गुड्डू का लड्डू। (कहानी)-राजीव शर्मन

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अम्बिकानगर-अम्ब कॉलोनी रेलवे-स्टेशन रोड अम्ब-177203 जिला ऊना-हिमाचल प्रदेश।

  *देवभूमि न्यूज 24..इन* 

गोपाल-गूड्डू ने अपना स्कूली बस्ता तैयार कर लिया था।
माताजी ने केलों के पत्तों में मक्की की रोटी लपेटकर थोड़ा सा गुड़ रखकर हरे घास की वर्णमाला से बांध कर गुड्डू को स्कूल भेज दिया था। स्कूल चलती बार रास्ते का प्राकृतिक बातावरण सारी कच्ची सड़क की मुश्किल को विराम लगा देता था। घर से निकलते गुड्डू को पीपलेश्वर ब्रह्म के पत्तों में प्राची से उगती सूर्य की किरणें आलोकित करती थी। उत्तर की पहाड़ियों में दूर बहती व्यास नदी का विहंगम नजारा था। कभी कभी स्कूल से वापसी पर गुड्डू दूर दराज निकलकर व्यास नदी के उद्गम स्थल की ओर भागने लगता था। पहाड़ियों का रास्ता समाप्त नही होता और सूर्य ढलने को हो जाता था। गोपाल-गुड्डू के पिताजी गांव की पंचायत के सरपंच थे। हर समय गांव के पीपल ब्रह्म के नीचे स्थानीय जमीन के झगड़ों को लेकर आए ग्रामीणों की चौपाल लग जाती थी। गोपाल गुड्डू की समझ में नहीं आता था कि यह जगह- जमीन के झमेलें क्यों लगे रहते है। कभी कभार कोई गोपाल गुड्डू से कोई ग्रामीण पूछता कि वह बड़ा होकर पढ़ाई-लिखाई करके क्या बनना चाहेगा? गोपाल गुड्डू सोच विचार में पड़ जाता था। सोच समझकर उसका जबाव होता कि वह तो शहर में बड़ा बकील-जज बनेगा और गांव के सभी ग्रामीणों के पारस्परिक जगह-जमीनी झगड़े-झमेलों को समाप्त कर देगा। गांव के पुराने लम्बरदार काका ने गोपाल गुड्डू से उसके पिताजी लालमन के सामने पूछा कि अगर झगड़े-टंटे खत्म ना हुये तो वह क्या करेगा? ” इस पर गोपाल-गुड्डू का तपाक से प्रत्युत्तर सुनकर पिताजी लालमन की जगह हिल चुकी थी।” गोपाल-गुड्डू का कहना था कि वह अपनी तुंगल घाटी की सारी जमीन पर बहुत बड़ा कारखाना स्थापित करेगा और हजारों लोगों को रोजगार का अवसर मिलेगा। वह सैंकड़ों लोगों की रिहाईश के लिए अपनी जगह-जमीन पर बहुत बड़ी आवासीय कॉलोनी का निर्माण भी करायेगा। लालमन की हालत तो पतली हो चुकी थी किंतु गोपाल-गुड्डू के चाचाजी जोधामल बहुत प्रसन्नचित्त दिख रहे थे। चाचा जोधामल जी का कहना था कि आने वाले दिनों में सभी काश्तकार जमीनों के 2448 होने से मालिक बन जायेगें। वृद्ध सरपंच काकाराम ने गोपाल-गुड्डू को अनेकों प्रकार के प्रश्नों की बौछार लगा दी थी। ” किस प्रकार का कारखाना होगा? कच्चा पक्का माल ढुलाई का सड़क साधन क्या होगा? इतने बड़े कारखानों को स्थापित करने के लिए धन पूंजी कहां से आएगी?
गोपाल-गुड्डू का विनम्रतापूर्वक अंदाज बहुत लाजबाव था। गोपाल गुड्डू का बेवाक जबाव पर सभी हंसने लगे थे। गोपाल-गुड्डू तर्क वितर्क किए जा रहा था। अभी तो गुड्डू चौथी क्लास में था। मास्टर नन्दलाल जी ने अनुशासन का पाठ पढ़ाया है। स्कूल के शारीरिक शिक्षा अध्यापक जिंदूराम जी से छठी कक्षा में सभी समस्याओं का समाधान हो जायेगा। सभी ग्रामीण गोपाल-गुड्डू की बातों पर खिलखिलाहट से हंसते जाते थे। गोपाल-गुड्डू ने अपनी योजनाओं पर गम्भीरतापूर्वक कार्य सम्पादित करने की कोशिश पर जोर देना शुरु कर दिया था। वह सुबह नहा धोकर सबसे पहले पीपल ब्रह्म समीप पुराने शिवालय पर बावड़ी का जल चढ़ाता था। ग्रामीण महिलाएं कभी कभी गोपाल-गुड्डू से पूछा कि उसे शिवजी की पूजा करने से गांव की कौन सी लड़की से व्याह-शादी करनी है? यह सुनकर शर्मीले स्वभाव का गोपाल-गुड्डू झटपट दौड़कर निकल लेता था। जब कभी वह अपना जल कमंडल भरने बावड़ी पर आता तो महिलाएं वही पुराना प्रश्न करती थी कि शिवजी से कौन सी लड़की से व्याह-शादी का वरदान प्राप्त करना चाहता है? गांव की श्यामली नामक महिला सबसे ज्यादा कटाक्ष गोपाल- गुड्डू पर किया करती थी। एक दिन महा-शिवरात्रि पर्व पर सभी बावड़ी से जल लेकर भगवान शंकर जी का जलाभिषेक करने लम्बी कतार में खड़े थे। गोपाल-गुड्डू भी कतार में खड़ा होकर अपना कमंडल लेकर जल भरने के लिए खड़ा था। गोपाल-गुड्डू के ठीक सामने महिलाओं की कतार में श्यामली खड़ी थी। वह लगातार गोपाल-गुड्डू से व्याह शादी का जबाव तलब कर रही थी। पहले तो बावड़ी पर भीड़ ना होने से गोपाल गुड्डू भाग जाता था। आज भाग पाना मुमकिन नहीं था। श्यामली के बार बार सवाल करने से गोपाल गुड्डू परेशान था। जल भरे विना जाना मुनासिब नहीं था। श्यामली और गोपाल-गुड्डू साथ साथ अपनी बारी की ओर बढ़ रहे थे। गोपाल- गुड्डू ने अपना जल कमंडल भरा और श्यामली आंटी को सीधा जबाव दिया। गोपाल गुड्डू ने श्यामली आंटी को बताया कि श्यामली आंटी की लड़की रानी उसके साथ पढती है। जब कभी शादी होगी तो वह रानी से ही ब्याह शादी करेगा।
श्यामली की भी आज जमीन खिसक ली थी।गोपाल गुड्डू वहां से भाग लिया था। वह श्यामली आंटी की घेराबंदी में आने वाला नहीं था। महा-शिवरात्रि को शिवालय में रात्रि जागरण का आयोजन था। लालमन का सारा परिवार शिवालय में मौजूद था। उधर श्यामली आंटी का परिवार भी मंदिर में इक्ट्ठा था। पहले पहल गोपाल-गुड्डू का रानी से आमना सामना हो गया था। गोपाल गुड्डू ने रानी को बतलाया कि आज भगवान शंकर जी की पार्वती जी से व्याह रचाने की बारात निकली है। श्यामली आंटी को बताना कि किसी दिन गांव में गोपाल- गुड्डू और रानी की भी व्याह-शादी की जोरदार बारात निकलेगी।
अगले ही क्षण लालमन का सारा परिवार और श्यामली आंटी का परिवार आमने सामने था। श्यामली आंटी गोपाल-गुड्डू के माता पिताजी से उसकी शिकायत कर रही थी। यहां पर गोपाल-गुड्डू ने भी मोर्चा संभाल लिया था। गोपाल-गुड्डू का कहना था कि श्यामली आंटी जी रोज बावड़ी पर व्याह-शादी पर मजाक उड़ाती है। अगर मैनें भी व्याह-शादी को लेकर थोड़ा संवाद कर दिया तो आंटी बिचलित हो गई है। ग्रामीणों ने बीच बचाव करके मामला शांत करा दिया था। इस दिन के बाद श्यामली आंटी ने गोपाल-गुड्डू को व्याह-शादी पर कटाक्ष करना बंद कर दिया था। गांव में सर्वांगीण विकास क्रान्ति के चलते कायाकल्प हो चुका था। गोपाल- गुड्डू ने वकालत की परीक्षा पास कर ली थी। संयोगवश श्यामली आंटी की रानी ने भी वकालत की परीक्षा पास कर ली थी। दोनों गोपाल गुड्डू और रानी ने शहर में वकालत की प्रैक्टिस करना शुरु कर दिया था। पिछले पांच सालों से प्रैक्टिस करने पर ज्यादा सफलता नहीं मिल पाई थी। ऐसे में नए नए कारोबार चलाने की योजनाएं बनने लगी थी।
दोनों रानी और गोपाल गुड्डू की पारस्परिक सहमति कारोबार चलाने के लिए बन चुकी थी। दोनों ने बैंक से कर्ज लेकर पापकारन की मशीन लगा दी थी। पापकारन (भूट्ठे)के पैकेट्स गांव व शहर में बड़े पैमाने पर बिकने लगे थे। इसी तरह तिल-लड्डू, खोये के पेड़े व नमकीन दालों की भी अच्छी खासी खपत विक्री और मुनाफा आना शुरु हो गया था। गोपाल- गुड्डू और रानी के व्याह शादी पर लालमन और श्यामली आंटी के परिवारों में रजामंदी होने की महज औपचारिकता बाकी थी। सारे गांव में गोपाल-गुड्डू और रानी की शादी धूमधाम से सम्पन्न हुई थी।
बर्तमान में गोपाल -लड्डू ब्रांड सभी जगह स्वादिष्ट व प्रसिद्ध खपत की मिठाई मानी जाती है।
आजकल गोपाल-गुड्डू व रानी ने गांव में टायलों को बनाने की बड़ी फैक्ट्री भी सफलतापूर्वक स्थापित कर ली है।गांव में विभिन्न खाद्य पदार्थो के उत्पाद व
मसालों का भरपूर मात्रा में वितरण का व्यवसाय चमका है। एक बहुत बड़ी आटा चक्की भी चलती है। गोपाल गुड्डू और रानी निर्माण कार्य के ठेकेदार भी बन चुके है।गोपाल-गुड्डू को सफलता का लड्डू का पर्याय भी माना जाने लगा है।
गोपाल गुड्डू व रानी दोनों दाम्पति के स्कूली गुरुजनों को उनकी सफलतापूर्वक गतिविघियों परआज भी नाज है।

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