-राजीव शर्मन अम्बिकानगर-अम्ब कॉलोनी समीप रेलवे-स्टेशन क्रासिंग ब्रिज अम्ब तहसील अम्ब-177203 जिला ऊना-हिमाचल प्रदेश।
*देवभूमि न्यूज 24.इन*
150 सालों के अंतराल उपरांत आए महाकुंभ की महा-शिवरात्रि के अंतिम स्नान पर महातीर्थ प्रयागराज पर लाखों धार्मिक श्रद्धालुओं का त्रिवेणी संगम पर तांता लगा हुआ था। अमृतसर से हरिसिंह सुनार अपनी धर्मपत्नी संग विभिन्न रेलगाड़ियों को बदलने के बाद प्रयागराज पहुंचे थे। हरिसिंह की धर्मपत्नी राधा प्रयागराज के महाकुंभ के भीड़तंत्र को देखकर ही परेशान होकर रह गई थी। राधा ने हरिसिंह का हाथ कसकर पकड़ रखा था। वह त्रिवेणी संगम की ओर पैदल ही आगे बढ़ रहे थे।एकाएक धक्का मुक्की का दौर बढ़ने लग चुका था।

अब दोनों दम्पति हरिसिंह और राधा सहम चुके थे। दोनों आंखे मूंदे भगवान का जप सुमिरन करने लगे थे। घाट की दलदल में वह आगे खिसक नही पा रहे थे। इसी बीच नावों के मल्लाह उपस्थित हुए और संगम बीच में स्नान करवाने की पेशकश करने की जोर आजमाईस करने लगे थे। हरिसिंह व राथा ने एक मल्लाह को तो एक हजार रुपए की पेशकश करके ऐन केन प्रकारेण स्नान करवाने की हामी भर ली थी। उस नाविक -मल्लाह की नाव को दलदल से घसीटते हुए सहायक मल्लाह पंद्रह-बीस तीर्थ यात्रीगण को लेकर त्रिवेणी संगम में ले जाकर तीर्थ स्नान करवाने में कामयाब हो गए थे। हरिसिंह व राधा दोनों ने त्रिवेणी संगम की पावन जलधारा का बड़ा कनस्तर भर लिया था। वापसी पर घंटों का जाम झेलते हुए वह प्रयागराज रेलवे-स्टेशन तक पहुंच पाये थे। यहां से हरिसिंह ने राजधानी दिल्ली की रेलगाड़ी पकड़ ली थी। दिल्ली में हरिसिंह सुनार को सर्राफा बाजार में अपने व्यवसाय से संबंधित ढेर सारे कार्यो को भी निपटाना था। दिल्ली में हरिसिंह व राधा ने राहत की सांस ली थी।

वह रोहिणी दिल्ली में अपने इंजिनियर सुपुत्र वीर सिंह के आवास में सुखद अनुभव प्राप्त कर रहे थे। राजधानी दिल्ली का दो- तीन महीने से बढ़ा हुआ सत्ता का सियासी पारा शांत हो चुका था। आज पूर्वोत्तर के क्षितिज से एक बहुत ही सौम्य सद्गुण सम्पन्न महिला को पौराणिक इंद्रप्रस्थ की बागडोर संभाली जा रही थी। सारी राजधानी को दुल्हन की तरह सजाया गया था। मुख्य मंत्री के पद को सुशोभित करने वाली आजीवन संघर्षरत महा- नेत्री को लेकर दिल्ली की तमाम महिलाओं समेत भारत की तमाम महिलाओं के लिए यह गौरवान्वित करने वाले सुखद क्षण सचमुच सभी देशवासियों को अभिभूत करने का उल्लास देखते ही बनता था। हरि सिंह सुनार के लिए तो यह गौरवान्वित करने वाला घटनाक्रम था। मुख्य मंत्री पद की शपथ ग्रहण करने वाली मुख्य मंत्री वैश्विक परिवार से संबंधित थी। हरि सिंह सुनार स्वंय वैश्य थे। उनकी धर्मपत्नी राधा तो हरियाणा-दिल्ली को अपना पीहर ही मानती थी। राथा ने तो नई मुख्य मंत्री को अपनी ही बेटी की संज्ञा से विभूषित कर दिया था। राधा का बचपन राजधानी दिल्ली में ही व्यतीत हुआ था। राधा पुरानी दिल्ली, नई दिल्ली के चप्पे- चप्पे से वाकिफ थी। राधा कोई समय दिल्ली में सार्वजनिक तौर पर साईकिलष सवार होकर अपने पिताजी कीष साबुन फैक्ट्री का साबुन और वाशिंग पाउडर की बिक्री करने के लिए घर से बड़ी तत्परता व बहादुरी से निकल पड़ती थी। राधा अपनी पढ़ाई-लिखाई के साथ-साथ विभिन्न स्वंय सेवी संगठन व एनजीओ से भी जुड़कर क्रियाशील रहती थी। इसमें “यमुना मैय्या बचाओ” संगठन में वह संघर्षरत थी। सारे दिल्ली में यमुना नदी की हालात बद से बदतर होती जा रही थी। दिल्ली में गंदगी से लुप्त होती यमुना मैया को बचाना बहुत बड़ी चुनौती थी। राधा जी इसके लिए ” यमुना मैय्या बचाओ” संगठन के माध्यम से पिछले बहुत सालों से जुड़कर संघर्षशील थी। उनके संगठन ने नई मुख्य मंत्री की शपथ ग्रहण करने वाली नेत्री से ” यमुना मैय्या बचाओ” का प्रारूप सर्वप्रथम प्राथमिक आधार पर क्रियान्वित करने का ज्ञापन सौंयने की तैयारी कर ली थी। हरिसिंह व राधा अपने इंजिनियर सुपुत्र वीर सिंह के रोहिणी आवास में ” यमुना मैय्या बचाओ” का लिखित ज्ञापन तैयार कर रहे थे। तभी दूरदर्शन पर नई मुख्य मंत्री जी का इन्टरव्यू प्रसारित हो रहा था। आज तक दूरदर्शन के संवाददाता ने मनोनीत महिला मुख्य मंत्री जी से उनकी सरकार की प्राथमिकताओं के बारे सवाल पूछा था?
नई मुख्य मंत्री जी ने बतलाया कि उनका मंत्रीमंडल सर्वप्रथम यमुना मैय्या जी की पूजा अर्चना से ही अपने समस्त कार्य सम्पादित करना शुरुआत करेगा।
यह व्यान आते ही समस्त संगठन ” यमुना मैय्या बचाओ” के चेहरे खिल गये थे। यमुना मैय्या की जय के साथ दिल्ली में एक नये अध्याय का सूत्रपात होने वाला था। सभी पर्यावरण संरक्षण प्रेमियों ने मुख्य मंत्री जी के यमुना नदी की पूजा का श्री गणेश से आशान्वित हो गए थे।
यमुना मैय्या जी के वृहद यमुना कायाकल्प का संकल्प ऐतिहासिक एवं अलौकिक क्षण था । यमुना मैय्या जी को बचाने की महा-क्रान्ति यथार्थ के धरातल पर यकीनन यमुना की गंदगी प्रदूषण समाप्ति की महाशांति का विगुल बज चुका था।
रोहिणी आवास में बैठे सभी ने यमुना मैय्या बचाओ पर खुशी का इजहार किया था। हरिसिंह सुनार व उनकी धर्मपत्नी राधा जी खुशी से झूम उठे थे। उनका इंजिनियर सुपुत्र वीर सिंह लड्डूओं का थाल लेकर लड्डू बांटने लगा था। सभी जगह ढोल नगाड़े बजने लगे थे।
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