माघमास मे (स्नान-दान का फल) एवं व्रत त्यौहार

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देवभूमि न्यूज 24.इन

माघ एक ऐसा माह जो भारतीय संवत्सर का ग्यारहवां चंद्रमास व दसवां सौरमास कहलाता है। दरअसल मघा नक्षत्र युक्त पूर्णिमा होने के कारण यह महीना माघ का महीना कहलाता है। वैसे तो इस मास का हर दिन पर्व के समान जाता है। लेकिन कुछ खास दिनों का खास महत्व भी इस महीने में हैं। उत्तर भारत में 13 जनवरी को पौष पूर्णिमा के साथ ही माघ स्नान की शुरुआत हो जायेगी जिसका समापन 12 फरवरी को माघी पूर्णिमा के दिन होगा।

महाभारत अनुशासन पर्व अध्याय 106 के अनुसार

माघं तु नियतो मासमेकभक्तेन य: क्षिपेत्।
श्रीमत्कुले ज्ञातिमध्ये स महत्त्वं प्रपद्यते।।

अर्थात जो माघ मास में नियमपूर्वक एक समय भोजन करता है, वह धनवान कुल में जन्म लेकर अपने कुटुम्बजनों में महत्व को प्राप्त होता है।

पद्मपुराण, उत्तरपर्व में कहा गया है

ग्रहाणां च यथा सूर्यो नक्षत्राणां यथा शशी।
मासानां च तथा माघः श्रेष्ठः सर्वेषु कर्मसु।।

अर्थात जैसे ग्रहों में सूर्य और नक्षत्रों में चन्द्रमा श्रेष्ठ है, उसी प्रकार महीनों में माघ मास श्रेष्ठ है।

माघ में मूली का त्याग करना चाहिए। देवता और पितर को भी मूली अर्पण न करें।

माघ में तिलों का दान जरूर जरूर करना चाहिए। विशेषतः तिलों से भरकर ताम्बे का पात्र दान देना चाहिए।

महाभारत अनुशासन पर्व के 66वें अध्याय के अनुसार

माघ मासे तिलान् यस्तु ब्राह्मणेभ्यः प्रयच्छति। सर्वसत्वसमकीर्णं नरकं स न पश्यति॥

जो माघ मास में ब्राह्मणों को तिल दान करता है, वह समस्त जन्तुओं से भरे हुए नरक का दर्शन नहीं करता।

श्री हरि नारायण को माघ मास अत्यंत प्रिय है। वस्तुत: यह मास प्रातः स्नान (माघ स्नान), कल्पवास, पूजा-जप-तप, अनुष्ठान, भगवद्भक्ति, साधु-संतों की कृपा प्राप्त करने का उत्तम मास है। माघ मास की विशिष्टता का वर्णन करते हुए महामुनि वशिष्ठ ने कहा है, ‘जिस प्रकार चंद्रमा को देखकर कमलिनी तथा सूर्य को देखकर कमल प्रस्फुटित और पल्लवित होता है, उसी प्रकार माघ मास में साधु-संतों, महर्षियों के सानिध्य से मानव बुद्धि पुष्पित, पल्लवित और प्रफुल्लित होती है। यानी प्राणी को आत्मज्ञान की प्राप्ति होती है।

माघ स्नान का महात्म्य
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‘पद्म पुराण’ के उत्तर खण्ड में माघ मास के माहात्म्य का वर्णन करते हुए कहा गया है कि व्रत, दान व तपस्या से भी भगवान श्रीहरि को उतनी प्रसन्नता नहीं होती, जितनी माघ मास में ब्राह्ममुहूर्त में उठकर स्नानमात्र से होती है।

          व्रतैर्दानस्तपोभिश्च  न  तथा  प्रीयते  हरिः। 
          माघमज्जनमात्रेण यथा प्रीणाति केशवः।। 

      अतः सभी पापों से मुक्ति व भगवान की प्रीति प्राप्त करने के लिए प्रत्येक मनुष्य को माघ-स्नान व्रत करना चाहिए। इसका प्रारम्भ पौष की पूर्णिमा से होता है। 

माघ मास की ऐसी विशेषता है कि इसमें जहाँ कहीं भी जल हो, वह गंगाजल के समान होता है। इस मास की प्रत्येक तिथि पर्व हैं। कदाचित् अशक्तावस्था में पूरे मास का नियम न ले सकें तो शास्त्रों ने यह भी व्यवस्था की है तीन दिन अथवा एक दिन अवश्य माघ-स्नान व्रत का पालन करें। इस मास में स्नान, दान, उपवास और भगवत्पूजा अत्यन्त फलदायी है।

माघ मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी ‘षटतिला एकादशी’ के नाम से जानी जाती है। इस दिन काले तिल तथा काली गाय के दान का भी बड़ा माहात्म्य है।

  1. तिल मिश्रित जल से स्नान, 2. तिल का उबटन, 3. तिल से हवन, 4. तिलमिश्रित जल का पान व तर्पण, 5. तिलमिश्रित भोजन, 6. तिल का दान।

ये छः कर्म पाप का नाश करने वाले हैं।माघ मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या ‘मौनी अमावस्या’ के रूप में प्रसिद्ध है। इस पवित्र तिथि पर मौन रहकर अथवा मुनियों के समान आचरणपूर्वक स्नान दान करने का विशेष महत्त्व है।

मंगलवारी चतुर्थी, रविवारी सप्तमी, बुधवारी अष्टमी, सोमवारी अमावस्या, ये चार तिथियाँ सूर्यग्रहण के बराबर कही गयी हैं। इनमें किया गया स्नान, दान व श्राद्ध अक्षय होता है।

माघ शुक्ल पंचमी अर्थात् ‘वसंत पंचमी’ को माँ सरस्वती का आविर्भाव-दिवस माना जाता है। इस दिन प्रातः सरस्वती-पूजन करना चाहिए। पुस्तक और लेखनी (कलम) में भी देवी सरस्वती का निवास स्थान माना जाता है, अतः उनकी भी पूजा की जाती है।

शुक्ल पक्ष की सप्तमी को ‘अचला सप्तमी’ कहते हैं। षष्ठी के दिन एक बार भोजन करके सप्तमी को सूर्योदय से पूर्व स्नान करने से पापनाश, रूप, सुख-सौभाग्य और सदगति प्राप्त होती है।

ऐसे तो माघ की प्रत्येक तिथि पुण्यपर्व है, तथापि उनमें भी माघी पूर्णिमा का धार्मिक दृष्टि से बहुत महत्त्व है। इस दिन स्नानादि से निवृत्त होकर भगवत्पूजन, श्राद्ध तथा दान करने का विशेष फल है। जो इस दिन भगवान शिव की विधिपूर्वक पूजा करता है, वह अश्वमेध यज्ञ का फल पाकर भगवान विष्णु के लोक में प्रतिष्ठित होता है।

माघी पूर्णिमा के दिन तिल, सूती कपड़े, कम्बल, रत्न, पगड़ी, जूते आदि का अपने वैभव के अनुसार दान करके मनुष्य स्वर्गलोक में सुखी होता है। ‘मत्स्य पुराण’ के अनुसार इस दिन जो व्यक्ति ‘ब्रह्मवैवर्त पुराण’ का दान करता है, उसे ब्रह्मलोक की प्राप्ति होती है।

माघ मास के व्रत त्यौहार
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14 जनवरी 👉 मकर संक्रान्ति, सूर्य मकर में 08:55 से (पुण्य काल प्रातः 08:55 से सूर्यास्त तक), गंगासागर यात्रा व स्नान, पोंगल (दक्षिण भारत), दशाश्वमेघ घाट (काशी) स्नान आरम्भ, प्रथम शाही स्नान (त्रिवेणी) प्रयागराज।

15 जनवरी 👉 जल्लीकट्टू तमिलनाडू।

17 जनवरी 👉 संकष्ट माघी (तिल) चतुर्थी, संकट हरण गणपति व्रत।

21 जनवरी 👉 कालाष्टमी, श्री रामानन्दाचार्य जयन्ती, राष्ट्रीय माघ मास आरम्भ, सर्वाप्ति सप्तमी, स्वामी विवेकानन्द जयन्ती (तिथि प्रमाण)।

6 फरवरी 👉 षटतिला एकादशी व्रत (सभी के लिए)।

23 जनवरी 👉 नेता जी सुभाष चन्द्र बोस जयन्ती।

25 जनवरी 👉 षटतिला एकादशी व्रत (सबका)।

26 जनवरी 👉 तिल द्वादशी, 76 वाँ गणतन्त्र दिवस, शीतल नाथ जयन्ती (जैन)।

27 जनवरी 👉 सोम प्रदोष व्रत, मासिक शिवरात्री, मेरू त्रयोदशी (जैन)।

29 जनवरी 👉 देव-पितृ कार्य हेतु माघी मौनी अमावस्या, द्वितीय शाही स्नान (त्रिवेणी) प्रयागराज।

30 जनवरी 👉 पंचक आरम्भ 18:35 से, चन्द्र दर्शन, माघ गुप्त नवरात्रि विधान आरम्भ।

31 जनवरी 👉 बाबा रामदेव बीज।

01 फरवरी 👉 गौरी तृतीया, वरद विनायक तिल (कुन्द) चतुर्थी।

02 फरवरी 👉 श्री पंचमी, वसंत पंचमी (सरस्वती जन्मोत्सव पूजा), वागेश्वरी जयन्ती (काशी), तृतीय शाही स्नान (त्रिवेणी) प्रयागराज।

03 फरवरी 👉 पंचक समाप्त 23:16 पर, मंदार षष्ठी, शीतला षष्ठी (बंगाल)।

04 फरवरी 👉 अचला-रथ-आरोग्य सप्तमी (अरूणोदय स्नान), श्री माँ नर्मदा जन्मोत्सव।

05 फरवरी 👉 भीष्माष्टमी, दुर्गाष्टमी, खोडीयार माँ जयन्ती।

06 फरवरी 👉 गुप्त नवरात्रि समाप्त, महानन्दा नवमी।

07 फरवरी 👉 गुप्त नवरात्र पारण, मुनि अजीतनाथ जयन्ती (जैन)।

08 फरवरी 👉 जया एकादशी व्रत (सबका)।

09 फरवरी 👉 भीष्म द्वादशी, तिल द्वादशी।

10 फरवरी 👉 सोम प्रदोष व्रत, विश्वकर्मा एवं गुरु गोरखनाथ जयन्ती।

12 फरवरी 👉 श्री सत्यनारायण (पूर्णिमा) व्रत, स्वामी करपात्री जी पुण्य, गुरू रविदास जयन्ती, श्री ललिता जयन्ती, माघ स्नान पूर्ण, भैरवी जयन्ती।

माघ मास में प्रतिदिन माघ महात्म्य पाठ के एक अध्याय पोस्ट किया जाएगा।

✍️ज्यो:शैलेन्द्र सिंगला पलवल हरियाणा mo no/WhatsApp no9992776726
नारायण सेवा ज्योतिष संस्थान