऊना-हिमाचल प्रदेश के महातीर्थ शक्ति-स्थल श्री डेरा बाबा रूद्रानंद आश्रम को सचमुच संसारिक पापों की मुक्ति का महातीर्थ श्री छोटा हरिद्वार की प्रासंगिकता में सफल सिद्ध कर दिया है।