कांग्रेस सरकार ने 6 गारंटियों को पूरा किया,हिमाचल 2027 तक होगा आत्मनिर्भर राज्य-मुख्यमंत्री

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देवभूमि न्यूज नेटवर्क
हिमाचल प्रदेश
शिमला

राज्यपाल के अभिभाषण पर मंगलवार को मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू और नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर के बीच सदन में भोजनावकाश से पहले और इसके बाद दो बार नोकझोंक हुईं। पहले दोनों में केंद्र से राजस्व घाटा अनुदान घटाने पर तो उसके बाद गारंटियों, नशा, मंदिर का पैसा सरकारी खजाने में डालने जैसे मुद्दों पर तनातनी हुई। मुख्यमंत्री सुक्खू ने नेता प्रतिपक्ष के आरोपों पर कहा कि कांग्रेस सरकार ने 6 गारंटियों को पूरा कर दिया है। वर्ष 2027 में हिमाचल आत्मनिर्भर राज्य होगा। हिमाचल ने ओल्ड पेंशन स्कीम लागू की है। नशा तस्कर सलाखों के पीछे हैं। भाजपा ने सत्ता में रहते हुए तस्करों के खिलाफ कोई ठोस कदम नहीं उठाया।

राज्यपाल के अभिभाषण पर चर्चा के दौरान जयराम ने आरोप लगाया कि ओल्ड पेंशन स्कीम अभी शुरू हुई है, जबकि इसका असर आने वाले वर्षों में नजर आएगा। जिस समय नई पेंशन योजना शुरू हुई, उस वक्त 2003 में हिमाचल में वीरभद्र सिंह की सरकार थी। इसके गंभीर परिणामों को देखते हुए उन्होंने केंद्र के साथ एमओयू साइन किया। इस पर सीएम ने कहा-आप आएंगे तो ओपीएस बंद कर देंगे। नेता प्रतिपक्ष के आरोप पर मुख्यमंत्री ने कहा-बुढ़ापा पेंशन बंद नहीं की गई है। इसे हर तीन महीने जारी किया जाता है। दिसंबर तक पेंशन जारी कर दी गई है। इस महीने इसे जारी किया जा रहा है।

जयराम ने आरोप लगाया कि हिमाचल की वित्तीय स्थिति ठीक नहीं है। प्रदेश कर्जे में डूब गया है। भाजपा के समय प्रदेश पर 69 हजार करोड़ रुपये का कर्ज था। अब यह कर्जा एक लाख करोड़ से ऊपर चला गया है। उन्होंने आरोप लगाया कि विभिन्न विभागों में डेढ़ लाख नौकरियों को खत्म कर दिया गया है। भाजपा विधायकों की डीपीआर कंसीडर नहीं की जा रही है। इसके चलते 2 सालों से विधायक प्राथमिकताओं के काम नहीं हुए हैं। इस कारण विधायक प्राथमिक बैठक का बहिष्कार करना पड़ा है।
पूर्व सरकार के समय के किए गए कार्यों का श्रेय लिया जा रहा है, जबकि स्थिति यह है कि केंद्र की सारी योजनाओं का बखान अपनी उपलब्धियों में दिखाने के लिए किया जा रहा है। जयराम ने कहा कि प्रदेश में नशा कारोबार फलफूल रहा है। चिट्टे से दो महीने के भीतर 10 लोगों की मौत हुई है। इस पर मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश उच्च न्यायालय की कमेटी को नशा तस्करों पर कार्रवाई करने की शक्ति है। पूर्व सरकार ने इस दिशा में कोई काम नहीं किया। वर्तमान सरकार को इस कमेटी से शक्तियां मिली हैं। इसके तहत इनकी संपत्तियों को जब्त करने के अलावा जेलों में बंद किया जा सकेगा। हिमाचल में नशा कारोबारियों के खिलाफ सख्त करवाई करने से प्रदेश में 30 फीसदी नशा खत्म हुआ है। हिमाचल नशामुक्त होगा। सीएम ने कहा कि हिमाचल प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाएं बेहतर हैं। आईजीएमसी में इमरजेंसी की व्यवस्था बदली है। सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश संजय करोल ने भी इस पर स्थिति स्पष्ट की है। पहले वहां पर एक बेड पर दो मरीज होते थे।

प्रदेश के विकास में भाजपा के कारण पड़ा 8000 करोड़ का गड्ढा : भवानी
राज्यपाल के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्तुति के दौरान सत्ता पक्ष के मुख्य वक्ता विधायक भवानी सिंह पठानिया ने कहा कि प्रदेश के राजस्व घाटा अनुदान का करीब 8000 करोड़ रुपये का गड्ढा अगर हिमाचल में बना है तो इसके लिए भाजपा जिम्मेवार है। इनके समय में प्रदेश को 11,431 करोड़ रुपये का राजस्व घाटा अनुदान एक साल में मिला। अब यह घटकर 3200 करोड़ रुपये रह गया है। इससे प्रदेश को 8000 करोड़ का घाटा हो रहा है। प्रदेश की आर्थिक कंगाली का गुनहगार विपक्ष है। भाजपा ने अपनी सरकार के समय इस समस्या को सुलझाने का कोई प्रयास नहीं किया। इस पर नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि भवानी ने उनका नाम लेकर टिप्पणी की है। इस पर मुख्यमंत्री सुक्खू ने कहा कि जब भी कोई बोलता है तो नेता प्रतिपक्ष उसे रोकने की कोशिश करते हैं। जयराम ने कहा कि फाइनेंस कमीशन किसी एक राज्य के लिए नहीं पूरे देश के लिए होता है, पूरे देश की ग्रांट में कटौती हुई है और हिमाचल की भी ग्रांट घटी है। दो साल पहले जब कांग्रेस चुनावों के समय गारंटियां दे रही थी। उस समय राजस्व घाटा अनुदान पर ध्यान नहीं दिया गया।
खुद करें तो पुण्य, हम करें तो पाप : सुक्खू
मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने कहा कि विपक्ष खुद करें तो पुण्य, हम करें तो पाप होता है। उन्होंने कहा कि मंदिरों के पैसों को लेकर एसओपी बनी होती है। जयराम सरकार के कार्यकाल में मंदिरों का पैसा कोविड के दौरान खर्च किया गया। मुख्यमंत्री रहते जयराम ने मंदिरों के 28 करोड़ रुपये अपनी योजनाओं को चलाने में लगाए। शादी, विवाह, सड़कों पर पैसा खर्च किया गया। प्रदेश सरकार के पास पैसे की कमी नहीं है। प्रदेश सरकार ने भ्रष्टाचार के खिलाफ की गई कार्रवाई से 2600 करोड़ रुपये एकत्र किए हैं। इस राशि को बच्चों की पढ़ाई में लगाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि मंदिरों का पैसा गरीब परिवार की बेटी के विवाह के लिए पहले से दिया जा रहा है। विधवा या गरीब की बेटी की पढ़ाई के लिए दिया जा रहा है तो उसमें क्या दिक्कत हो रही है। जब इनकी पढ़ाई पूरी हो जाती है तो यह पैसा वापस भी दिया जा सकता है।