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📿भगवान दत्तात्रेय की जयंती को दत्त जयंती के नाम से जाना जाता है। महायोगीश्वर दत्तात्रेय भगवान श्री विष्णु के ही अवतार माने जाते हैं। तीनों ईश्वरीय शक्तियों से समाहित भगवान दत्तात्रेय सर्वव्यापी हैं।
🪔आइए जानते हैं दत्त भगवान के बारे में…
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दत्तात्रेय जयंती का महत्व : दत्तात्रेय का अवतरण मार्गशीर्ष पूर्णिमा तिथि को प्रदोष काल में हुआ, और वर्ष 2024 में, दत्त जयंती शनिवार, 14 दिसंबर को पड़ रही है। अतः इस दिन बड़े समारोह का आयोजन करके भक्तिपूर्वक दत्त जयंती का उत्सव मनाया जाता है।
धार्मिक पुराणों के मुताबिक दत्तात्रेय जयंती से सात पहले यानी एकादशी से उनका जन्म उत्सव शुरू होता है जो कि पूर्णिमा तक निरंतर जारी रहता है और इन दिनों श्री गुरुचरित्र का पाठ अनुष्ठान किया जाता है।
श्रीमद्भभागवत के अनुसार, पुत्र प्राप्ति की इच्छा से महर्षि अत्रि के व्रत करने पर •’दत्तो मयाहमिति यद् भगवान् स दत्तः’ मैंने अपने-आपको तुम्हें दे दिया- विष्णु के ऐसा कहने से भगवान विष्णु ही अत्रि के पुत्र रूप में अवतरित हुए और दत्त कहलाए। अत्रिपुत्र होने से ये आत्रेय कहलाते हैं। दत्त और आत्रेय के संयोग से इनका दत्तात्रेय नाम प्रसिद्ध हो गया। इनकी माता का नाम अनसूया है, और वे संसार में उन्हें पतिव्रता धर्म के नाम से प्रसिद्ध है।
मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन दत्तात्रेय भगवान के साथ ही लक्ष्मी-नारायण का पूजन करने से धन-सुख, सौभाग्य में बढ़ोत्तरी होती है। साथ ही इस संबंध में मान्यता है भगवान दत्त की पूजा और हवन करने से ज्ञान में वृद्धि भी होती है।
दत्त भगवान अपने भक्तों पर आने वाले संकटों को तुरंत दूर करते हैं। उनके मंत्रों में इतनी चमत्कारिक शक्ति हैं कि उनके जाप से पितृ कृपा प्राप्त होने लगती है और जीवन सुखमय हो जाता है। इतना ही नहीं उनकी उपासना करने वाले व्यक्ति को बुद्धि, ज्ञान तथा बल की प्राप्ति होती है तथा शत्रु बाधा दूर होती है।
*🚩ऊँ_श्री_दत्तात्रेय_नम:🚩*