हिन्दुस्तान हमारा’सारे जहाँ से अच्छा-सीमा बोस

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सारे जहां से अच्छा,हिंदुस्तान हमारा,हम बुलबुले हैं इसके, यह गुलिस्तां हमारा।’
देवभूमि न्यूज 24.इन
मोहम्मद इकबाल की इन पक्तियों की मधुर ध्वनि सुनते ही सिर नतमस्तक हो जाता है और फिर याद आ जाता है वो भारत की राजधानी दिल्ली राजपथ इंडिया गेट और 26 जनवरी की परेड, जल, थल और वायु सेना की झाँकी का प्रदर्शन ऊँचाईयों को छूता हुआ, हमारी आजादी का प्रतीक तिरंगा झंडा, सैनिकों की परेड, आसमाँ में पक्षियों की भांति उड़ते रंगीन गुब्बारे हमें हमारी आजादी का संकेत देते हैं।

भारत त्यौहारों का देश है पर कुछ राष्ट्रीय पर्व 2 अक्टूबर स्वतन्त्रता दिवस, गणतन्त्र दिवस का अपना ही अलग महत्व है। 26 जनवरी राष्ट्रीय पर्व में महावर्व है क्योंकि मुक्ति संघर्ष के बाद, इतिहास में राष्ट्र को सर्वप्रमुत्ता सम्पन्न गणतन्त्रात्मक गणराज्य का स्वरूप प्रदान करने का श्रेय इसी पुण्य तिथि को है।

1600 ई. में ईस्ट इंडिया कंपनी का व्यापार की दृष्टि से भारत में आगमन और डच, पुर्तगाली, फ्रांसीसी हालैण्ड, इंग्लैंड निवासी का आर्थिक, राजनैतिक, शैक्षिक हस्तक्षेप, उपनिवेश और व्यापारिक शक्ति को बढ़ाना, सोने की विड़िया कहलाने वाले देश के पंख अंग्रेजी सत्ता के हाथों बिखरने लगे। धीरे-धीरे आजादी के सूर्य को विदेशी शक्तियों की गुलामी का ग्रहण लग गया, गुलामी की जंजीरों में जकड़ी भारत माता पुकार उठी ‘पराधीन सपनेहूं सुख नाहिं।’

पदीप जैसे गायक का मन व्याकुल होकर बोल उठा-‘देख तेरे संसार की हालत, क्या हो गई भगवान? कितना बदल गया इन्सान….।’ समय ने करवट बदली, छत्रपति शिवाजी, महाराणा प्रताप, वन्द वैरागी, गुरू गोविन्द सिंह जैसे शहीदों की
धरती से ने एक बार फिर संघर्ष की मशाल जलायी और डॉ. केशव हेडगेवार, ईश्वरचंद विद्यासागर, मदन मोहन मालवीय, लौह पुरूष वल्लभ भाई पटेल, झांसी की रानी लक्ष्मी बाई, तांत्या टोपे, सुभाष चन्द बोस, मौलाना अबुल कलाम आजाव, सरदार भगत सिंह, महात्मा गांधी जैसे सैंकड़ों भारत माँ के सपूज आजादी की जंग में उतर गये और फिर एक ही लक्ष्य तुम मुझे खून दो मैं तुम्हें आजादी दूंगा”

आजाद के इन शब्दों ने जादू का काम किया और अनत में गांधी जी के नारे करो या मरो अंग्रेज भारत छोड़ो’ अभियान ने 15 अगस्त 1947 को देश आजाद कराया और 26 जनवरी 1950 को भारत को पूर्ण गणतन्त्र का अधिकार मिला। अपनी एक हिन्दी भाषा, अपना तिरंगा ध्वज, निश्चित जनसंख्या और जम्मू-कश्मीर से कन्या कुमारी तक निश्चित भू-भाग अपना संविधान, आजाद और गणतन्त्र भारत की पहचान है। यही हमारे देश की शान है। अब इस आजादी को कायम रखना हमारे हर भारतवासी का पहला कर्तव्य है क्योंति

*26 जनवरी कहती आकर हर संघर्षों से ही मिलता है जीने का

सीमा बोस हिन्दी अध्यापिका पांवटा साहिब,जिला सिरमौर
हिमाचल प्रदेश