देवभूमि न्यूज 24.इन
स्वतंत्र भारत की नींव रखने में कई आंदोलनकारियों और क्रांतिकारियों की भूमिका अहम है। इन क्रांतिकारियों ने आजादी के लिए अपना पूरा जीवन न्योछावर कर दिया। कई बार जेल गए, अंग्रेजों की प्रताड़ना झेली लेकिन हार नहीं मानी और ब्रिटिश हुकुमत को देश से बाहर निकालने का प्रयास जारी रखा। इन्हीं क्रांतिकारियों में शहीद भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु का नाम इतिहास में स्वर्णिम अक्षरों में दर्ज है।

शहीद भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु युवाओं के लिए आदर्श और प्रेरणा है। उन्हें लाहौर षड़यंत्र के आरोप में फांसी की सजा सुनाई गई थी। 24 मार्च 1931 को भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु की फांसी दी जानी थी लेकिन अंग्रेजी हुकूमत उन्हें फांसी के फंदे पर लटकाने को लेकर भी खौफ में थी कि देशवासी उनके शहीद होने पर आक्रोशित हो जाएंगे। ऐसे में तीनों वीर सपूतों को एक रात पहले ही चुपके से फांसी दे दी गई। 23 मार्च 1931 को भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव हंसते हंसते फांसी के फंदे पर झूल गए। आज उनकी पुण्यतिथि है। इस दिन को भारत के वीर सपूतों के बलिदान की याद में मनाते हुए शहीद दिवस के तौर पर मनाते हैं। शहीद दिवस के मौके पर जानिए क्रांतिकारी शहीद भगत सिंह के क्रांतिकारी विचार, जो युवाओं में भर देंगे जोश।
