देवभूमि न्यूज 24.इन
हिमाचल प्रदेश में करीब हजारों लोगो के साथ चंडीगढ़ में फर्जीवाड़ा हुआ है। हिमाचल के 23 हजार फर्जी आयुष्मान कार्ड के जरिये कागजों में ही मरीजों का इलाज किया गया। इस फर्जीवाड़े में ईडी की जांच जा रही है। इस जांच की आंच चंडीगढ़ के भी कुछ निजी अस्पतालों के अलावा पीजीआई तक पहुंच गई है। ईडी की जांच टीमों ने फर्जी आयुष्मान के अलावा हिमाचल की हिमकेयर स्वास्थ्य योजना के भी काफी कार्ड बरामद किए हैं। कुछ दिन पहले ईडी की जांच टीमों ने चंडीगढ़ में इस फर्जीवाड़े पर रेड भी की थी। जल्द ही हिमाचल के विभिन्न जिलों सहित चंडीगढ़ के निजी अस्पताल संचालकों की भी मुश्किलें बढ़ने वाली है।
ईडी की जांच में सामने आया कि श्री बांके बिहारी अस्पताल, फोर्टिस अस्पताल हिमाचल हेल्थकेयर प्राइवेट लिमिटेड, सिटी सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल, श्री बालाजी अस्पताल, श्री हरिहर अस्पताल, सूद नर्सिंग होम, नीलकंठ अस्पताल और उनके प्रमुख प्रबंधन संचालकों में डॉ. विजेंद्र मिन्हास, रघुबीर सिंह बाली, डॉ. प्रदीप मक्कड़, डॉ. राजेश शर्मा, मनीष भाटिया, डॉ. मनोज सूद और डॉ. हेमंत कुमार द्वारा इस फर्जीवाड़े को अंजाम दिया गया।
ईडी की टीम की ओर से इन निजी अस्पताल संचालकों के खिलाफ केस दर्ज किया गया। जांच में 373 फर्जी आयुष्मान कार्डों की पहचान की गई है, जिनमें आयुष्मान कार्ड लाभार्थियों को इलाज के नाम पर सरकार से प्रतिपूर्ति के लिए करीब 40.68 लाख रुपये का दावा किया गया था। लेकिन जब ईडी की टीमों ने मरीजों के दिए गए पतों पर पहुंचकर जांच की तो उन्होंने आयुष्मान कार्ड के होने या उसकी जानकारी होने से ही मना कर दिया।
हिमाचल सहित चंडीगढ़ में रेड में 88 लाख की नकदी मिली
जांच में सामने आया कि इलाज के नाम पर करीब 25 करोड़ रुपये का लेन-देन हुआ है। वहीं, जब कुछ समय पहले ईडी ने हिमाचल सहित चंडीगढ़ के निजी अस्पताल व दो आवास व कुछ निजी दफ्तरों में रेड की तो 88 लाख रुपये की नकदी, चार बैंक लॉकर और 140 संबंधित बैंक खाते मिले, जिनमें फर्जी बिलों के जरिये पैसे ट्रांसफर हुए। इसके अलावा इन अस्पताल संचालकों की अचल और चल संपत्तियों सहित बैंक पासबुक, मोबाइल फोन/आईपैड, हार्ड डिस्क और पेन ड्राइव सहित 16 डिजिटल डिवाइस भी जब्त किए। इन डिवाइस की जांच में अस्पतालों द्वारा फर्जी बिलों का सारा डाटा सहित करीब 23 हजार मरीजों के लिए 21 करोड़ रुपये के लेन-देन शामिल था।