केंद्रों में बच्चों के साथ बैठकर भोजन और संवाद करें
जिला स्तरीय अनुश्रवण एवं समीक्षा बैठक आयोजित
देवभूमि न्यूज नेटवर्क
हिमाचल प्रदेश
शिमला
सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग की ओर से जिला स्तरीय अनुश्रवण एवं समीक्षा बैठक बचत भवन में शुक्रवार को आयोजित की गई। बैठक की अध्यक्षता उपायुक्त अनुपम कश्यप ने की।
उपायुक्त अनुपम कश्यप ने कहा कि आंगनवाड़ी केंद्रों में बच्चों के साथ संवाद को बढ़ाए और उनके साथ बैठकर खाना खाए। केंद्रों में होने वाली दैनिक गतिविधियों का औचक निरीक्षण समय-समय पर करें और बच्चों से केंद्र में होने वाली गतिविधियों के बारे में फ़ीडबैक लें।
उपायुक्त ने सभी सीडीपीओ को निर्देश दिए कि हर आगंनवाड़ी केंद्र की डिजिटल बुक बनाई जाए। इसमें केंद्र के बच्चों का सामूहिक चित्र, दैनिक गतिविधियों के बारे में और केंद्र में काम करने वाले आंगनवाड़ी कार्यकर्ता व हेल्पर की फोटो भी संग्लित करें।
सभी सीडीपीओ अपने-अपने अधिकारक्षेत्र में आने वाले आंगनवाड़ी केंद्रों में गुणवत्ता को बढ़ावा देने के लिए फील्ड में सक्रियता बढ़ाएं। उन्होंने कहा कि आंगनवाड़ी केंद्र में आने वाले बच्चों को अपना समझ कर व्यवहार करें।
उन्होंने कहा कि बच्चों को स्वस्थ बनाने के लिए आंगनवाड़ी केंद्रों की अहम भूमिका होती है। बच्चे देश का भविष्य है और ऐसे में देश के भविष्य को मजबूत बनाने के लिए केंद्र और प्रदेश सरकार की अनेकों योजनाएं है। इन योजनाओं को लाभ धरातल पर मिलना चाहिए।
विभिन्न योजनाओं से लाभान्वित हो रहे लोग
बैठक में चालू वित्तीय वर्ष में मुख्यमंत्री कन्यादान योजना के हत 78 लाभार्थियों को 39 लाख 78 हजार रुपए जारी किए जा चुके है।
मुख्यमंत्री शगुन योजना के तहत 249 लाभार्थियों को 77 लाख 19 हजार रुपए, मदर टेरेसा असहाय मातृ संबल योजना के तहत 907 माताओ और 1372 बच्चों को 4017938 रुपए, महिलाओं को स्वरोजगार योजना के तहत 40 लाभार्थियों को 02 लाख रुपए और विधवा पुनर्विवाह योजना के तहत 17 लाभार्थियों को 34 लाख रुपए दिए जा चुके है।
मुख्यमंत्री सुख आश्रय योजना के तहत जिला के लाभार्थी बच्चों को वित्तीय लाभ मिल रहा है। जिला शिमला का मुख्यमंत्री सुख आश्रय कोष जारी किया गया। इसमें आम जनता से भी सहयोग करने की अपील करने का आह्वान किया गया । मुख्यमंत्री सुख शिक्षा योजना के तहत अभी ताकि 1126 आवेदन आए है।
बैठक में पूरक पोषण कार्यक्रम, पोषण अभियान 2.0, बच्चों की पोषण स्थिति, आंगनवाड़ी केंद्रों में आधारभूत ढांचा, सक्षम आंगनवाड़ी और पोषण अभियान के बारे में एक्शन प्वाइंट, मिशन शक्ति, राज्य सरकार की योजनाओं, मिशन वात्सल्य, मुख्यमंत्री सुखाश्रय योजना, मुख्यमंत्री सुख शिक्षा योजना और जिला पोषण समिति के दिशा निर्देशों पर व्यापक समीक्षा की गई।
बैठक में पोषण त्योहार से व्यवहार परिवर्तन के लिए पोषण के पांच सूत्रों के बारे में विस्तृत चर्चा की गई, जिसमें पहले सुनहरे 1000 दिन, पौष्टिक आहार, अनीमिया प्रबंधन, डायरिया रोकथाम एवं स्वच्छता को शामिल किया गया है।
जिला में 2154 आंगनवाड़ी केंद्र है। इनमें 999 आंगनवाड़ी केंद्र किराये के भवनों में चल रहे। 642 स्कूलों में, 51 पंचायतों और सामुदायिक भवनों में 237 आंगनवाड़ी केंद्र चल रहे है। जिला में 6 महीने से 3 वर्ष की आयु तक के 22868 बच्चे हैं, जबकि 3 साल से 6 वर्ष की आयु के 9545 है तथा प्री स्कूल एजुकेशन के तहत 9507 और गर्भावस्था और धात्री महिलाओं के 7349 लाभार्थी है।
जिला में मनरेगा के तहत वित्तीय वर्ष 2023-24 में 64 और चालू वित्तीय वर्ष में पांच आंगनवाड़ी केंद्र बनाए जा रहे है। 60 आंगनवाड़ी केंद्रों के शौचालयों में 30 लाख रूपए से मरम्मत कार्य करवाया जा रहा है। इनमें से 31 शौचालयों को मरम्मत कार्य पूरा कर लिया गया है। इसके साथ ही 60 नए शौचालय केंद्रों के लिए 60 लाख रुपए का बजट आवंटित किया जा चुका है।
लाभार्थियों से करेंगे संवाद
उपायुक्त ने निर्देश दिए है हर खंड में आंगनवाड़ी केंद्रों के माध्यम से लाभार्थियों को दिए जाने वाले राशन का निरीक्षण किया जाएगा। उपायुक्त ने सभी लाभार्थियों की मोबाइल सूची अतिरिक्त उपायुक्त अभिषेक वर्मा को मुहैया करवाने के निर्देश दिए है। हर ब्लॉक में रैंडम तरीके से लाभार्थियों से संवाद किया जाएगा। इस संवाद के दौरान यह सुनिश्चित किया जाएगा कि उन्हें आंगनवाड़ी केंद्र के माध्यम से राशन मिल रहा है या नहीं ।
13 सक्षम आंगनवाड़ी केंद्र बनेंगे
जिला में 13 आंगनवाड़ी केंद्रों को सक्षम आंगनवाड़ी केंद्र बनाया जाएगा। इसके साथ ही दो एस्पिरेशनल ब्लॉक बनाए जाएंगे। जिला में कुल 80 सक्षम आंगनवाड़ी केंद्र बनाने का प्रस्ताव भेजा गया है। इन केंद्रों में हितधारको के लिए व्यापक प्रचार-प्रसार किया जाएगा ताकि आईसीडीएस की सभी योजनाओं का लाभ ले सकें। पूरक पोषण अभियान के तहत आपूर्ति प्रणाली मजबूत होगी।
जिला में 38460 बच्चों को विकास मापा गया
0 से 5 वर्ष की आयु के बच्चों के विकास निगरानी के बारे में विस्तृत रिपोर्ट पेश की गई। इसमें 38460 बच्चों का विकास मापा गया, जिसमें 3908 अविकसित बच्चे (स्टंड चिल्ड्रन), 1795 गंभीर रूप से अविकसित बच्चे, 9़8 गंभीर तीव्र कुपोषण (सेम) और 410 अति कुपोषित (मैम) है। इसके अलावा 1250 बच्चों को कम वजन और 158 बच्चों गंभीर रूप से कम वजन है। 704 बच्चों का अधिक वजन है और 358 बच्चों में मोटापा पाया गया है।
ये रहे मौजूद
इस बैठक में अतिरिक्त उपायुक्त अभिषेक वर्मा, उपमंडल दण्डाधिकारी शिमला ग्रामीण कविता ठाकुर, उपमंडल दण्डाधिकारी शिमला शहरी भानु गुप्ता, एसी टू डीसी गोपाल चंद, जिला विकास अधिकारी कीर्ति चंदेल, जिला कार्यक्रम अधिकारी ममता पॉल, जिला कल्याण अधिकारी केवल राम चौहान, पोषण अभियान कॉर्डिनेटर नीरज भारद्वाज सहित जिला के सभी सीडीपीओ भी मौजूद रहे।