स्नान के प्रकार✍️

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देवभूमि न्यूज 24.इन

ब्रह्म स्नान (सुबह 4 से 5 बजे के बीच)— इस स्नान को सबसे उत्तम स्नान माना गया है, जो सुबह 4 से 5 के बीच भगवान का नाम लेते हुए स्नान करते हैं उनके जीवन में सभी खुशियों और सुख का समावेश होता है।

● ऋषि स्नान — ब्राह्म मुहूर्त में आकाश में तारे दिखते हों और नहा लें, यह ऋषि स्नान है। इसे करने वाले की बुद्धि बड़ी तेजस्वी होती है।

● देव स्नान (सुबह 5 से 6 बजे के बीच) — यह स्नान ठीक सूर्योदय के बाद किया जाता है। यह स्नान करते समय विभिन्न नदियों के नामों का जप किया जाता है। इसके अलावा इस स्नान में विभिन्न मंत्रों का भी जप किया जाता है।

● मानव स्नान (6 से 8 बजे के बीच) — यदि कोई व्यक्ति सुबह-सुबह, 6 से 8 बजे के बीच स्नान करे तो उस स्नान को हम मानव स्नान कहते हैं। मानव स्नान एक समान्य स्नान है।

● दानव स्नान (8 बजे के बाद) — इस स्नान को धर्म में निषेध मानते हैं, सूर्योदय के बाद या खाना खाने के बाद जो लोग स्नान करते हैं, ऐसे स्नान को दानव स्नान कहा जाता है।

● यौगिक स्नान — योग के माध्यम से अपने इष्ट का चिंतन और ध्यान करते हुए जो स्नान किया जाता है वह यौगिक स्नान कहलाता है, यौगिक स्नान को आत्मतीर्थ भी कहा जाता है क्योंकि ऐसा स्नान तीर्थ यात्रा करने के समान होता है।

इनके अलावा अन्य सात प्रकार के स्नानों का भी उल्लेख शास्त्रों में है।

■ मंत्र स्नान — गुरुमंत्र जपते हुए अपने को शुद्ध बना लिया।■ भौम स्नान — शरीर को पवित्र मिट्टी स्पर्श कराके शुद्धि मान ली।
■ अग्नि स्नान — मंत्र जपते हुए सारे शरीर को भस्म लगा ली।
■ वायव्य स्नान — गाय के चरणों की धूलि लगा ली। वह भी पवित्र बना देती है। गाय के पैरों की धूलि से ललाट पर तिलक करके काम – धंधे पर जाय तो सफलता मिलती है अथवा कोई काम अटका है तो वह अटक–भटक निकल जाती है।
■ दिव्य स्नान — सूरज निकला हो और बरसात हो रही हो, उस समय सूर्य–किरणों में बरसात की बूँदों से स्नान।
■ वारुण स्नान — जल में डुबकी लगाकर नहाना इसको वारुण स्नान बोलते हैं। घर में वारुण स्नान माने पानी से स्नान करना।
■ मानसिक स्नान — “मैं आत्मा हूँ, चैतन्य हूँ,ॐ ॐ ॐ”
पंचभौतिक शरीर मैं नहीं हूँ, बदलने वाले मन को मैं जानता हूँ। बुद्धि के निर्णय बदलते हैं, भाव भी बदलते हैं, ये सब बदलने वाले हैं, उनको जानने वाला मैं अब आत्मा हूँ।

“ॐ ॐ परमात्मने नम: ॐ ॐ”
इस प्रकार आत्मचिंतन करने को बोलते हैं मानसिक स्नान।

आज अगर देखा जाए तो शहरों में नहाने का समय नहीं रह गया है। लेकिन शास्त्रों में हर किसी के लिए नहाने का सही समय निर्धारित किया गया है।

शास्त्रानुसार हमें ब्रह्म स्नान, देव स्नान या ऋषि स्नान करना चाहिए, यही सर्वश्रेष्ठ और सर्वोत्तम स्नान है