ऊना जिला मुख्यालय में भी शिवरात्रि महोत्सव 26 फरवरी को सरकारी तौर पर महा- मेला आयोजित किया जाना चाहिए- राजीव शर्मन

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 *देवभूमि न्यूज 24.इन*                       

वर्तमान में जिला ऊना-हिमाचल प्रदेश मुख्यालय समेत विभिन्न शिवालयों का चयन करके महा-शिवरात्रि पर्व को सरकारी मेले के तौर पर आयोजित करने की जोरदार मांग उत्तरोत्तर बढ़ती जा रही है। सार्वजनिक गणेशोत्सव के संस्थापक एवं गणपति-उत्सव अम्ब के संचालक एवं अध्यक्ष राजीव शर्मन ने एक बार पुन: महा-शिवरात्रि पर्व को सरकारी मेला घोषित करने की मांग उठाई है।आने वाली महा-शिवरात्रि महापर्व 26 फरवरी को शैव भक्तों की धार्मिक एवं पावन स्थली ऊना के विभिन्न शिवालयों में महा-शिवरात्रि उत्सव हर्षोल्लास से मनाने की शुरुआत हो गई है।

जिला ऊना में पांडवकालीन शिवालयों से ऊना नगरी विभूषित एवं रक्षित मानी जाती है। इन्हीं शिवालयों की धार्मिक सांस्कृतिक विरासत के चलते जिला ऊना को धर्म संस्कृति की राजधानी श्री छोटा हरिद्वार उपनाम से भी अलंकृत किया जाता है। सर्वप्रथम जिला ऊना का द्वापुर युग का प्राचीन पांडवकालीन श्री सदाशिव ध्यूंसर महादेव श्री सदाशिव का मंदिर पांच हजार सालों से भी ज्यादा प्राचीन है। इस शिवालय का संवन्ध पांडवों के कुल पुरोहित धौम्य ऋषि द्वारा स्थापित किया गया है।

इसी तरह जिला ऊना के शिवबाड़ी गगरेट का प्रसिद्ध श्री द्रोणाचार्य शिवमन्दिर भी द्वापुर युग का ही माना जाता है। इसी तरह खीर गंगा ,गौर खड्ड समीप स्थित श्री गौरी गंगा महादेवन जी भी पांडवकालीन है। इसी तरह जिला ऊना मुख्यालय समीप चताड़ा स्थित श्री नीलकंठ महादेव मंदिर भी अत्यंत प्राचीन माना जाता है।
जिला ऊना चिरकाल से ही अनादि सिद्ध शैव भक्ति भावना एवं श्रद्धा की तपस्थली मानी गई है। यहां पर श्री छिन्न मस्तिकाधाम माता चिंतपूर्णी का महातीर्थ होने से यह शिव-शक्ति का अभूतपूर्व , अलौकिक शक्ति स्थल के तौर पर समूचे भारतवर्ष में सुविख्यात है।

इसी धार्मिक सांस्कृतिक प्रासांगिकता के चलते जिला ऊना में राजकीय शासकीय तौर पर महाशिवरात्रि को सार्वजनिक उत्सव मनाने की यथोचित मांग बहुत बार दोहराई जाती रही है। श्री नीलकंठ महादेव मंदिर चताड़ा-ऊना भी बहुत पौराणिक माना जाता है।

पिछले कुछ दशकों से यहां शिवरात्रि मेलों को सरकारी तौर पर आयोजित करवाने की मांग पुनः लगातार उठाई गई किंतु प्रशासकीय तौर पर इसे अमली जामा नहीं पहनाया जा सका है।
हालांकि विभिन्न धार्मिक संस्थाओं ने सरकारी महाशिवरात्रि उत्सव को मनाने के साथ-साथ एक बहुत बड़े व्यापारिक मेलें के तौर पर विकासोन्मुखी बनवाने का बहुत बार पुरजोर आह्वान किया है। यही नहीं जिला ऊना के विभिन्न शिवालय प्रकृति के नैसर्गिक सौंदर्य में धार्मिक सांस्कृतिक व पर्यटन का आदान-प्रदान व प्रचार-प्रसार सुनिश्चित करवाते आए है। इस संदर्भ में धार्मिक संस्थाओं से जुड़े समाजसेवी राजीव शर्मन ने एक बार पुनः हिमाचल प्रदेश सरकार के मुख्यमंत्री श्री सुखविंदर सिंह सुक्खू जी और जिला प्रशासन ऊना से मांग की है कि जिला ऊना में महाशिवरात्रि उत्सव को सरकारी महाशिवरात्रि पर्व के तौर पर आयोजित करवाया जाना चाहिए। उन्होंने इस बारे जानकारी देते हुए बताया कि सरकारी महाशिवरात्रि मेलों का आयोजन श्री पांडवकालीन शिवालयों में भी आयोजित करवाया जा सकता है।

राजीव शर्मन ने यह भी सुझाव सुझाया है कि इस सरकारी महाशिवरात्रि पर्व को मेलों के तौर पर जिला ऊना मुख्यालय में भी महा-शिवरात्रि महापर्व को जिला प्रशासन ऊना और भाषा एवं संस्कृति विभाग सफलतापूर्वक सरकारी तौर पर संचालित किया जा सकता है। महा-शिवरात्रि पर्व को सरकारी मेला घोषित करने व आयोजित करने की जोरदार दरकार है।
उन्होंने आशा व्यक्त की है कि हिमाचल प्रदेश सरकार, जिला प्रशासन और प्रदेश भाषा एवं संस्कृति विभाग जिला ऊना में महाशिवरात्रि पर्व को सरकारी मेला घोषित करा इसके आयोजन की शीघ्रातिशीघ्र सभी संभावनाओं की तलाश करवाई जानी चाहिए।
उन्होंने कहा कि अगर सरकार इस संदर्भ में यथासंभव साकारात्मक पहल करवाये तो इसी साल वर्तमान में महाशिवरात्रि पर्व 26 फरवरी 2025 से मनाया जाना प्रस्तावित एवं निर्धारित है।जहां तक सम्भव हो, महाशिवरात्रि पर्व को एक दिवसीय,तीन दिवसीय अथवा पांच दिवसीय सरकारी शिवरात्रि मेलों को आयोजित करवाने का मार्ग प्रशस्त करवाने में पूर्णतः सफल सिद्ध आयोजन करा सकती है।