देवभूमि न्यूज 24.इन
जिस भी कस्बे में, जंगल में, नदी किनारे या गांव, शहर के रास्तों पर जाओ तो प्लास्टिक का ढेर मिलेगा।दुकानों में प्लास्टिक पैकिंग में भरा सामान मिलेगा और उस कचरे से लगातार धरती की ऊपरी सतह पर फैला प्रदूषण मिलेगा।
पानी, हवा, भोजन और गांव मोहल्लों का वातावरण, हमारी भाषा, बोली सब उसी हिसाब से प्रदूषित हो रही है।
लाखों जल धाराएं जो जीवन देती हैं।एक तरफ गलत विकास नीतियों और मानवीय कुकृत्यों से नष्ट हो रही हैं तो दूसरी तरफ जलवायु परिवर्तन उनको समाप्त करने में लगा है।
खून में जहर जा चुका है।दिमागों में चढ़कर पूरी मानसिक, शारीरिक स्थितियों को विकृत कर रहा है।समाज के तथाकथित सभ्य और सम्पन्न लोग , जिनके पास बरसों का अनुभव है, इसे अपनी जिम्मेदारी नहीं समझते।युवा तो ज्यादातर इंटरनेट के गुलाम हो चुके हैं।जिनके पास थोड़ा वक्त है, वे रील पर रील बनाकर खुद को अभिव्यक्त कर रहे हैं।
लेकिन परिवेश की चिंता किसी को नहीं है।
माइक्रो प्लास्टिक पानी, खाद्यान्न, मसालों आदि के रास्ते हमारे सबके अंदर खून, दिल, फेफड़ों में जमा हो रहा है।
आप खुश हैं कि आपने राजनीति की बकवास पर अपना मत व्यक्त किया।जिसका कोई असर किसी भी पार्टी संगठन या सरकार पर कभी नहीं पड़ता।
पर्यावरण की बात करना सबसे मूर्खता की बात है।क्योंकि ये वो जिम्मेदारी है, जिसको निभाने के लिए हाथ पैर दिमाग को कष्ट मिलता है और कंगाली झेलनी पड़ती है।अपमानित होना पड़ता है और हाथ कुछ नहीं आता।
आप 22 तारीख मार्च विश्व जल दिवस पर कुछ करेंगे, उम्मीद है।
नहीं करेंगे तो हम क्या बिगाड़ लेंगे आपका।वातावरण जो सबके साथ करेगा हमारे साथ भी करेगा।लेकिन आपका पक्ष स्पष्ट हो जायेगा…
” जो घर फूंके आपनो चले हमारे साथ”