वन बीट शिल्ला के लालुग में वन भूमि पर हो रहें अवैध खनन पर उद्योग मंत्री ने लिया संज्ञान

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माइनिंग विभाग और वन विभाग को दिए सख़्त कार्यवाही के आदेश

अवैध खनन वाली सड़क होगी बंद , बोलें वन भूमि में अवैध खनन करना सबसे बड़ा अपराध

हरीभरी वनस्पति को नुकसान पहुँचाने वाले पर खनन माफियाओं पर होगी सख्त कार्यवाही ।

देवभूमि न्यूज नेटवर्क
हिमाचल प्रदेश-सिरमौर
कंवर ठाकुर-शिलाई

सिरमौर जिला के कफोटा उपमंडल के अंतर्गत शिल्ला वन बीट के अंतर्गत आने वाले क्षेत्र लालुग में लाखों मेट्रिक टन बजरी का अवैध खनन हुआ है , हुए अवैध खनन से निकालने वाली बजरी का उपयोग अधिकतर राष्ट्रीय राजमार्ग 707 तिलोरधार से टिम्बी तक किया जा रहा है । जिसको लेकर क्षेत्र के लोगों ने प्रदेश सरकार और उद्योग मंत्री से अवैध खनन करने वालो पर सख्त कार्यवाही अपील की थी

जिसपे उद्योग मंत्री ने कड़ा संज्ञान लेते हुए माइनिंग विभाग और वन विभाग सख्त कार्यवाही और वन भूमि पर बनी अवैध सड़क को बंद करने व अवैध खनन वाली जगह को सुरक्षित करने के आदेश दिए है ।

बता दे कि वन परिक्षेत्र श्री रेणुका जी के अंतर्गत आने वाली रेंज कार्यालय कफोटा की वन बीट शिल्ला के लालुग में दिन रात अवैध खनन जारी है ।

यहां खनन माफियाओं के हौसले इतने बुलंद है जिस पर कोई भी विभाग कार्यवाही करने से गुरेज करते है । पिछले एक साल से वन भूमि पर दिन रात अवैध खनन किया जा रहा है लेकिन वन विभाग, सहित स्थानीय प्रशासन, माइनिंग विभाग ,पुलिस विभाग सहित जिमेदार विभाग आंख मुद कर बैठा है । यहां खनन माफिया वन भूमि से चांदी कूट रहे हैं और वन विभाग सहित जिमेदार विभाग तमाशा देख रहा है । वन भूमि में चल रहे अवैध खनन करने वाली फ्रंट साइड पर विभाग ने 5 मीटर तारबाड़ किया जबकि अवैध खनन करने वाली सड़क को अभी तक बंद नही किया है जहां से अब भी दिन-रात अवैध खनन को अंजाम दिया जा रहा है ।

वन विभाग ने खनन माफियाओं पर मामूली डी आर जरूर काटी है लेकिन मौके से ना आज तक जेसीबी मशीन नही पकड़ पाई ना ही कोई गाड़ी । वन भूमि से निकल जा रही बजरी का इस्तेमाल खनन माफिया राष्ट्रीय राजमार्ग 707 पर किया जा रहा है जिसके ढेर तिलोरधार से टिम्बी तक जगह जगह लगे हुए हैं । जब से राष्ट्रीय राजमार्ग 707 का कार्य शुरू हुआ है तब से वन भूमि से अवैध खनन से निकली जा रही का इस्तेमाल किया जा रहा है । ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर जिम्मेदार भाग किसके इशारे पर चुप बैठे हैं यह सोचने वाली बात है । अब देखने वाली बात यह है कि वन भूमि पर बनी अवैध सड़क कब बंद होती है और खनन माफियाओं पर कब सख़्त कार्यवाही अमल में लाई जाती है ।
क्षेत्रीय लोगो की माने तो पहाड़ो को खोखला करने में खनन माफिया कोई कसर नही छोड़ रहे है । वन भूमि पर हरि भारी वनस्पति सहित सैकड़ों प्रकार की ओषधियों को नष्ट करने का सिलसिला जारी है ।

वन बिट लालुग से अवैध खनन कर बजरी को राष्ट्रीय राजमार्ग 707 पर तिलोरधार से टिम्बी तक उपयोग की जा रही है । खनन माफियाओं के हौसले इतने बुलंद है कि कोई विभाग कार्रवाई करने की जेहमद नही उठता यहां तक कि स्थानीय पत्रकार भी गुरेज करते है । कार्रवाई के नाम पर वन विभाग मामूली डी आर काटकर खनन माफियाओं का संरक्षण सीधे तौर पर कर रहे है । वन भूमि में वन विभाग ने कुछ हिसा तो तारबाड़ किया लेकिन अभी तक खनन करने वाली मुख्य सड़क जो की वन भूमि पर बनी है उसको बंद नहीं किया है और ना ही खनन माफियाओं के खिलाफ कोई सख्त कार्यवाही अमल में लाई है जिससे साफ जाहिर होता है कि खनन माफियाओं की वन विभाग के साथ मिलीभगत है ।लोगों ने उद्योग मंत्री हर्षवर्धन चौहान और प्रदेश सरकार से मांग की है कि खनन माफियाओं के खिलाफ सख्त कार्रवाई अमल में लाई जाए अन्यथा लोग सड़कों पर उतरेंगे ।

दरअसल वन बीट शिल्ला के लालुग में वन परिक्षेत्र से खनन माफियाओं ने वर्षों पहले लाखों करोड़ों मेट्रिक टन बेशुमार कीमती पत्थर निकालकर बेचे हैं । वन भूमि से निकले गए बेशुमार कीमती पत्थरों से खनन माफियाओं ने खूब संपत्ति जुटाई है । वन भूमि पर निकले गए उक्त जगह पर 500 मीटर गहरी खाई भी बना दी है जहां पर कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है । वन विभाग सहित जिमेदार विभाग पर सवालिया निशान खड़े होते है कि आखिर किसके इशारों पर इतनी बड़ी खाई वन भूमि पर बनाई गई जिसकी भनक किसी को नही लगी । ओर अब उसी खाई के साथ और खाई बनाने की कोशिश जारी है । खनन माफियाओं पर किसी भी विभाग ने कोई सख्त कार्यवाही नही की है जिससे खनन माफियाओं के होंसले आज भी बुलंद है ।