प्रधानमंत्री मोदी को क्यों कहना पड़ा, मेरे से गलती हुई

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देवभूमि न्यूज नेटवर्क
नई दिल्ली

भारतीय रुपया एक महीने के भीतर ही 84 की सीमा रेखा को पार करता हुआ 86 को पार गया। अभी तो ट्रंप व्हाइट हाउस में नहीं आए हैं। मेक्सिको, कनाडा और चीन पर जब टैरिफ लगाया जायेगा तो रुपए पर भी इसका असर आएगा। भारत सरकार के कैबिनेट मुखिया नरेंद्र मोदी जानते हैं। इसलिए उन्होंने एक बार पुनः देश से माफी मांगने का संवाद रचा।

मोदी का प्रचार तंत्र मोदी को भगवान का अवतार बता रहा था। 2014 के बाद सोशल मीडिया पर देश को गुमराह करते हुए पुराने इतिहास का हवाला दिया। यूनानी इतिहासकारों और भविष्य पुराण के आधार मोदी को भगवान नारायण का अवतार बताया। वही मोदी 2024 के चुनाव से पहले स्वयं को अवतारी पुरुष बताते हुए साक्षात्कार दे रहे थे। अब देश का खजाना लूट गया तो वे खुद के लिए माफी मांग रहे हैं। इससे पहले मणिपुर के मुख्यमंत्री से माफी दिलाई गई। ताजा जानकारी के अनुसार भारतीय मुद्रा ऐतिहासिक धरातल पर चली गई है। एक महीने में ही 84 से 86 का सफर पूरा कर लिया।

करीबन दो रुपए का ह्रास हुआ। मोदी सरकार ने 2014 में जब कार्यभार संभाला था तो करीबन 62 रुपए भाव था। 10 सालों में करीबन करीबन 25 रुपए भारतीय रुपया कमजोर हुआ। वो भी उस समय जब फ्रांस में इमैनुएल मैक्रो प्रेसिडेंट थे। भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 700 अरब डॉलर होने का दावा किया गया। अब इसमें यह जानकारी नहीं दी गई कि श्रीलंका, बांग्लादेश और मालद्वीव की कितनी मुद्रा है। अगर यह यूरो ओर अमेरिकी डॉलर से भरा होता तो रुपया इतना कमजोर नहीं होता। बांग्लादेश को भारतीय कंपनी बिजली बेचती है तो उसकी मुद्रा आयेगी। वहीं श्रीलंका और मालदीव को तो उसकी करंसी के बदले भारतीय रुपए दिए गए। यह सार्वजनिक है।

फ्रांस की कंपनी टोटल एनर्जी ने अडानी की कंपनी में निवेश किया हुआ है। अब जांच का विषय यह है कि राष्ट्रपति मैक्रो की इस कंपनी में नामी या बेनामी कितनी हिस्सेदारी है। यह सवाल इसलिए कि हाल ही में अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन प्रशासन ने सार्वजनिक किया है कि भारत सरकार की तरफ से सबसे महंगा तोहफा दिया गया।

इसके बदले में भारत सरकार चलाने वालों को क्या लाभ दिया गया। यह नहीं बताया। अक्षय कुमार के साथ इन्टरव्यू में 2019 में मोदी ने कहा था गुजराती एक हाथ से लेता है तो दूसरे हाथ से देता है।यह गुजरात पर 10 साल शासन करने वाले मोदी कह रहे थे। अब मैक्रो और बाइडेन प्रशासन इतनी मदद कर रहा था तो कुछ मिला होगा। मैक्रो की फ्रेंच एजेंसी से जांच होनी चाहिए। राफेल में उनको कितनी दलाली मिली। टोटल एनर्जी और अडानी के साथ उनका क्या रिश्ता है। 2014 में अडानी 5 बिलियन डॉलर्स की नेटवर्थ थी। फिर उसकी संपत्ति 165 बिलियन डॉलर्स तक कैसे पहुंची। 10 सालों में 160 बिलियन डॉलर्स का लाभ और लगभग 3000000000000 का बैंक लोन। 8 नवंबर 2016 को पीएम ने नोटबंदी की। इससे लोगों ने घरों में रखा हुआ पैसा बैंकों में जमा करवा दिया। फिर महीनों तक लाइन में लगकर अपना ही पैसा निकालने में लगा दिए। लोग उधर उलझ गए। इधर मोदी अडानी अंबानी का खेल शुरू हो गया। 10 सालों में जनता का 6000000000000 रुपे इन दोनों के पास पहुंच गए। इधर मोदी ने उत्तर प्रदेश में आंसू बहा कर माफी मांग ली। अब फिर से माफी मांगी जा रही है। चीन के साथ गुप्त समझौते से भारतीय जमीन और तिब्बत की आजादी को खो दिया। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा है पहले दिन 100 आदेशों पर हस्ताक्षर करेंगे। अब ट्रंप के आदेशों से दक्षिण कोरिया, जापान भी प्रभावित होंगे। इन देशों की कंपनियां मेक्सिको में निर्मित वाहन, इलेक्ट्रॉनिक उत्पाद अमेरिका भेजते थे। अब वह खेल बंद हो रहा है।