छोटे बच्चों का वजन नियंत्रित करें -डॉ अर्चिता महाजन

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10 साल का मोटा बच्चा 40 साल के हृदय के साथ जी रहा होता है
देवभूमि न्यूज 24.इन
डॉ अर्चिता महाजन न्यूट्रीशन डाइटिशियन एवं चाइल्ड केयर होम्योपैथिक फार्मासिस्ट एवं ट्रेंड योगा टीचर नॉमिनेटेड फॉर पद्मा भूषण राष्ट्रीय पुरस्कार और पंजाब सरकार द्वारा सम्मानित ने बताया कि गोलू मोलू बच्चे आजकल बहुत पसंद किया जा रहे हैं। देखने में भी अच्छे लगते हैं परंतु यही गोल मटोल शरीर उनके लिए भविष्य में खतरा बन जाता है। थे रसेल शुरुआत बचपन में ही हो जाती है जब उनकी फास्ट फूड प्रोसेस फूड और अधिक चीनी कोल्ड ड्रिंक नॉनवेज पर निर्भरता बढ़ जाती है।

माता-पिता बच्चों से पीछा छुड़ाने के लिए उनके 50 ₹100 दे देते हैं बच्चे बाजार से चिप्स कोल्ड ड्रिंक लेकर अपनी छोटी भूख मिटा लेते हैं। बस यही गलती हो जाती है। माता-पिता की यही लापरवाही बच्चों के भविष्य के लिए मुसीबत खड़ी करती है।जर्नल कार्डियोलॉजी इन द यंग में प्रकाशित एक अध्ययन में शोधकर्ताओं ने पाया कि वे बच्चे, जिनका वजन अधिक होता है या फिर जो मोटे होते हैं उनमें हृदय विकार विकसित होने का समान जोखिम होता है।

शोधकर्ताओं का कहना है कि अधिक वजन और मोटापे से ग्रस्त किशोरों में हृदय विकारों के विकास का जोखिम समान रूप से बढ़ता है।स्कूल जाने वाले युवाओं को प्रतिदिन कम से कम 60 मिनट मध्यम से लेकर जोरदार एरोबिक शारीरिक गतिविधि करनी चाहिए। इसके अलावा, मांसपेशियों को मजबूत बनाने वाली गतिविधियाँ सप्ताह में कम से कम तीन बार करनी चाहिए। निष्क्रिय समय, विशेष रूप से स्क्रीन समय, सीमित होना चाहिए। आहार के संबंध में, बच्चों को पर्याप्त नाश्ता करना चाहिए, भोजन के बीच में खाने से बचना चाहिए, तीन बार भोजन करना चाहिए

और प्रतिदिन दो से अधिक स्नैक्स नहीं खाने चाहिए, मात्रा सीमित करनी चाहिए, ऊर्जा-घने और पोषक तत्वों से रहित खाद्य पदार्थों जैसे फलों के रस या फास्ट फूड से बचना चाहिए, अप्रसंस्कृत फलों, सब्जियों और फाइबर युक्त अनाज का सेवन बढ़ाना चाहिए, और वसा और चीनी का सेवन कम करना चाहिए।