पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूकता एवं जनभागीदारी अत्यंत आवश्यक – गोकुल बुटेल

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एचपीयू में पर्यावरण और स्वास्थ्य पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन

देवभूमि न्यूज 24.इन

मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू के प्रधान सलाहकार (नवाचार, डिजीटल टेक्नोलॉजी एवं गवर्नेंस) गोकुल बुटेल ने आज हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय, शिमला के विधि विभाग द्वारा आयोजित “भारत में पर्यावरण और स्वास्थ्य: पर्यावरण कानूनों के मुद्दे और चुनौतियां” विषय पर एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी कार्यक्रम की अध्यक्षता की।
प्रधान सलाहकार ने अपने संबोधन में कहा कि पर्यावरण संरक्षण के लिए जागरूकता एवं जनभागीदारी अत्यंत आवश्यक है ताकि बदलते पर्यावरण को संरक्षित किया जा सके।

उन्होंने कहा कि हम प्रदेश को प्रथम हरित राज्य बनाने की दिशा में अग्रसर है। इसके लिए हर विभाग को ई-वाहनों के प्रयोग के साथ हिमाचल प्रदेश पथ परिवहन निगम के बेड़े में अतिरिक्त इलेक्ट्रिक बसों को शामिल किया जा रहा है।


उन्होंने कहा कि प्रदेश के मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू हमेशा कहते हैं कि हमारा प्रदेश उत्तरी भारत के फेफड़े है और इसी के संरक्षण की दिशा में प्रदेश सरकार ने ई-टैक्सी, ई-बस व ई-ट्रक को खरीदने के लिए भी अनुदान का प्रावधान किया है। यह कदम हिमाचल को देश का हरित राज्य बनाने की दिशा में कारगर सिद्ध हो रहे हैं।
प्रधान सलाहकार ने कहा कि प्रदेश में आज हर क्षेत्र में जल विद्युत परियोजनाएं है जिसकी वजह से जगह-जगह पर भूस्खलन की घटनाएं देखने को मिल रही हैं। पर्यटन राज्य होने से आज जगह-जगह पर सिंगल यूज प्लास्टिक देखने को मिलता है जिसका पर्यावरण पर विपरीत असर पड़ता है।
उन्होंने कहा कि हम सभी को आज आगे आकर इन सभी मामलों को सुलझाना चाहिए ताकि हम अपने पर्यावरण को आने वाली पीढ़ी के लिए बचा सकें।
उन्होंने कहा कि आज राष्ट्रीय स्तरीय कार्यशाला में आने का मौका मिला है और ऐसी ही कार्यशालाओं से हमें अच्छे विचार सुनने को मिलते हैं और विभिन्न समस्याओं के समाधान करने के सुझाव भी प्राप्त होते है।
उन्होंने सभी लोगों से पर्यावरण संरक्षण पर अपने विचार साझा करने का आग्रह किया ताकि आगामी समय में इस दिशा में सरकार द्वारा और उचित कदम उठाए जा सकें।

प्रति कुलपति हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय प्रोफेसर राजेंद्र वर्मा ने अपने संबोधन में कहा कि यदि हमारे आसपास का पर्यावरण साफ सुथरा नहीं है तो वह कहीं न कहीं हमारे स्वास्थ्य को हानि पहुंचाएगा। उन्होंने वाटर एक्ट 1974 का जिक्र करते हुए पर्यावरण संरक्षण पर अपनी विस्तृत बात रखी।

कार्यशाला के मुख्य वक्ता एवं चंडीगढ़ के पंजाब विश्वविद्यालय (पीयू) के यूनिवर्सिटी इंस्टीट्यूट ऑफ लीगल स्टडीज (यूआईएलएस) की निदेशक प्रोफेसर डॉ श्रुति बेदी ने स्वास्थ्य एवं पर्यावरण संरक्षण पर अपनी विस्तृत बात रखी।

कार्यशाला में वक्ता एवं एम डी कम्युनिटी मेडिसिन आईजीएमसी डॉ आशीष गुप्ता ने सतत विकास लक्ष्य में सम्मिलित पर्यावरण संरक्षण पर अपने विचार रखे।

इस अवसर पर समन्वयक प्रोफेसर सुनील देश्टा, कार्यशाला के संयोजक अभिषेक सिंह नेगी सहित विधि विभाग के प्राध्यापक एवं छात्र उपस्थित रहे।