देवभूमि न्यूज 24.इन
गिरिपार क्षेत्र में शनिवार को माँ काली की आराधना के साथ माघी पर्व भतियोज शुरू हो गया है, गिरिपार क्षेत्र में सदियों से यह परंपरा निभाई जा रही है गिरिपार हाटी क्षेत्र में बूढ़ी दिवाली और माघी त्योहार भातियोज प्रमुख त्योहार हैपरंपराओं और संस्कृति के धनी गिरिपार क्षेत्र के हाटी हर वर्ष पोष माह को मनाये जाने वाले माघी त्योहार की शुरुआत शनिवार 11 जनवरी से हो गई है क्षेत्र के लोग इस दिन प्रातः सर्वप्रथम माँ काली के नाम की प्रसाद्ध की कडाही बनाकर इस पर्व की शुरुआत करते हैक्षेत्र मे माघी त्योहार सदियों से मनाया जाता है। परंपरा केमुताबिक इस पर्व पर हर घर मे बकरा काटा जाता हैबुर्जुगों के मुताबिक मां काली पूरे साल उनकी हर कष्टों से रक्षा करती है। इस पर्व को लेकर क्षेत्र के लोगों मे उत्साह रहता है। इस पर्व के लिये घर से बाहर रोजी रोटी के जुगाड़ में व नौकरी कर रहे नौकरी पेशा लोग भी घर आतें है।
यह माघी त्योहार गिरिपार क्षेत्र के तहसील शिलाई, संगडा़ह, राजगढ़, कमरउ, उपतहसील रोनहाट तथा पांवटा तहसील की आंजभोज की पंचायतों समेंत उत्तराखण्ड के जोंसार बाबर और शिमला जिले मे बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। पर्व के पहले दिन दूर दूर से नौकरीपैशा लोग अपने घर पंहुचते है। पूरा परिवार मिलकर पारंपरिक व्यंजनों का लुत्फ उठाता है तथा मिल-जुलकर इस पर्व को मनाया जाता है। इस दौरान एक माह तक मेहमाननवाजी और गीत संगीत का दौर भी चलता रहता है। भतियोज से पहले दिन बोश्ता मनाया जाता है इस दिन सभी घरों में पहाड़ी व्यंजन बनाए जाते है जबकि दूसरे दिन भातियोज मनाकर हर घर मे बकरा काटा जाता है उसके बाद खोड़ा मनाया जाता है इस दिन भी कई परिवारों में बकरे काटे जाते है