देवभूमि न्यूज 24.इन
भारत को अंग्रेजों की गुलामी की जंजीरों से आजाद कराने के लिए कई स्वतंत्रता सेनानियों ने अपने प्राणों की आहुति दे दी। देश की आजादी के लिए हर भारतीय के दिल में एक लौ जलाई। किसी ने अपने कलम से, तो किसी ने भाषणों से भारतीयों को आजादी का मतलब बताया। आंदोलन किए, जेल गए और शहीद तक हो गए और दुनिया के सामने भारत को एक महान देश के तौर पर खड़ा करने में अग्रणी भूमिका निभाई। इन्हीं स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों में लाला लाजपत राय का नाम प्रमुख है। आज लाला लाजपत राय की पुण्यतिथि है। उनका जन्म 28 जनवरी 1865 को हुआ था। पंजाब केसरी के नाम से प्रसिद्ध लाला लाजपत राय साइमन कमीशन के खिलाफ शांतिपूर्ण विरोध कर रहे थे। लेकिन इस दौरान हुए लाठीचार्ज में वह घायल हो गए और कुछ दिनों बाद 17 नवंबर 1928 को लाला लाजपत राय जिंदगी की जंग हार गए। उनकी मौत का रोष और शोक देशभर में फैला। देश का पहला स्वदेशी बैंक और आर्य समाज की स्थापना लाला लाजपत राय ने ही की थी।
लाला लाजपत राय के अनमोल वचन
अतीत को देखते रहना व्यर्थ है, जब तक उस अतीत पर गर्व करने योग्य भविष्य के निर्माण के लिए कार्य न किया जाए।
सार्वजनिक जीवन में अनुशासन को बनाए रखना और उसका पालन करना बहुत आवश्यक है, अन्यथा प्रगति के मार्ग में बाधा खड़ी हो जाएगी।
दूसरों पर विश्वास न रखकर स्वयं पर विश्वास करो। आप अपने ही प्रयत्नों से सफल हो सकते हैं, क्योंकि राष्ट्र का निर्माण अपने ही बलबूते पर होता है।
असफलता और पराजय कभी- कभी विजय की ओर आवश्यक कदम होते हैं।
व्यक्ति को सोचने का पूरा अधिकार है, पर उस सोच को भाषा या कार्यरूप में व्यक्त करते समय वह अधिकार, शर्तों और सीमाओं में बंध जाता है।
नैतिक पहलू से अधिकारों की अपेक्षा कर्तव्यों पर जोर देना उत्तम है। जो कर्तव्यों से अधिक अधिकारों पर जोर देते हैं, वे स्वार्थी, दम्भी और आत्मकेन्द्रित हो जाता है।
परिचय
लाला लाजपत राय का जन्म 28 जनवरी, 1865 को फिरोजपुर, पंजाब में हुआ था। उनके पिता मुंशी राधा कृष्ण आजाद फारसी और उर्दू के महान विद्वान थे। उनकी माता गुलाब देवी धार्मिक प्रवृत्ति की महिला थीं। 1884 में उनके पिता का रोहतक ट्रांसफर हो गया और वह भी पिता के साथ आ गए। उनकी शादी 1877 में राधा देवी से हुई।
शिक्षा
उनके पिता राजकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय, रेवाड़ी में शिक्षक थे। वहीं से उन्होंने प्राथमिक शिक्षा हासिल की। लॉ की पढ़ाई के लिए उन्होंने 1880 में लाहौर स्थित सरकारी कॉलेज में दाखिला लिया। 1886 में उनका परिवार हिसार शिफ्ट हो गया जहां उन्होंने लॉ की प्रैक्टिस की। 1888 और 1889 के नैशनल कांग्रेस के वार्षिक सत्रों के दौरान उन्होंने प्रतिनिधि के तौर पर हिस्सा लिया। हाई कोर्ट में वकालत करने के लिए 1892 में वह लाहौर चले गए।
लाला लाजपत राय का करियर और राजनीतिक सफर
राय का करियर पथ भारतीय स्वतंत्रता के प्रति अटूट समर्पण द्वारा चिह्नित किया गया था। उन्होंने कानून का अभ्यास किया, शैक्षणिक संस्थानों की स्थापना की और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस और आर्य समाज जैसे संगठनों में महत्वपूर्ण भूमिकाएँ निभाईं। राय की राजनीतिक सक्रियता उन्हें ब्रिटेन और संयुक्त राज्य अमेरिका ले गई, जहां उन्होंने भारत के स्वशासन की अथक वकालत की और इस उद्देश्य के लिए अंतरराष्ट्रीय समर्थन हासिल किया।
लाला लाजपत राय – विरासत और प्रभाव
लाला लाजपत राय की विरासत उनके जीवनकाल से कहीं आगे तक फैली हुई है। उन्होंने स्वतंत्रता सेनानियों की एक पीढ़ी को प्रेरित किया, जिनमें भगत सिंह और चंद्रशेखर आज़ाद जैसे प्रतीक शामिल हैं, जिन्होंने उनके साहस और दृढ़ संकल्प से प्रेरणा ली। शिक्षा, सामाजिक सुधार और पत्रकारिता में राय का योगदान भारत की सामूहिक चेतना और राष्ट्रीय पहचान को आकार देना जारी रखता है।
राजेन्द्र गुप्ता,
ज्योतिषी और हस्तरेखाविद
मो. 9116089175