देवभूमि न्यूज 24.इन
आज (26 दिसंबर) पौष मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी है। गुरुवार, 26 दिसंबर को 2024 की अंतिम एकादशी है।एकादशी व्रत सभी मनोकामनाओं को पूरा करता है, ऐसी मान्यता है। महाभारत, पद्मपुराण सहित कई ग्रंथों में एकादशी व्रत का महत्व बताया गया है। ये व्रत धर्म, तप और भक्ति का प्रतीक है। महाभारत में श्रीकृष्ण ने अर्जुन और युधिष्ठिर को एकादशी व्रत के बारे में बताया है।एकादशी व्रत करने से अक्षय पुण्य मिलता है और जाने-अनजाने में किए गए पाप कर्मों का असर कम होता है। इस व्रत के पुण्य से व्यक्ति बुराइयों से दूर होता है,
विचारों में पवित्रता आती है, एक दिन निराहार रहने से पाचन तंत्र को शक्ति मिलती है। आलस दूर होता है और पूजा-पाठ में एकाग्रता बनी रहती है।महाभारत के अनुशासन पर्व और वन पर्व में युधिष्ठिर ने श्रीकृष्ण से धर्म और व्रतों के बारे में बताने के लिए कहा है। श्रीकृष्ण ने उन्हें एकादशी व्रत का महत्व बताया और कहा है कि ये व्रत धर्मराज को भी प्रिय है। जो व्यक्ति एकादशी व्रत करता है, वह भगवान विष्णु की कृपा पाता है और फिर उसके जीवन की सभी परेशानियां दूर हो सकती हैं।
जानिए सफला एकादशी पर कौन-कौन से शुभ काम किए जा सकते हैं…
सफला एकादशी पर व्रत रखने की परंपरा है। व्रत रखने से मन शुद्ध होता है, विचार पवित्र बनते हैं। गणेश पूजन के बाद इस दिन भगवान विष्णु का विशेष अभिषेक करना चाहिए। पूजा में पीले वस्त्र, तुलसी, पीले फूल, चंदन और दीपक का इस्तेमाल खासतौर पर करें।
पूजा में विष्णु सहस्रनाम का पाठ भी करना चाहिए। ये संभव न हो तो ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जप कर सकते हैं। मंत्र जप 108 बार करेंगे तो बहुत अच्छा रहेगा।
पूजा-पाठ के साथ ही इस दिन दान करना चाहिए। अन्न, वस्त्र, धन, भोजन, ऊनी वस्त्र, जूते-चप्पल का दान जरूरतमंद लोगों को करें।
जो लोग व्रत करते हैं, उन्हें पूरे दिन भगवान का ध्यान करना चाहिए। भजन करें, भजन सुनें। भगवान विष्णु की कथाएं पढ़ें-सुनें। किसी संत के प्रवचन सुन सकते हैं।
एकादशी की शाम सूर्यास्त के बाद भगवान विष्णु, शिवलिंग और तुलसी के पास दीपक जलाएं।
आज किसी गौशाला में गायों की देखभाल के लिए धन का दान करें। गाय को हरी घास खिलाएं। एकादशी पर दिन की शुरुआत सूर्य देव को जल अर्पित करके करना चाहिए।
एकादशी पर हनुमान जी के सामने दीपक जलाकर हनुमान चालीसा का पाठ करना चाहिए। आप चाहें तो राम नाम का जप भी कर सकते हैं।
एकादशी और गुरुवार के योग में गुरु ग्रह की भी विशेष पूजा करें। गुरु ग्रह की पूजा शिवलिंग रूप में की जाती है। इसलिए शिवलिंग पर पीले फूल चढ़ाएं। चंदन का लेप करें। बेसन के लड्डू का भोग लगाएं। धूप-दीप जलाएं।
तुलसी को विष्णु प्रिया कहा जाता है। तुलसी भी महालक्ष्मी का ही एक स्वरूप है। इसलिए एकादशी पर सुर्यास्त के बाद तुलसी की पूजा जरूर करनी चाहिए।
सफला एकादशी की दोपहर पितरों के लिए श्राद्ध, धूप-ध्यान, तर्पण करना चाहिए। कंडों के अंगारों पर गुड़-घी अर्पित करें और हथेली में जल लेकर अंगूठे की ओर से पितरों को चढ़ाएं।
एकादशी के संबंध में पद्मपुराण में लिखा है कि-
एकादश्यां तु यो भूते द्वादश्यां स्नानमाचरेत्।
सपितृक: स गच्छेत विष्णुलोकं समुत्तमम्।।
इस श्लोक का अर्थ ये है कि जो लोग एकादशी व्रत करते हैं, द्वादशी पर नदी स्नान और विष्णु पूजा करते हैं, उन्हें विष्णु लोक प्राप्त होता है।