नूतन श्री अम्बिकानगर-अम्ब, जिला ऊना में शिवरात्रि मेलों को मनाने हेतु श्रद्घालुओं ने भोलेनाथ से गुहार लगाई है।
समस्त भूमंडल में द्वादश ज्योतिर्लिंगों का नित्य प्रति शुभाशीष, अम्बिकानगर-अम्ब, श्री छोटा हरिद्वार जिला ऊना शान बढ़ाई है।।
हिमाचल प्रदेश में श्री सदाशिव स्वयंम्भू ने अलौकिक कृपा दृष्टि बरसाई है।
द्वादश ज्योतिर्लिंगों की शिव मानस संकल्पित पूजा ने ही श्री छोटा हरिद्वार नगरी साकार करवाई है।।
हिमाचल के समस्त देवी-देवताओं की पावन भूमि, महा- शिवरात्रि मेलों की सर्वत्र धूम मचाई है।
इस बार श्री अम्बिकानगर-अम्ब,श्री छोटा हरिद्वार जिला ऊना ने भी शिवरात्रि मेलों की तैयारी करवाई है।।
श्री औघड़नाथ सदाशिव, स्वयंम्भू ने मानवता उद्धार हेतु अविरल गंगा बहाई है।
कलियुगी मकड़जाल में उलझा मानव, भौतिकता वाद ने होश गंवाई है।।
भोले बावा शंकर जी, श्री महा- शिवरात्रि की पावन बेला पुन: आई है।
विश्व व्यापी महायुद्धों-महामारियों का आलम पसरा, घनघोर बदली छाई है।।
जल-जंगल-जमीन प्रकृति से अनावश्यक छेड़खानी,दम्भी मानव को विपदा घेर लाई है।
हैवानियत के कुत्सित इरादों ने ही सबका बेड़ा गर्क करा,कहर बरपाई है।।
नटराजन सृष्टि रचयिता, प्रचंड महाकालेश्वर संहारक बन,धरती बोझ घटाई है।
स्वार्थी अनाधिकार चेष्टाओं ने ही पापाचार किया, सर्वत्र खलल मचाई है।।
आसुरी प्रवृत्तियों का बोलबाला,शराफत के दिन लदे, निर्दोषों ने यहां-वहां भाग -भागकर जान बचाई है।।
त्राहि -त्राहि मंहगाई से चहुं ओर अब्यवस्था फैली, भुखमरी और गरीबी ने दहशत मचाई है।
आर्थिक तंत्र पस्त हो चुका, कंगाली ने जोरदार चपत लगाई है।।
पापाचार का दावानल हावी, बेरोजगारी ने भी कमर तुड़वाई है।
विषमताओं का हाहाकार, निराश्रय मानवता, आज जमाखोरों,घूसखोरों ने मौज मनाई है।।
त्रय तापों को हरने वाले श्री सदाशिव ने ना जाने कहां ?अखंड समाधि लगाई है।
जनता-जनार्दन असहाय हो चुकी, सत्तातंत्र ने ही नींद चुराई है।।
सीमावर्ती क्षेत्रों में दुश्मनों ने भी अराजकता फ़ैलाने की भगदड़-योजना बनाई है।
जागो! जागो!,श्री महा- शिवरात्रि अंधकार की समाप्ति करवाने ,पुन्य कमाने आई है।।
राष्ट्र व्यापी द्वादश ज्योतिर्लिंगों ने मानव कल्याणार्थ ,एक मात्र भक्ति आस जगाई है।
कालकूट पीने वाले श्री नीलकंठ महादेव जी ने सकल ब्रह्मांड में मृत-संजीवनी संचार करवाई है।।
हिमाचल के अंतराष्ट्रीय महाशिवरात्रि मेलों का शुभ संदेश,भारत ने विश्व बंधुत्व की राह अपनाई है।
विश्व स्वर्णिम शिरोमणी बनेगा भारत ,सभी देवी-देवताओं ने धरती स्वर्ग बनाई है।।
भगवान शंकर की बारात ने इस बार 26 फरवरी को समूचे भारत में एकत्रीकरण की राह दिखलाई है।
साप्ताहिक महाशिवरात्रि मेलों की समरसता का संचार करा ,मेल -मिलाप और सद्भाव की समूचे ब्रह्मांड में अलख जगाई है।।
सैंकड़ो सालों से श्री मांडव्य नगर जिला मंडी का अंतराष्ट्रीय महाशिवरात्रि पर्व 26 फरवरी से 5 मार्च 2025 तक हर्षोल्लास से मनाया जाएगा-राजीव कुमार शर्मन्
*देवभूमि न्यूज 24.इन*
हिमाचल प्रदेश की प्राचीन धार्मिक श्री मांडव्य नगरी उपनाम श्री छोटी काशी जिला मंडी शहर का महाशिवरात्रि पर्व जिसे अंतराष्ट्रीय महाशिवरात्रि मेले का दर्जा हासिल है,इस साल भी हर साल की तरह अत्यंत हर्षोल्लास एवं पारम्परिक श्रद्धानुरूप ही मनाया जा रहा है।
इस बार भी हिमाचल प्रदेश के विभिन्न जिलों से देवी-देवताओं के रथों का अभूतपूर्व देवी -देवता समागम श्री मांडव्य नगर जिला मंडी में धार्मिक सांस्कृतिक समरसता का संचार करवाने आ रहा है।
हिमाचल प्रदेश में शिव -शक्ति भक्ति का संचार करने के साथ-साथ जिला मंडी शहर की ऐतिहासिक महा-शिवरात्रि सारे विश्व को धर्म-संस्कृति और विश्व बंधुत्व का संदेश लेकर समरसता दिलाने आ रही है।जगत प्रसिद्ध मंडी शहर का अन्तर्रास्ट्रीय शिवरात्रि उत्सव इस साल भी 26 फरवरी से 5 मार्च 2025 तक मनाया जाना प्रस्तावित एवं निश्चित है। मंडी शहर में शिवरात्रि महोत्सव का आयोजन रियासतकाल से ही अनवरत जारी है।मंडी शिवरात्रि की ब्युत्पति स्वयम्भू श्री बावा भूतनाथ से ही हुई है।जहां आज नई मंडी बसी है वहाँ बीहड़-वीयवान जंगल था।एक गऊ माता प्राचीन मांडव्य ऋषि जनपद के जंगल में बावा भूतनाथ के शिवलिंग पर दुग्धधारा चढ़ाती थी।एक चरवाहे ने तत्कालीन रियासतकालीन राजा अजवर सेन को इस अलौकिक घटनाक्रम की जानकारी दी।पहले-पहल राजा ने विश्वास नहीं किया किन्तु स्वयंम्भू बावा भूतनाथ जी ने राजा अजवर सेन को स्वप्न में दृष्टांत दिया और मंदिर स्थापना व नई मांडब्य नगरी बसाने की प्रेरणा दी। इस तरह राजा अजवर सेन ने सन् ईस्वी 1527 में बावा भूतनाथ मंदिर का निर्माण करवा नई मांडव्य जनपद बसाई।तदुपरान्त हर साल ही शिवरात्रि महोत्सव की परम्परा का संचार हुआ। आज वर्तमान में मंडी नगर छोटी काशी के नाम से भी धर्म संस्कृति की राजधानी मानी जाती है जिसके आराध्यदेव स्वयम्भू श्री बावा भूतनाथ है।आज अन्तरास्ट्रीय शिवरात्रि मेला विश्व प्रसिद्ध मेला है।सर्वप्रथम शिवरात्रि महोत्सव का प्रारम्भ पहले दिन बावा भूतनाथ की सार्वजनिक पूजा से किया जाता है। राजा माधवराज की जलेब निकाली जाती है जिसमें हिमाचल के दूरदराज के देवी-देवताओं के रथ परम्परागत वाद्य यंत्रो के साथ हज़ारों देवलुओं के साथ भाग लेतें है।स्थानीय लोंगों में देवी-देवताओं के रथों को देवलुओं सहित ठहराने की भी अपनी-अपनी बारी की होड. मची रहती है। कमरूनाग का रथ कई सदियों से ही श्री मांडव्य नगर ,छोटी काशी के उच्च शिखर पर स्थित (श्री टारना माता मंदिर श्री श्यामा काली जी ) में ही ठहरता आया है।शिवरात्रि-उत्सव के समापन पर सभी देवी-देवता चौहट्टा बाजार में सामूहिक समागम में मंडी जनपद के लोगों को अपना शुभ आशीर्वाद देते है ताकि आगामी शिवरात्रि तक सभी कुशल पूर्वक रहें।शिवरात्रि महोत्सव की रात्रिकालीन सांस्कृतिक संध्याओं का नजारा भी देखते ही बनता है।स्थानीय कलाकारों के साथ-साथ माया नगरी मुम्बई के फ़िल्मी अदाकार भी खूब रंग जमाते हैं।शिवरात्रि-उत्सव धार्मिक,साँस्कृतिक व पर्यटन का सर्वाँगीण विकास भी सुनिश्चत करवाता आया है।मँडयाली साँस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित किए जाते है। सारा मांडव्य जनपद जिला मंडी शहर शिवरात्रि-उत्सव की रंगत में रंग जाता है।स्थानीय होटल व्यवसायिओं के सारे होटल पर्यटकों के लिए बुक रहते है।यही नहीं मंडी शहर के सभी वार्डों के लोगों के पास मेहमान-नवाजी का भी ज़ोर बना रहता है। लोगों के अधिकांश रिश्तेदार तो अग्रिम तौर पर ही अंतर्राष्ट्रीय शिवरात्रि-उत्सव देखने के लिए अपने रहने के प्रबन्ध का आग्रह कई दिन पहले कर लेतें हैं।वर्तमान में शिवरात्रि-उत्सव एक बहुत बड़ा व्यापारिक मेला भी बन गया है। वर्तमान में शिवरात्रि उत्सव मंडी के मुख्य आयोजन स्थल “पड्डल मैदान” का विस्तार आवश्यक हो गया है।विपाशा नदी (ब्यास-दरिया) की ओर ऐतिहासिक पड्डल मैदान का विस्तार करवाना नितान्त ज़रूरी है ताकि अन्तर्रास्ट्रीय शिवरात्रि -उत्सव का हर्षोल्लास बढ़ाया जा सके।सम्भवत: शिवरात्रि उत्सव का शुभारंभ व समापन हिमाचल प्रदेश के महामहिम राज्यपाल और परम आदरणीय मुख्यमंत्री ही करते आये हैं।आशा की जानी चाहिए कि इस बार शिवरात्रि उत्सव के आयोजन स्थल पड्डल मैदान का अवश्य ही विस्तार किया जायेगा।इसमें बड़े पैमाने पर समूचे हिमाचल प्रदेश के छोटे बड़े व्यापारी एक सप्ताह के मेलें में काफ़ी वस्तुओं का आदान प्रदान कर खूब मुनाफा कमाते है।ज़्यादातर ऊनी वस्त्रों के व्यापार का काफ़ी प्रचलन होता है। मेले के स्टाल शिवरात्रि उत्सव की समाप्ति पर भी जनता की मांग पर कई दिनों तक लगे रहते है।
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