पावन चिंतन धारा आश्रम के मंच पर छत्तीसगढ़ और बंगाली लोक नृत्य की प्रस्तुति

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देवभूमि न्यूज 24.इन


ऋषिकुलशाला प्रकल्प के संस्थापक डॉ. पवन सिन्हा ‘गुरुजी’ का मानना ​​है कि “बच्चे राष्ट्र की संपत्ति हैं और उनके जीवन और बचपन को बनाए रखना हम सभी की जिम्मेदारी है”।वंचितों को खाना खिलाना जरूरी है, लेकिन उससे भी ज्यादा जरूरी है व्यक्ति को सशक्त बनाना ताकि वे सम्मान के साथ अपना भोजन अर्जित कर सकें और साथ ही जागरूक और स्वस्थ भी बन सकें ताकि देश और समाज के लिए भी अपना योगदान दे सकें। इसके लिए सबसे महत्वपूर्ण उपकरण है ‘शिक्षा’।

इसी पावन , पवित्र सोच के साथ, डॉ. पवन सिन्हा ‘गुरुजी’ ने ऋषिकुलशाला परियोजना शुरू की ।


ऋषिकुलशाला प्रकल्प एक अनौपचारिक शिक्षा प्रणाली है जिसका उद्देश्य हाशिए पर रहने वाले बच्चों को पढ़ाना और उन्हें समाज की मुख्यधारा में शामिल होने के लिए सक्षम बनाना है।

देश के दस राज्यों के 15 शहरों में ऋषिकुलशाला के 25 केंद्र संचालित हैं जिसमें लगभग 2000 बच्चे अनौपचारिक माध्य्म्म से 150 विवेक टोली सदस्यों के माध्य्म्म से शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं।
ऋषिकुलशाला द्वारा बच्चों में कौशल विकसित कर उन्हें अपने अपने पैरों पर खड़ा कर एक सम्मानजनक जीवन देने का कार्य भी किया जा रहा है ।

जिसके अंतर्गत बच्चे गंधर्व महाविद्यालय दिल्ली,पॉली टेक्निक संस्थान हरियाणा में शिक्षा , एवं HCL कंपनी में ट्रेनिग प्राप्त कर रहे है ।

सैन्टर न० 14 मेरठ पर मास्टर ट्रेनर शशी बाला एवं विवेक टोली सदस्य:- वर्तिका सिंह , सुमन त्यागी, अन्शु गोयल तथा
सैन्टर न० 2 जागृति विहार मेरठ पर अग्रिमा सिंह मास्टर ट्रेनर , विवेक टोली सदस्य :- मनोज कुमार, रश्मि तिक्खा श्री गुरु पवन सिन्हा जी के मार्गदर्शन में बच्चों को शिक्षित कर रहे हैं :-