विदर्भ के किसान संगठन संयुक्त किसान मोर्चा से जुड़कर सशक्त आंदोलन छेड़ेडॉ सुनीलम

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3 किसान विरोधी कानूनों का पुनर्जन्म राष्ट्रीय कृषि बाजार नीति के तौर पर हो चुका है

संयुक्त किसान मोर्चा राष्ट्रीय कृषि बाजार नीति को रद्द कराएगा
देवभूमि न्यूज 24.इन
किसान संघर्ष समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष पूर्व विधायक डॉ सुनीलम ने अकोला में शेतकरी विकास मंच द्वारा आयोजित शेतकारी समाधान मेळावा को संबोधित करते हुए कहा कि अकोला और मुलताई का नजदीकी रिश्ता है। अकोला की मुरना नदी ताप्ती की सहायक नदी है तथा दोनों सीपी (सेंट्रल प्रोविंस) और बरार राज्य का हिस्सा रहे हैं।
डॉ सुनीलम ने कहा कि हैदराबाद के निजाम द्वारा जब सैनिकों को वेतन नहीं बांटा जा सका तब कर्ज उतारने के लिए अकोला को ईस्ट इंडिया कंपनी को 1853 में दे दिया गया।


डॉ सुनीलम ने कहा कि महाराष्ट्र के किसान आंदोलन की प्रेरणा से मंदसौर में किसान आंदोलन हुआ तब भाजपा सरकार के वर्तमान कृषि मंत्री तथा तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने गोली चालन कराया जिसमें 6 किसान शहीद हुए। तब अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति का गठन हुआ था, जिसमें पहली बार देश के 150 किसान संगठन शामिल हुए। कोरोना काल में तीन किसान विरोधी कानून किसानों पर थोपे जाने के बाद संयुक्त किसान मोर्चे का गठन हुआ।
डॉ सुनीलम ने कहा कि जिन तीन किसान विरोधी कानूनों को 380 दिन तक आंदोलन चलाकर, 750 किसानों की शहादत के बाद रद्द कराया गया था, उन कानूनों का पुनर्जन्म हो चुका है, उसे राष्ट्रीय कृषि बाजार नीति कहते हैं। जिनको रद्द कराने का संकल्प आज शेतकरी समाधान मेळावा में लिया जाना चाहिए।
राष्ट्रीय कृषि बाजार नीति का विरोध इसलिए भी किया जाना चाहिए क्योंकि इस नीति से मंडी व्यवस्था ध्वस्त हो जाएगी। इस नीति के माध्यम से राज्य के अधिकारों पर केंद्र सरकार द्वारा अतिक्रमण कर लिया जाएगा। यह किसानों की जमीन (अडानी -अंबानी) कॉरपोरेट को एफपीओ (किसानों की कंपनी) के माध्यम से सौंपने का षड्यंत्र है। किसान की जगह किसान उत्पादक संगठन ( FPO ) बनाया जा रहा है।

जिस पर नियंत्रण राज्य सरकार का नही बल्कि केंद्र के सहकारिता मंत्रालय का होगा।
उन्होंने कहा कि जब मंडी खत्म हो जाएगी तब कृषि बाजार कॉर्पोरेट के कब्जे में चला जाएगा। तब किसानों की आय बढ़ाने का नियंत्रण सरकार के हाथ में नहीं रहेगा। एमएसपी पर खरीद की कानूनी गारंटी की मांग सदा के लिए ध्वस्त हो जाएगी।
डॉ सुनीलम ने कहा कि इससे कृषि बाजार – व्यापार- खरीद में कॉर्पोरेट का एकाधिकार (मोनोपोली ) कायम हो जाएगा। छोटे व्यापारियों द्वारा खरीद की संभावना सदा के लिए समाप्त हो जाएगी क्योंकि बहुराष्ट्रीय कंपनियों के सामने छोटे स्थानीय व्यापारी टिक नहीं पाएंगे।


डॉ सुनीलम ने गांव गांव में राष्ट्रीय कृषि बाजार नीति को लेकर जागरूकता पैदा करने, प्रारूप की प्रतियां जलाने और एमएसपी पर खरीद की कानूनी गारंटी और कर्जा मुक्ति अभियान के लिए प्रभावशाली आंदोलन चलाने की अपील की।
डॉ सुनीलम ने कहा कि 2025- 26 का कुल बजट 50.65 लाख करोड़ है जिसमें कृषि एवं किसान कल्याण विभाग को 1.27 लाख करोड़ आवंटित किया गया है जो कि कुल बजट का 2.51 प्रतिशत है। अगर किसान सम्मान निधि की 63 हजार 500 करोड़ की राशि हटा दी जाए तो यह केवल 0.89% रह जाता है। भारत में 14 करोड़ हेक्टेयर जमीन है, जिस पर 17 करोड़ परिवार निर्भर है। सरकार द्वारा प्रति हेक्टेयर पर 2500 रूपया खर्च किया जा रहा है।
डॉ सुनीलम ने अपील कि आने वाले समय में विदर्भ के किसान संगठन संयुक्त किसान मोर्चा से जुड़कर सशक्त आंदोलन छेड़े