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〰️भगवान शिव (शंकर) के द्वादश (बारह) ज्योतिर्लिङ्गों में 8th’ (अष्टम) त्रयंबकेश्वर ज्योतिर्लिङ्ग की महिमा के बारे में विवरण (ज्ञान) इस प्रकार है 👇
हिंदुधर्म के पंचदेवों में भगवान शिव के 12 (द्वादश) ज्योतिर्लिंङ्गों में 8th’ त्रयंबकेश्वर ज्योतिर्लिंङ्ग महाराष्ट्र राज्य के नासिक जिले में नासिक शहर से 40kM की दूरी पर छोटे से कस्बे त्रयंबकेश्वर में गोदावरीनदी के किनारे भगवान शंकर का यह ज्योतिर्लिङ्ग स्थित है।
● भक्ति और आस्था के इस पावनस्थल में कालसर्प के प्रकोप से मुक्ति पाने के लिये लोग काफी दूर से यहां आते हैं। ब्रह्मगिरि पर्वत से गोदावरीनदी का उद्गमस्थल भी है।
● गौतमऋषि एवं गोदावरी के प्रार्थना करने पर भगवान शिव ने इस स्थान में वास करने की कृपा की और त्रयंबकेश्वर नाम से विख्यात हुये। इस मंदिर के अंदर एक छोटे से गङ्ढे में तीन छोटे लिंग है। यह लिंग ब्रह्मा, विष्णु, महेश (शिव) त्रिदेवों के रुप में पूजे जाते हैं। सफेद संगमरमर से निर्मित इस शिवलिंग को त्रयंबकेश्वर महादेव कहते हैं।
● त्रयंबकेश्वर स्थल न केवल गोदावरीनदी का उद्गमस्थल है। यह भगवान गणेशजी का जन्मस्थान, गोरखनाथ, त्रिसंध्या गायत्री, श्रद्धा Ceremony मनाने का स्थान भी है।
● त्रयंबकेश्वर मंदिर काले पत्थरों से बना बेहद अद्भुतकला का नमूना है। इसका पुनर्निर्माण तीसरे पेशवा बालाजी (नाना साहब पेशवा) ने 15वीं शताब्दी में करवाया था।
● कुशावर्ततीर्थ -ब्रह्मगिरिपर्वत से गोदावरी के पलायन को रोकने के लिये गौतमऋषि ने एक कुशा की मदद लेकर गोदावरी को बंधन में बांध दिया था, उसके बाद से ही इस कुंड में हमेशा लबालब पानी रहता है और इस कुंड का नाम कुशावर्ततीर्थ है। कुंभस्नान के समय शैवअखाड़े इसी कुंड में शाहीस्नान करते हैं।
● त्रयंबकेश्वर ज्योतिर्लिंङ्ग -आर्घा के अंदर एक-एक इंच के तीन लिंग मौजूद हैं, इन लिंगों को त्रिदेव अवतार (ब्रह्मा, विष्णु, महेश) के स्वरुप में पूजा जाता है। भोर के समय होने वाली पूजा के बाद इस आर्घा पर चांदी का पंचमुखी मुकुट चढ़ा दिया जाता है।
● पहुंचना -नासिक जाने के लिये देश के प्रमुख शहरों से रेल, सड़क, वायुमार्ग से जाया जा सकता है। नासिक पहुंचकर वहां से त्रयंबकेश्वर के लिये बस, टैक्सी, ऑटो से जाया जा सकता है।
✍️ज्यो:शैलेन्द्र सिंगला पलवल हरियाणा mo no/WhatsApp no9992776726
नारायण सेवा ज्योतिष संस्थान