देवभूमि न्यूज 24.इन
⭕मार्गशीर्ष माह की एकादशी को उत्पन्ना एकादशी कहा जाता है. इस एकादशी पर किया जाने वाला व्रत सभी व्रतों में श्रेष्ठ माना जाता है.
सनातन धर्म में व्रतों का बहुत महत्व माना गया है. इन व्रतों में हर महीने आने वाली एकादशी को सबसे ज्यादा फल देने वाला माना गया है. अब भगवान श्रीकृष्ण को सर्वाधिक प्रिय मार्गशीर्ष मास शुरू हो चुका है. इस मास की कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को उत्पन्ना एकादशी कहते हैं. कहते हैं कि इस व्रत को करने से जातकों को मुंहमांगे फलों की प्राप्ति शुरू हो जाती है और शरीर भी सेहतमंद होता है.
⚜️उत्पन्ना एकादशी 2024 तिथि
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उत्पन्ना एकादशी को कई नामों से जाना जाता है. इसे उत्पत्तिका, उत्पन्ना, प्राकट्य और वैतरणी एकादशी भी कहा जाता है. इस महीने उत्पन्ना एकादशी 26 नवंबर 2024 यानी मंगलवार को है. कहते हैं कि इस व्रत के फल से अनगिनत फलों की प्राप्ति होती है.
⚜️उत्पन्ना एकादशी 2024 मुहूर्त
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उत्पन्ना एकादशी यानी मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी की बात की जाए तो यह 26 नवंबर 2024 को तड़के 1 बजकर 1 मिनट से शुरू होकर 27 नवंबर 2024 को तड़के 3 बजकर 47 मिनट पर समाप्त हो जाएगी. इस दौरान भगवान विष्णु की पूजा का शुभ मुहूर्त 26 नवंबर को सुबह 9.31 बजे से दोपहर 1.27 बजे तक होगा. जबकि इस व्रत का पारण 27 नवंबर को दोपहर 1.12 बजे से दोपहर 3.18 बजे तक किया जाएगा.
🪔उत्पन्ना एकादशी कथा क्या है?
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पौराणिक कथाओं के मुताबिक, एक वक्त की बात है. पृथ्वी लोक पर अत्याचार कर रहे मुर नामक राक्षस के आतंक से लोगों को बचाने के लिए भगवान विष्णु का उससे युद्ध हुआ. यह युद्ध काफी लंबा चला, जिसमें भगवान विष्णु काफी थक गए. वे विश्राम करने के लिए बद्रिकाश्रम की गुफा में चले गए. तभी उनका पीछा करते हुए राक्षस मुर भी वहां पहुंच गया और सोते हुए भगवान विष्णु को मारना चाहा. इस दौरान त्रिलोकीनाथ के शरीर से एक देवी प्रकट हुई और उसने राक्षस का अंत कर दिया.
🪔ऐसे हुई उत्पन्ना एकादशी की शुरुआत
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कहते हैं कि यह घटना मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को हुई थी. उस देवी के तेज और पराक्रम से भगवान विष्णु बेहद प्रभावित हुए. उन्होंने उस देवी का नाम एकादशी रख दिया. चूंकि वे श्री हरि के शरीर से उत्पन्न हुई थीं, इसलिए बाद में उन्हें उत्पन्ना एकादशी कहा गया.
*🚩#हरिऊँ🚩*