बसन्त ऋतु

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      सीमा बोस
 *देवभूमि न्यूज 24.इन*

पूर्वा सुहानी आई। ऋतुओं की रानी आई ।। संग राजा बसन्त आया। साथ अपने प्रकृति की सौगात लाया ।। सूर्य की लालिमा हुई उदित । स्प्निल कलियाँ हुई अंकुरित ।।

कली-कली पर भौर मंडराये। सरसों आम्र के बौर की भीनी-मीनी महक मन हर्षाये तोता, मैना, गौरेया कुह कुह । कोयल की चहक ।। दूर पनघट पर आती गौरी की। पायल की छन-छन छनक ।। बच्चों की चहल-पहल, चूल्हे से उठती। वो धूमिल धुँए की गंध ।।

माँ के हाथों का साग, माखन । रोटी की सुगंध ।। माँ सरस्वती का आशीर्वाद, वीणा का स्वर। अपनों का प्यार ।। दही, मिश्री संग मनायें। बसंत का पावन त्यौहार ।।