.देवभूमि न्यूज 24.इन
उच्चतम न्यायालय ने हिमाचल प्रदेश सरकार को फटकार लगाते हुए पूछा कि क्या यही तरीका है खिलाड़ियों को प्रोत्साहित करने का? यह सवाल उस मामले में उठाया गया, जिसमें 2014 एशियाई खेलों की स्वर्ण पदक विजेता पूजा ठाकुर को नौकरी देने से इनकार किया गया था।
न्यायमूर्ति अभय एस. ओका और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने सरकार के रवैये पर नाराज़गी जताते हुए कहा, “क्या यह उचित है कि एक स्वर्ण पदक विजेता खिलाड़ी को नौकरी के लिए इतने साल संघर्ष करना पड़े?”
उल्लेखनीय है कि पूजा ठाकुर ने 2014 में दक्षिण कोरिया के इंचियोन में आयोजित एशियाई खेलों में कबड्डी का स्वर्ण पदक जीता था और 2015 के राष्ट्रीय खेलों में रजत पदक हासिल किया था। इसके बावजूद, उन्हें सरकारी नौकरी पाने के लिए सालों तक भटकना पड़ा।
पीठ ने राज्य सरकार की अपील खारिज कर दी, जिसमें 2023 के हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती दी गई थी। इस आदेश में उच्च न्यायालय ने ठाकुर को आबकारी एवं कराधान अधिकारी के पद पर नियुक्त करने का निर्देश दिया था, जिसकी तिथि जुलाई 2015 से प्रभावी मानी गई थी।
राज्य सरकार ने तर्क दिया कि पूजा ठाकुर ने कथित तौर पर दो अलग-अलग आवेदन दाखिल किए थे, जिससे अधिकारी नाराज़ थे। लेकिन न्यायालय ने इस बात को खारिज कर दिया और राज्य सरकार को खिलाड़ियों के प्रति अधिक संवेदनशील और व्यावहारिक दृष्टिकोण अपनाने की सलाह दी।
गौरतलब है कि अदालत के इस फैसले ने न केवल पूजा ठाकुर को न्याय दिलाया, बल्कि यह भी संदेश दिया कि खिलाड़ियों के प्रति उदासीनता स्वीकार्य नहीं होगी।