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प्राचीन सामुद्रिक शास्त्र, शरीर की विशेषताओं के ज्ञान से जुड़ा है. यह ज्योतिष, हस्तरेखा विज्ञान, मस्तिष्क विज्ञान, और चेहरा पढ़ने से जुड़ा है. सामुद्रिक शास्त्र के मुताबिक, शरीर के अंगों की संरचना और तिलों से व्यक्ति के व्यक्तित्व का पता चलता है.
सामुद्रिक शास्त्र से जुड़ी कुछ खास बातेंः
सामुद्रिक शास्त्र, प्राचीन हिंदू ग्रंथ गरुड़ पुराण में शामिल विषयों में से एक है.
सामुद्रिक शास्त्र में मानव तत्वों के पांच मुख्य प्रकार हैं: अग्नि, वायु, जल, आकाश, और पृथ्वी.
सामुद्रिक शास्त्र में मस्तक रेखा, हस्तरेखाओं, और रोमावली का अध्ययन किया जाता है.
सामुद्रिक शास्त्र को सीखने के लिए, गुरु से सिखना ज़रूरी है.
सामुद्रिक शास्त्र को सीखने के बाद, व्यक्ति भविष्यवाणी कर सकता है.
सामुद्रिक शास्त्र, हिंदू, बौद्ध, और जैन धर्मों में साझा किया जाता है.
सामुद्रिक शास्त्र से जुड़े कुछ सिद्धांत, फ्रेनोलॉजी और फ़ेस रीडिंग में भी देखे जा सकते हैं.
दूसरे शब्दों में सामुद्रिक शास्त्र एक ऐसा ग्रंथ है, जिसमें मानव शरीर के चिन्हों के द्वारा स्त्री और पुरुष के लक्षणों के उपर प्रकाश डाला गया है . इस ग्रंथ को लक्षण शास्त्र भी कहा जाता है। कहते हैं इस ग्रंथ की रचना भगवान कार्तिकेय ने की थी . शिवजी के द्वारा इस ग्रन्थ को सामुद्रिक शास्त्र कहा गया।
राजेन्द्र गुप्ता,
ज्योतिषी और हस्तरेखाविद
मो. 9116089175