बाहर से रैपर ठीक, चॉकलेट के अंदर कीड़े चल रहे।
पैसे की ताकत से मीडिया में खबर दबा दी गई
देवभूमि न्यूज नेटवर्क
हिमाचल प्रदेश
चंम्बा
डॉ अर्चिता महाजन न्यूट्रीशन डाइटिशियन एवं चाइल्ड केयर होम्योपैथिक फार्मासिस्ट एवं ट्रेंड योगा टीचर नॉमिनेटेड फॉर पद्मा भूषण राष्ट्रीय पुरस्कार और पंजाब सरकार द्वारा सम्मानित ने बताया कि मामला गोरखपुर का है यो नेस्ले कंपनी की किटकैट चॉकलेट में साफ सुथरा रैपर में चॉकलेट के भीतर कीड़े रेंगते दिखाई दिए।
नेस्ले कंपनी के किटकैट ब्रांड के 80 रुपये कीमत के चाकलेट में कीड़े रेंगते मिले। रैपर खोलने के बाद कीड़े दिखे तो बच्चों ने शोर मचाया। स्वजन चाकलेट लेकर असुरन चौराहा के पास स्थित एटूजेड मार्ट पहुंचे। सूचना पर खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन की टीम भी जांच के लिए पहुंची।
प्रथम दृष्टया चाकलेट में कंपनी में निर्माण के दौरान ही कीड़े पहुंचने की पुष्टि हुई है। इसकी वजह यह कि रैपर में कोई छेद नहीं मिला। चाकलेट के अंदर कीड़ों के खाने के कारण कई छेद दिखे।असुरन के भेड़ियागढ़ निवासी राजीव सिंह कांट्रैक्टर हैं। 24 दिसंबर को उन्होंने एटूजेड मार्ट से केक और 80-80 रुपये वाले तीन चाकलेट खरीदे थे। शनिवार को बीटेक कर रही उनकी बेटी रीतिका सिंह और बीए कर रही वैष्णवी सिंह ने खाने के लिए दो चाकलेट खोले।
एक चाकलेट का रैपर फाड़ते ही सफेद रंग के कीड़े रेंगते दिखे तो दोनों ने शोर मचाया। परिवार के लोगों को जानकारी दी गई।
इसके बाद राजीव सिंह अपने भाई आनंद सिंह पिंटू के साथ एटूजेड मार्ट पर पहुंचे। आरोप है कि पहले तो दुकानदार ने चार दिन पहले चाकलेट बिक्री की बात की। अब सवाल यह उठता है बाहर से रैपर ठीक होने के कारण यह तो गारंटी है कि कीड़े बाहर से नहीं लगे बल्कि पैकिंग के समय ही चॉकलेट में कीड़े थे। अब पैसे की ताकत देखो कैसे इस खबर को दबा दिया गया किसी मीडिया चैनल वालों ने इस खबर को हाईलाइट नहीं किया आज आप जिस भी मीडिया के थ्रू आपको यह खबर पता लगे उसे पत्रकार का और उसे संपादक का धन्यवाद कहना क्योंकि उसने देशवासियों के लिए और आप सबके लिए आपके बच्चों के लिए अपनी ईमानदारी से समझौता नहीं किया।