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चन्द्र माहों की श्रेणी में मार्गशीर्ष माह नवें स्थान पर आता है. यह माह अगहन माह के नाम से भी जाना जाता है. इस माह में भगवान विष्णु एवं उनके शंख की पूजा का विशेष महत्व बताया गया है. इस माह के दौरान पूजा-पाठ और स्नान-दान का भी उल्लेख मिलता है. मार्गशीर्ष पूर्णिमा और संक्रांति के दौरान किया गया दान व्यक्ति को जीवन में सुख प्रदान करने वाला होता है. व्यक्ति के पुण्य कर्मों में वृद्धि होती है और पापों का नाश होता है।
गीता में स्वयं भगवान ने कहा है👉 मासाना मार्गशीर्षोऽयम्
भगवान श्री कृष्ण ने गोपियों को भी मार्गशीर्ष मास के महत्व के बारे में बताया था. उन्होंने कहा था कि मार्गशीर्ष माह में यमुना स्नान से मैं सहज ही सभी को प्राप्त हो जाऊंगा. कहा जाता है कि इसी के बाद से इस महीने पवित्र नदियों में स्नान करने का विशेष महत्व माना जाता है।
इस माह की महत्ता का विषय में कहा गया है कि मार्गशीर्ष मास की प्रथम तिथि को ही सतयुग का आरंभ हुआ और इसी माह समय पर महर्षि कश्यप जी ने कश्मीर प्रदेश की रचना की थी. इसी के साथ भगवान कृष्ण यह भी कहते हैं की मासों में मैं मार्गशीर्ष मैं ही हूं।
मार्गशीर्ष माह नाम कैसे पड़ा
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इस माह का संबंध मृगशिरा नक्षत्र से होने के कारण इसे मार्गशीर्ष नाम मिला. इसके अलावा मार्गशीर्ष भगवान श्री कृष्ण का ही एक रुप भी बताया गया है. साथ ही साथ इस माह की पूर्णिमा मृगशिरा नक्षत्र में होती है. अत: ऎसे में इन सभी का संयोग ही इस माह को मार्गशीर्ष माह का नाम देता है।
मार्गशीर्ष माह में जन्म लेने वाला व्यक्ति
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मार्गशीर्ष माह में जिस व्यक्ति का जन्म हो, उस व्यक्ति की वाणी मधुर होती है. वह धनी होता है और उसकी धर्म-कर्म में आस्था होती है. ऎसा व्यक्ति अनेक मित्रों से युक्त होता है. साथ ही पराक्रम भाव से वह अपने सभी कार्यो को पूरा करने में सफल होता है. परोपकार के कार्यो में वह स्वत: रुचि लेता है।
इस माह में जन्मा जातक अपनी व्यवहार कुशलता से लोगों को प्रभावित कर सकता है. बाहरी संपर्क से भी जातक को लाभ मिलता है. घरेलू जीवन में संघर्ष रहता है. जीवन में आने वाली बाधाओं और अव्यवस्था से बचने के लिए जातक को भगवान दामोदर की पूजा करनी चाहिए. आर्थिक संपन्नता पाने के लिए घर में शंख रखें और उसका पूजन करना चाहिए।
मार्गशीर्ष माह में किए जाने वाले उपाय
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यह माह पवित्र माह माना जाता है. इसकी शुभता का उल्लेख शास्त्रों में भी किया गया है. इस माह में एकादशी या द्वादशी का उपवास करने वाले व्यक्ति के सभी पाप दूर होते है, और उसके लिए स्वर्ग के मार्ग खुलते है. इसके अतिरिक्त इस माह की पूर्णिमा को चन्द्र देव की विशेष रुप से पूजा की जाती है. मार्गशीर्ष माह में आने वाली एकादशी मोक्षदा एकादशी कही जाती है. इस एकादशी को मोक्ष देने वाली कहा गया है. इस माह शुक्ल पक्ष की प्रथमा तिथि को चार धाम तीर्थ स्थलों के कपाट बन्द होते है।
अगहन माह की महत्वपूर्ण बातें
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अगहन माह के समय भगवान विष्णु के चतिर्भुज रुप का पूजन करना उत्तम होता है।
मार्गशीर्ष माह में भागवत पढ़ने से सभी सुखों की प्राप्ति होती है।
इस माह में नदी में स्नान और दान-पुण्य का विशेष महत्व है।
इस माह के समय पर यमुना नदी में स्नान करने से विष्णु लोक की प्राप्ति होती है।
इस माह तुलसी के पत्तों को जल में मिला कर स्नान करना चाहिए।
इस माह प्रात:काल समय ॐ नमो नारायणाय और गायत्री मंत्र का जप करना चाहिए।
इस माह में भोजन में जीरे का उपयोग नहीं करना चाहिए।
अगहन माह के विशेष पर्व
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16 नवम्बर 👉 मार्गशीर्ष कृष्ण पक्ष आरम्भ, संक्रान्ति सूर्य वृश्चिक में (पुण्यकाल प्रातः 7:30 से दिन 01:55 तक)।
18 नवम्बर 👉 संकष्ट चतुर्थी, सौभाग्य सुन्दरी व्रत।
23 नवम्बर 👉 श्री काल भैरवाष्टमी (भैरव जन्म) काल भैरवाष्टमी मंगलवार, मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को श्रीकाल भैरवाष्टमी मनाई जाती है. इस दिन काल भैरव की पूजा की जाती है. भैरवाष्टमी या कालाष्टमी के दिन पूजा उपासना द्वारा सभी शत्रुओं का नाश होता है. भैरवाष्टमी के दिन व्रत एवं षोड्षोपचार पूजन करना अत्यंत शुभ एवं फलदायक माना जाता है।
26 नवम्बर 👉 उत्पत्ति (उत्पन्ना/वैतरणि) एकादशी व्रत (सबका), मार्गशीर्ष माह में होने वाली एकादशी का व्रत भी बहुत ही महत्वपुर्ण होता है. इस एकादशी के दिन किए जाने वाला व्रत एवं दान व्यक्ति के जीवन में आने वाली बाधाओं को दूर करता है और व्यक्ति जीवन में सफलता पाता है।
28 नवम्बर 👉 प्रदोष व्रत.
29 नवम्बर 👉 मासिक शिवरात्री।
30 नवम्बर 👉 पितृ कार्य हेतु मार्गशीर्ष अमावस्या।
31 नवम्बर 👉 देव कार्य अमावस्या।
06 दिसम्बर 👉 श्री पंचमी (श्री राम जानकी विवाहोत्सव)।
07 दिसम्बर 👉 चम्पा-स्कन्द-गुह्य षष्ठी, मित्र सप्तमी, मार्तण्ड भैरव उत्थापन,
अन्नपूर्णा व्रत आरम्भ।
08 दिसम्बर 👉 भानु सप्तमी, नरसी मेहता जन्म।
09 दिसम्बर 👉 नन्दनी नवमी, दुर्गाष्टमी।
11 दिसम्बर 👉 मोक्षदा एकादशी व्रत (स्मार्त), श्रीगीता जयन्ती, मौन एकादशी, मार्गशीर्ष माह में होने वाली एकादशी का व्रत भी बहुत ही महत्वपुर्ण होता है. इस एकादशी के दिन किए जाने वाला व्रत एवं दान व्यक्ति के जीवन में आने वाली बाधाओं को दूर करता है और व्यक्ति जीवन में सफलता पाता है।
12 दिसम्बर 👉 मोक्षदा एकादशी व्रत (वैष्णव निम्बार्क), अखण्ड द्वादशी।
13 दिसम्बर 👉 प्रदोष व्रत।
14 दिसम्बर 👉 श्री दत्त महाप्रभु जयन्ती, त्रिपुर भैरव जयन्ती, श्री सत्यनारायण (पूर्णिमा) व्रत, पिशाच मोचन श्राद्ध, मार्गशीर्ष माह में आने वाला पिशाच मोचन श्राद्ध काफी महत्वपूर्ण होता है. श्राद्ध के अनेक विधि-विधान बताए गए हैं जिनके द्वारा इनकी शांति व मुक्त्ति संभव होती है. इस दिन पर अकाल मृत्यु को प्राप्त पितरों का श्राद्ध करने का विशेष महत्व होता है और पितृ दोष से मुक्ति मिलती है।
15 दिसम्बर 👉 स्नान-दान हेतु मार्गशीर्ष पूर्णिमा (लवण दान), संक्रान्ति सूर्य धनु में 22:11 से (पुण्यकाल दिन 12:33 से सूर्यास्त तक), बुध मार्गी 26:26 से, त्रिपुर सुन्दरी अन्नपूर्णा जयन्ती, मलमास आरम्भ, मार्गशीर्ष माह की पूर्णिमा को बत्तीसी पूर्णिमा भी कहा जाता है. इसके पीछे यह तर्क दिया जाता है की इस दिन किए गए दान का फल बत्तीस गुणा होकर मिलता है. ऎसे में इस पूर्णिमा की महत्ता खुद ब खुद स्पष्ट होती है. इस पूर्णिमा के दिन चंद्रमा का पूजन होता है और अर्घ्य दिया जाता है. इसके साथ ही सत्यनारायण कथा का पाठ करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है। इस पूर्णिमा के दिन गंगा और यमुना नदी में स्नान करना भी उत्तम होता है।